मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही अर्जुन के साथ साथ हनुमान बर्बरीक और संजय को गीता का ज्ञान मिला था. इसीलिए हर साल इसी तिथि पर गीता जयंती मनाने का विधान बताया गया है. श्रीमदभगवतगीता स्वयं नारायण की वाणी से प्रकट हुई है. गीता स्वयं श्री हरि का ही स्वरुप है वराह पुराण में भगवान कहते है कि वो स्वयं गीता के बंधनों से बंधे है.