आज हम बात कर रहे हैं ट्रंप और जेलेंस्की की. जो करना तो डील चाहते थे पर उलझ गए. और ऐसे उलझे कि दुनिया हैरान है. मंथन चल रहा है कि इस तरह की डिप्लोमेसी का परिणाम क्या होगा? लेकिन उससे भी बड़ा सवाल है कि जेलेंस्की का अब क्या होगा? जेलेंस्की अमेरिका से निकले तो अपने यूरोपीय दोस्तो के बीच पहुंचे. जहां उन्हें सहारा तो मिला पर साथ ही ज्ञान भी मिला. इसलिए उनके सुर अब नरम पड गए हैं. उन्होंने कहा है कि फिर व्हाइट हाउस जाने और डील पर दस्तखत के लिए तैयार हैं. पर अब तो वही होगा जो ट्रंप चाहेंगे और ट्रंप क्या चाहते हैं ये कोई नहीं जानता. मुसीबत यूरोप की भी है. ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश समझ नहीं पा रहे कि अमेरिका की नीतियों में जो बदलाव आ रहा है, उसके बाद उन्हें करना क्या है? क्या ट्रंप द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने वर्ल्ड ऑर्डर को उलट पुलट देंगे? क्या दुनिया में महाशक्तियों की नई गोलबंदी होगी. आज इन सभी सवालों पर बात करेंगे.