भारतीय समाजिक व्यवस्था ऐसी है जिसमें आमतौर पर शादियां पैरेंट्स तय करते हैं. पर कई बार जब माता पिता राजी नहीं होते तो बच्चे अपनी मर्जी से भी एक दूसरे के साथ जीवन बिताने का फैसला करते हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला ऐसे ही जोड़ों के लिए है. जिन्होंने अपने परिवार के खिलाफ जा कर शादी की है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने वाले प्रेमी जोड़े सुरक्षा की मांग नहीं कर सकते जब तक की उनकी जान या स्वतंत्रता को किसी तरह का खतरा ना हो. कोर्ट ने ये भी कहा कि अदालत किसी भी जोड़े को उचित मामले में सुरक्षा मुहैया करा सकती है लेकिन अगर उन्हें किसी तरह का खतरा नहीं है तो फिर उन्हे एक दूसरे को सपोर्ट करना चाहिए और समाज का सामना करना सीखना चाहिए..