आदित्य ह्रदय स्तोत्र मुख्य रूप से श्री वाल्मीकि रामायण के युद्धकाण्ड का एक सौ पांचवां सर्ग है.भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए , अगस्त्य ऋषि द्वारा इस स्तोत्र का वर्णन किया गया था. सूर्य के समान तेज प्राप्त करने और युद्ध तथा मुकदमों में विजय प्राप्त करने के लिए इसका पाठ अमोघ है. सूर्य सम्बन्धी समस्याओं के निवारण के लिए भी इसका पाठ किया जाता है,इसके पाठ के कुछ विशेष नियम हैं , जिनका पालन न करने से इसका फल नहीं मिलता.