Birthday Arunima Sinha: गुंडों ने ट्रेन से फेंका तो गंवाया पैर, आर्टिफिशियल पैर से फतह किया माउंट एवरेस्ट

ऐसे इंसान की दास्तान लोगों जोर-जोर से पढ़कर सुनानी चाहिए और एक बार नहीं कई बार सुनानी चाहिए. हम बात कर रहे हैं अरुणिमा सिन्हा की जो आज अपना 33वां जन्मदिन मना रही हैं. अरुणिमा की ज़िंदगी की कहानी से सीखने को बहुत कुछ है.

Arunima Sinha
अंकुर बाजपेयी
  • नई दिल्ली ,
  • 20 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:33 AM IST
  • माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला
  • 2011 में गुंडों ने ट्रेन से बाहर फेंक दिया

अपना एक पैर खोने के बाद भी अगर कोई दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने का मन में विचारभर भी लाए तो वो जरूर आम इंसान नहीं होगा. और तो और, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी चढ़ने के बाद भी अगर किसी में इतना दम रह जाए कि वो अपने आर्टिफीशियल पैर से दुनिया के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने की ठान ले, तो वो इंसान कमाल ही होगा. ऐसे इंसान की दास्तान लोगों जोर-जोर से पढ़कर सुनानी चाहिए और एक बार नहीं कई बार सुनानी चाहिए. हम बात कर रहे हैं अरुणिमा सिन्हा की जो आज अपना 33वां जन्मदिन मना रही हैं. अरुणिमा की ज़िंदगी की कहानी से सीखने को बहुत कुछ है.    

 
कौन हैं अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha)?
अरुणिमा एक भारतीय पर्वतारोही हैं जो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला हैं. उन्होंने ये कारनामा  21 मई 2013 को कर दिखाया . माउंट एवरेस्ट फतह करने के बाद अरुणिमा ने सभी सात महाद्वीपों की सभी सात सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने का लक्ष्य रखा. 2014 तक उन्होंने एशिया, यूरोप, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका की छह चोटियों को फतह कर डाला. 4 जनवरी 2019 को, अरुणिमा अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन पर चढ़ाई करने वाली दुनिया की पहली विकलांग महिला बन गईं. इसी के साथ सात महाद्वीपों के सबसे ऊंचे शिखर पर भारतीय ध्वज को फहराने का उनका मिशन पूरा हुआ.     

सात समिट्स पर पहुंचीं अरुणिमा 
एवरेस्ट (एशिया) 29,035 फिट 
किलिमंजारो (अफ्रीका) 19,340 फिट 
कोजिअस्को (आस्ट्रेलिया) 7310 फिट 
माउंट विन्सन (अंटार्कटिका) 16,050 फिट     
एल्ब्रूज (यूरोप) 18,510 फिट 
कास्टेन पिरामिड (इंडोनेशिया) 16,024 फिट     
माउंट अकंकागुआ (दक्षिण अमेरिका) 22837 फिट 

यहां आपको एक बार फिर ये ध्यान दिलाना जरूरी है कि अरुणिमा ने ये सब कारनामा अपने एक प्रोस्थेटिक यानि आर्टिफीशियल पैर के साथ किया.   
     

एक दुर्घटना में खो दिया पैर
उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में जन्मी अरुणिमा वॉलीबाल में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी भी रह चुकीं हैं. 12 अप्रैल 2011 को अरुणिमा ने लखनऊ से दिल्ली के लिए पद्मावती एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ी. वे दिल्ली सीआईएसएफ की प्रवेश परीक्षा में बैठने जा रहीं थी. अरुणिमा का बैग और उनकी सोने की चेन छीनने के प्रयास में कुछ चोर-लुटेरों ने उनको ट्रेन के जनरल डिब्बे से बाहर फेंक दिया. अरुणिमा जैसे ही ट्रेन की पटरी पर गिरीं, दूसरे ट्रैक पर आ रही ट्रेन ने उनके पैरों को कुचल दिया. उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों को उनका एक पैर काटना पड़ा और फिर इलाज के करीब चार महीने बाद उन्हें एक कृत्रिम पैर लगाया गया. इस दौरान उन्होंने अस्पताल में ही सोच लिया था की अब आगे क्या करना है. 

 

 

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