पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर ओलंपिक के दो बॉक्सरों की फोटो वायरल हो रही है. इसमें इटली की एंजेला कैरिनी (Angela Carini) के साथ अल्जीरिया की इमाने खलीफ (Imane Khelif) नजर आ रही हैं. 1 अगस्त को इन दोनों के बीच हुआ बॉक्सिंग मैच सिर्फ 46 सेकंड में खत्म हो गया.
हालांकि, दोनों की फोटो के साथ इमाने खलीफ़ के जेंडर को लेकर भी बहस जारी है. कुछ लोगों का कहना है कि वे बायलॉजिकली पुरुष हैं. जबकि कुछ का कहना है कि वे महिला हैं. इसे लेकर इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने भी अपना बयान जारी किया है. इसमें कहा गया है कि उनके पासपोर्ट के अनुसार वे महिला हैं.
दरअसल, गुरुवार को 66 किलोग्राम बॉक्सिंग महिला कैटेगरी में लड़ाई कर रहीं बॉक्सर एंजेला कैरिनी ने इमाने खलीफ के खिलाफ अपने मैच को अचानक ही खत्म कर दिया. ओलंपिक में किसी मुक्केबाज का इस तरह से हार मान लेना बहुत असामान्य है. रेफरी ने जब इमाने खलीफ को विजेता घोषित किया उसके बाद एंजेला ने इमाने से हाथ भी नहीं मिलाया. इतना ही नहीं वह रिंग में ही फूट-फूट कर रोने लगीं.
दरअसल, इमाने खलीफ ने एंजेला को बहुत जोर से मुक्का मारा था. इसे लेकर मैच के बाद मीडिया से एंजेला ने कहा, "मुझे अपनी नाक में काफी दर्द महसूस हुआ और एक मुक्केबाज के रूप में, मैंने फैसला किया कि रुकना ही बेहतर होगा क्योंकि मैं इस मैच को जारी नहीं रख सकती थी."
विवाद के बीच IOC का बयान
इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC) ने इमाने खलीफ के समर्थन में पोस्ट भी की है. IOC ने कहा कि पेरिस 2024 बॉक्सिंग टूर्नामेंट में सभी एथलीट पेरिस बॉक्सिंग यूनिट (PBU) के निर्धारित एलिजिबिलिटी और मेडिकल टेस्ट के नियमों का पालन कर रहे हैं. जेंडर और उम्र के नियम पिछले ओलंपिक बॉक्सिंग टूर्नामेंट की तरह ही एथलीटों के पासपोर्ट पर आधारित हैं. (यहां देखें बॉक्सिंग से जुड़े नियम)
IOC ने यह भी कहा कि ये नियम ओलंपिक से पहले क्वालीफिकेशन राउंड में ही देखे जा चुके हैं. इसमें दुनिया भर के कई मुक्केबाज शामिल थे. जिन्होंने इसका पालन नहीं किया था उन्हें ओलंपिक से पहले ही बाहर किया जा चुका था.
आपको बता दें, पेरिस ओलंपिक में इससे पहले मुक्केबाजी लिन यू-टिंग के जेंडर को लेकर भी सवाल उठाए जा चुके हैं. ओलंपिक अधिकारियों ने अब दोनों महिला एथलीटों, इमाने खलीफ़ और लिन यू-टिंग से जुड़ी रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि इन एथलीटों के बारे में भ्रामक जानकारी दी गई है. दोनों ही कई सालों से महिला मुक्केबाजी में भाग लेती आ रही हैं. दोनों इससे पहले टोक्यो 2020 ओलंपिक में भी शामिल हो चुकी हैं.
