भारत ने 25 जून 1932 को टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था. ठीक 51 साल बाद इसी दिन वनडे क्रिकेट में टीम इंडिया ने इतिहास रचा. साल 1983 में इस दिन टीम इंडिया ने वनडे इंटरनेशन क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीत लिया था. कपिल देव की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने फाइनल में वेस्टइंडीज की टीम को 43 रनों से हराकर वर्ल्ड कप जीता था.
कयासों के विपरीत टीम इंडिया ने रचा इतिहास
साल 1983 के क्रिकेट वर्ल्ड कप की शुरुआत में टीम इंडिया को कमतर आंका जा रहा था. किसी को उम्मीद नहीं थी कि टीम इंडिया इस टूर्नामेंट में इतना बड़ा मुकाम हासिल करेगी. लेकिन सारे कयासों को दरकिनार करते हुए टीम इंडिया ने फाइनल तक का रास्ता तय किया.
फाइनल से पहले भी हर कोई मान रहा था कि वेस्टइंडीज की टीम तीसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बन जाएगी. टीम इंडिया के चैंपियन बनने की कोई दूर-दूर तक नहीं सोच रहा था. लेकिन फाइनल के नतीजा कुछ और ही निकला और टीम इंडिया ने इतिहास रच दिया. बीसीसीआई ने 41 साल बाद टीम इंडिया की जीत को याद किया और सोशल मीडिया एक्स पर कप्तान कपिल देव की वर्ल्ड कप के साथ एक तस्वीर शेयर की.
25 जून का वो ऐतिहासिक दिन
साल 1983 वर्ल्ड का फाइनल मुकाबला 25 जून को भारत और वेस्टइंडीज के बीच लंदन के ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान में खेला गया था. वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने टॉस जीता था और पहले गेंदबाजी का फैसला किया. पहले बल्लेबाजी करते भारत की पूरी टीम 54.4 ओवर में 183 रन पर ऑलआउट हो गई. इतने कम स्कोर को देखकर हर क्रिकेट फैन मानने लगा था कि टीम इंडिया की हार तय है.
लेकिन जब गेंदबाजी की बारी आई तो टीम इंडिया ने कमाल कर दिया. वेस्टइंडीज की पूरी टीम 52 ओवर में 140 रनों पर ढेर हो गई और टीम इंडिया ने ये मुकाबला 43 रनों से जीत लिया. इस तरह से भारत ने वेस्टइंडीज की बादशाहत को खत्म कर दिया और वर्ल्ड चैंपियन बन गई.
टीम इंडिया की पारी
टीम इंडिया की तरफ से सुनील गावस्कर और क्रिस श्रीकांत ओपनिंग के लिए मैदान पर उतरे. जल्द ही टीम इंडिया को झटका लगा. सुनील गावस्कर सिर्फ 2 रन बनाकर आउट हो गए. इसके बाद श्रीकांत और मोहिंदर अमरनाथ ने स्कोर को आगे बढ़ाया. लेकिन जब टीम का स्कोर 59 रन था तो श्रीकांत भी आउट हो गए. श्रीकांत ने 38 रनों की पारी खेली थी.
अमरनाथ और यशपाल शर्मा स्कोर को 90 रन तक ले गए. लेकिन इस स्कोर पर मोहिंदर अमरनाथ 26 रन बनाकर आउट हो गए. इसके बाद विकेट गिरने का सिलसिला चल पड़ा. यशपाल शर्मा 11 रन, संदीप पाटिल 27 रन और कप्तान कपिल देव 15 रन बनाकर आउट हो गए. एक समय 7 विकेट के नुकसान पर टीम इंडिया का स्कोर 130 रन था.
एक समय ऐसा लग रहा था कि पूरी टीम 150 रन भी नहीं बना पाएगी. लेकिन मदन लाल के 17 रन, सैयद किरमानी के 14 रन और बलविंदर संधू के 11 रन की बदौलत टीम इंडिया 183 रन के स्कोर तक पहुंच गई.
वेस्टइंडीज की पारी
183 रन के छोटे से स्कोर के बाद टीम इंडिया का पूरा दारोमदार गेंदबाजों पर आ गया. हालांकि गेंदबाजों ने निराश भी नहीं किया. बलविंदर संधू ने दिग्गज बल्लेबाज गॉर्डन ग्रीनिज सिर्फ एक रन पर आउट कर दिया. हालांकि इसके बाद दूसरे विकेट के लिए काफी इंतजार करना पड़ा. वेस्टइंडीज का स्कोर 50 रन पहुंच गया था. इस स्कोर पर मदन लाल ने डेसमंड हेन्स को आउट किया. इसके कुछ देर बाद ही मदन लाल ने विव रिचर्ड्स को 33 रन पर पवेलियन भेज दिया.
अभी वेस्टइंडीज की टीम का स्कोर 66 रन ही था तो कप्तान क्लाइव लॉयड 8 रन बनाकर आउट हो गए. इसके बाद फौद बच्चुस भी 8 रन बनाकर आउट हुए. इस तरह से वेस्टइंडीज की आधी टीम 76 रन पर आउट हो गई थी. इसके बाद टीम इंडिया में जोश भर गया.
भारत के खिलाड़ियों को जीत दिखने लगी थी. इसके बाद लगातार वेस्टइंडीज के विकेट गिरते रहे और पूरी टीम 140 रन पर ऑलआउट हो गई. इस तरह से टीम इंडिया पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनी.
ये भी पढ़ें: