कैसी चली है नफरत की आंधी, दिल पत्थर से हुए है, आंखों में नहीं है पानी, कहते है दिल पत्थर हो जाए तो एहसासों का समंदर भी सुख जाते है. और नफरत की हवा लग जाए तो पत्थर भी खंजर बन जाते है. आज पत्थरों के पते बदल गए है पत्थरों के मायने बदल गए है. शहर शहर जो नरम दिल थे वो पत्थर दिल बन गए है सोचिए जो पत्थर आसमान में सुराख का हौसला हुआ करता था वो पत्थर आज नफरत के नाम पर उछाला जा रहे है. बेजुमान पत्थरों की इस बेबसी को आज कवियों की जुबानी सुनेंगे.
How has the storm of hatred gone, the heart is made of stone, there is no water in the eyes, it is said that if the heart becomes a stone, then the ocean of feelings also dries up. And if the wind of hatred blows, then even the stones become daggers.