फिर से लड़ने वाली हैं इमाने
बता दें, अपने विवादास्पद मैच के ठीक दो दिन बाद इमाने खलीफ़ शनिवार को पेरिस ओलंपिक में फिर से मैच लड़ने वाली हैं. पिछले साल इमाने खलीफ़ को नई दिल्ली में वर्ल्ड चैंपियनशिप से अयोग्य घोषित कर दिया गया था क्योंकि वह जेंडर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास नहीं कर पाई थीं. उसी इवेंट में, ताइवान के लिन यू-टिंग को भी इसी कारण से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
जेंडर को लेकर छिड़ी बहस में इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (IBA) ने यह नहीं बताया कि इमाने और लिन अपने टेस्ट पास क्यों नहीं कर पाए. हालांकि, उन दोनों का कोई टेस्टोस्टेरोन टेस्ट नहीं किया गया था. 25 साल की इमाने खलीफ और 28 साल के लिन दोनों ही अपनी पहचान ट्रांसजेंडर या इंटरसेक्स के रूप में नहीं करते हैं.
इमाने 3 अगस्त को फिर से मैच लड़ने वाली हैं. अगर वह जीतती हैं, तो उनका 66 किलोग्राम कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल पक्का हो जाएगा. जिसके बाद वे सिल्वर या गोल्ड मेडल की लड़ाई लड़ेंगी.
इतिहास में पहली बार ट्रांसजेंडर एथलीटों के लिए नियम
पेरिस ओलंपिक में बॉक्सिंग मैच का आयोजन पेरिस बॉक्सिंग यूनिट (PBU) करवा रही है. यह ओलंपिक इतिहास में पहली बार हुआ है जब ट्रांसजेंडर एथलीटों के लिए भी सख्त नियम पेश किए गए हैं. इन नियमों में कई चीजें शामिल हैं
1. ट्रांसजेंडर एथलीटों के लिए नियम
इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी के पास ट्रांसजेंडर एथलीटों को कंट्रोल करने वाले अलग से नियम नहीं हैं. लेकिन कुछ प्रिंसिपल जरूर हैं. जैसे ट्रांसजेंडर महिलाओं को अब महिला की कैटेगरी में भाग लेने के लिए 12 साल की उम्र से पहले जेंडर ट्रांजिशन जरूरी होगा. यह उपाय इसलिए किया गया है ताकि उनमें बायोलॉजिकल पुरुष वाले कोई भी बदलाव न आएं.
2. स्पोर्ट्स फेडरेशन की गाइडलाइन
-वर्ल्ड एथलेटिक्स और फिना (स्विमिंग की गवर्निंग बॉडी) ने ऐसे नियम लागू किए हैं जो आईओसी के दिशानिर्देशों को दिखाते हैं-
-साइक्लिंग में एक ओपन कैटेगरी शुरू की गई है. इसमें ट्रांसजेंडर एथलीटों को भाग लेने की अनुमति दी गई है.
-वर्ल्ड रोइंग के लिए जरूरी है कि प्यूबर्टी से पहले ट्रांजिशन करने वाले ट्रांसजेंडर एथलीटों में कम से कम 24 महीनों तक टेस्टोस्टेरोन कंसंट्रेशन 2.5 nmol/L से कम रहे.
-ट्रायथलॉन, टेनिस और तीरंदाजी के लिए जरूरी है कि ट्रांसजेंडर एथलीट एलिजिबल होने के लिए टेस्टोस्टेरोन के लेवल को एक निश्चित सीमा से नीचे बनाए रखें.
कई एथलीटों को भाग लेने से रोका जा चुका है
बता दें, नए नियमों के कारण कई एथलीट को भाग लेने से रोका जा चुका है:
-चेल्सी वोल्फ (Chelsea Wolfe), एक अमेरिकी BMX राइडर हैं. साइक्लिंग की गवर्निंग बॉडी ने ओलंपिक नियमों में बदलाव के बाद उन्हें भाग लेने से रोक दिया था.
-सेनेगल में जन्मे फ्रांसीसी स्प्रिंटर हल्बा डियॉफ़ (Halba Diouf) को भी वर्ल्ड एथलेटिक्स के नए नियमों के कारण पेरिस ओलंपिक से बाहर कर दिया गया था.
-लिया थॉमस (Lia Thomas), एक स्विमर हैं, जो 2022 में यूएस कॉलेज खिताब जीतने वाली पहली ट्रांसजेंडर एथलीट बनी थीं. ये वर्ल्ड एक्वेटिक्स के खिलाफ कानूनी मामला हार गई थीं. इसके बाद उन्हें महिला कैटेगरी में भाग लेने से रोक दिया गया था.