पुरुष हॉकी एशिया कप में भारतीय टीम ने इंडोनेशिया के खिलाफ धमाकेदार जीत हासिल की. भारतीय टीम ने इंडोनेशिया को 16-0 से हराया. इस जीत के साथ ही भारतीय हॉकी टीम एशिया कप के नॉकआउट स्टेज में पहुंच गई है. भारत की तरफ से सबसे ज्यादा 5 गोल दिप्सन टिर्की (Dipsan Tirkey) ने किए. दिप्सन ने अपने खेल से सबका दिल जीत लिया. दिपसन के बारे में कहा जाता है कि वो बचपन में झाड़ू से हॉकी खेलते थे. दिप्सन एक बेहतरीन डिफेंडर हैं.
कौन हैं दिप्सन टिर्की-
दिप्सन टिर्की हॉकी खिलाड़ियों का गढ़ कहे जाने वाले गांव से आते हैं. दिप्सन का गांव ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में है. सौनामारा गांव ने भारत को कई बेहतरीन हॉकी प्लेयर दिए. इनमें से एक दिप्सन टिर्की भी हैं. दिप्सन टिर्की का जन्म 15 अक्टूबह 1998 में हुआ था. दिप्सन का परिवार कॉफी गरीब था. लेकिन हॉकी के प्रति उनका लगाव बचपन से ही रहा. बचपन में जब बच्चे खिलौनों से खेलते हैं. उस वक्त दिप्सन झाड़ु से हॉकी खेलते थे. जब कुछ बड़े हुए तो गांव में उधार की हॉकी से खेलना शुरू किया. दिप्सन अपने पिता के साथ खेत पर काम करते थे. इसके अलावा जो समय बचता था, उसमें वो हॉकी खेलते थे. दिप्सन के बड़े भाई प्रशांत ने उनको हॉकी खेलने के लिए प्ररित किया.
सरकारी हॉस्टल में रहकर ली ट्रेनिंग-
दिप्सन ने हॉकी की ट्रेनिंग लेने के लिए राउरकेला को चुना. साल 2009 में वो स्टेट स्पोर्ट्स हॉस्टल में रहकर ट्रेनिंग लेने लगे. दिप्सन गरीब परिवार से थे. उनके लिए पैसों का इंतजाम करना घरवालों के लिए मुश्किल था. इसलिए दिप्सन सरकारी हॉस्टल में रहते थे. ओडिशा सरकार खिलाड़ियों के लिए ये हॉस्टल चलाती है. ट्रेनिंग के दौरान दिप्सन ने पुरानी हॉकी से सीखना शुरू किया.
16 साल में जूनियर टीम में डेब्यू-
दिप्सन शुरू से बेहतरीन हॉकी प्लेयर थे. इसलिए उनको जल्दी ही भारत की टीम में खेलने का मौका मिल गया. दिप्सन को सिर्फ 16 साल की उम्र में भारत की जूनियर टीम में खेलने का मौका मिल गया. दिप्सन कितने बेहतरीन खिलाड़ी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब साल 2014 में सुल्तान ऑफ जोहोर कप के जूनियर टीम को चुना गया तो उसमें दिप्सन टिर्की का भी नाम था. दिप्सन इस टीम के सबसे युवा खिलाड़ी थे. जुलाई 2016 में दिप्सन को इंग्लैंड और रूस दौरे के लिए जूनियर टीम की कमान भी सौंपी गई. दिप्सन टिर्की को साल 2016 में लखनऊ में आयोजित पुरुष हॉकी जूनियर विश्व कप के लिए टीम का उप-कप्तान बनाया गया. भारतीय टीम ने इस टूर्नामेंट में जीत हासिल की थी.
जल्द ही सीनियर टीम में मिला मौका-
सीनियर टीम में खेलने के लिए दिप्सन को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा. साल 2017 में दिप्सन को सीनियर टीम में खेलने का मौका मिला. बेल्जियम और नीदरलैंड्स के दौरे के लिए उनको टीम में चुना गया. लेकिन साल 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन खेलों में उनको टीम में जगह नहीं मिली थी. लेकिन जल्द ही वो भारतीय टीम में वापसी की.
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