आरती के बाद अपने आराध्य को भोग लगाने का विधान है. बिना भोग के कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती. पूजा के समय जब कोई खाद्य सामग्री देवी-देवताओं के समक्ष प्रस्तुत की जाती है, तो वह प्रसाद के रूप में वितरण होती है. इसे 'नैवेद्य' भी कहते हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो पूजन में प्रसाद अर्पित करना ज़रूरी नहीं ....लेकिन जिस पूजा में प्रसाद शामिल हो उसे उत्तम माना जाता है. देखें प्रार्थना हो स्वीकार.
According to experts in astrology, it is not necessary to offer prasad during worship, but the worship that includes prasad is considered best.