देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया और उस मंथन से अमृत निकला. अमृतपान के लिए देव-दानवों में झगड़ा हुआ. इसी झगड़े में अमृत कलश छलकने से अमृत की कुछ बूंदें धरती पर गिरीं. जहां-जहां अमृत की बूंदे गिरीं वहां कुंभ मेला लगता है. साल 2025 की शुरूआत प्रयागराज महाकुंभ से हो रही है. और अब वो घड़ी बेहद करीब आ चुकी है, जब अखाड़ों से जुड़े साधु, संत महाकुंभ में शाही स्नान करेंगे.