चम्पारण की बेटी काव्या कुमारी ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति व बुलंद हौसले की बदौलत निशानेबाजी में राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बना ली है. काव्या कुमारी की उम्र महज 16 साल है और इतनी कम उम्र में ही काव्या ने ऐसा निशाना साधा कि आज वो नेशनल और इंटरनेशनल मैच खेलने के लिए तैयार हैं.
काव्या के पास नहीं है रायफल का लाइसेंस
अब काव्या को भारतीय टीम के चयन के लिए ट्रायल में भाग लेना है लेकिन उनके पास अपनी रायफल नहीं है, वो भाड़े के रायफल से अपना करियर बना रही हैं. ऐसा नहीं है कि वो रायफल नहीं खरीद सकतीं, उनके दादा व पिताजी जमीन बेचकर अपनी बिटिया को बंदूक दिलाना चाहते हैं ताकि उनकी बेटी राष्ट्रीय व अंतररास्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रोशन कर सके लेकिन उन्हें बंदूक का लाइसेंस नहीं मिल रहा है. काव्या की फाइल डीएम कार्यालय में धूल फांक रही है.
21 साल की उम्र में मिल सकता है लाइसेंस
कार्यालय के लोगों का कहना है कि लाइसेंस उसी को दिया जाता है जिसकी उम्र कम से कम 21 वर्ष हो लेकिन खेल में ये नियम काम नहीं करता है क्योंकि खेल के नियमों के मुताबिक राष्ट्रीय स्पर्धा अथवा खेल के लिए बारह वर्ष में ये लाइसेंस मिल सकता है. काव्या के दादा को इंतजार है कि कब जिलाधिकारी उनकी बातों को सुनेंगे और लाइसेंस दिलाने में मदद करेंगे.
-मोतिहारी से सचिन पांडेय की रिपोर्ट