भारतीय सेना के बिश्वोरजीत सिंह साइखोम रविवार को गोवा में आयरनमैन 70.3 ट्रायथलॉन स्पर्धा में पहले स्थान पर रहे. पुरुषों की 30-34 आयु वर्ग में भाग लेने वाले साइखोम ने 2025 आयरनमैन 70.3 वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई कर लिया है, जो स्पेन में आयोजित की जाएगी.
क्या होता है आईरनमैन 70.3 ट्रायथलॉन?
आयरनमैन 70.3 को हाफ आयरनमैन के नाम से भी जाना जाता है. यह एक ट्रायथलॉन है जिसका आयोजन वर्ल्ड ट्रायथलॉन कॉरपोरेशन (WTC) करती है. इसके नाम में '70.3' का संबंध इसकी दूरी से है. यह ट्रायथलॉन 70.3 मील यानी 113 किलोमीटर लंबी होती है.
इस ट्रायथलॉन में प्रतिभागियों को 1.2 मील यानी 1.9 किमी तैराकी करनी होती है. 56 मील यानी 90 किमी साइकिल चलानी होती है और 13.1 मील 21.1 किमी दौड़ लगानी होती है. आयरनमैन 70.3 सीरीज हर साल वर्ल्ड चैंपियनशिप के साथ खत्म होती है, जिसके लिए साइखोम क्वालिफाई कर चुके हैं.
वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए किया क्वालिफाई
इस जीत के साथ साइखोम ने आयरनमैन 70.3 ट्रायथलॉन की वर्ल्ड चैंपियनशिप में जगह बना ली है. वर्ल्ड चैंपियनशिप में क्वालिफाई करने के लिए एथलीट्स को मुख्य इवेंट से 12 महीने पहले इस सीरीज के किसी एक इवेंट में हिस्सा लेना होता है. पेशेवर ट्रायथलीट क्वालीफाइंग अवधि के दौरान दौड़ में प्रतिस्पर्धा करके, अपनी प्रो रैंकिंग के लिए अंक हासिल करते हैं. जिससे वह चैंपियनशिप दौड़ में जगह बना सकते हैं.
किसी एथलीट के पांच बेस्ट प्रदर्शनों को उसकी प्रो रैंकिंग में गिना जाता है. प्रो रैंकिंग में शीर्ष 50 पुरुष और शीर्ष 35 महिलाएं चैंपियनशिप दौड़ में जगह बना पाती हैं.
जीत के बाद क्या बोले बिश्वोरजीत?
भारत के 34 वर्षीय खिलाड़ी ने 04:32:04 घंटे में ट्रायथलॉन पूरा कर गोल्ड मेडल जीता. जबकि स्पेन के जोकिन बेरल ने 04:48:09 घंटे का समय लिया. यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि 2019 में इवेंट के उद्घाटन संस्करण में साइखोम ने 10 मिनट ज्यादा लिए थे. पिछले दो आयोजनों में वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे, लेकिन इस बार उन्होंने अनुशासन के साथ गोल्ड हासिल किया.
साइखोम ने इस जीत के बाद कहा, “मैं पिछले दो संस्करणों में अपने प्रदर्शन से निराश था और मैंने यहां जो किया है उसे करने के लिए इसे प्रेरणा के रूप में लिया. मेरे कोच और सेना ने बहुत बड़ा समर्थन प्रदान किया है. और मैं सबसे पहले उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं. मैंने जो भी कड़ी मेहनत की है, उसके बदले अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ हासिल करना बहुत फायदेमंद लगता है."