Yashvardhan Dalal: 8 साल की उम्र में शतक, अंडर 16 में 237 रन.. अब सीके नायडू ट्रॉफी में 400 रन बनाने वाले पहले खिलाडी बने यशवर्धन दलाल

CK Nayudu Trophy 2024: कर्नल सीके नायडू क्रिकेट ट्रॉफी में हरियाणा के यशवर्धन दलाल ने 426 रनों की पारी खेलकर इतिहास रच दिया. यशवर्धन ने ये पारी मुंबई के खिलाफ खेली. इस पारी की बदौलत दलाल ऐसे पहले क्रिकेटर बन गए हैं, जिन्होंने सीके नायडू ट्रॉफी में 400 रन बनाए हैं. दलाल ने इससे पहले भी कई बड़ी और बेहतरीन पारियां खेली हैं.

Yashvardhan Dalal (Photo/Instagram)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST

हरियाणा के बल्लेबाज यशवर्धन दलाल ने सीके नायडू ट्रॉफी में ऐतिहासिक पारी खेली है. यशवर्धन ऐसे पहले खिलाड़ी बन गए हैं, जिन्होंने इस ट्रॉफी में 400 रन बनाए हैं. इससे पहले ये रिकॉर्ड यूपी के समीर रिजवी का नाम दर्ज था, जिन्होंने पिछले साल 312 रन बनाए थे. यशवर्धन को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था. 8 साल की उम्र में ही उन्होंने पहला शतक लगा दिया था.

400 रन बनाने वाले पहले क्रिकेटर-
कर्नल सीके नायडू ट्रॉफी में हरियाणा और मुंबई के बीच मैच में ऐतिहासिक पारी खेली गई. हरियाणा के बल्लेबाज यशवर्धन दलाल ने 426 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली. इस पारी में उन्होंने 44 चौकों और 10 छक्के लगाए. यशवर्धन की इस पारी की बदौलत हरियाणा की टीम ने 732 रन का स्कोर खड़ा किया. यशवर्धन दलाल पहले ऐसे खिलाड़ी बन गए हैं, जिन्होंने नायडू ट्रॉफी में 400 से ज्यादा रन बनाए हैं.

यशवर्धन दलाल ने इससे पहले भी उन्होंने कई बड़ी पारी खेली है. उन्होंने अंडर-16 लीग में 237 रन की पारी खेली थी.

8 साल की उम्र में लगाया था पहला शतक-
यशवर्धन दलाल हरियाणा के झज्जर के रहने वाले हैं. उनके पिता शैलेंद्र प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, जबकि मां हाउस वाइफ हैं. वो दाएं हाथ से बल्लेबाजी और स्पिन गेंदबाजी करते हैं. दलाल ने 5 साल की उम्र से खेलना शुरू किया था. जब उनकी उम्र 8 साल थी तो उन्होंने पहला शतक लगाया था.
यशवर्धन दलाल की इस उपलब्धि में उनके कोच नवीन सैनी का बड़ा योगदान है. शुरुआती दौर में जब दलाल प्रैक्टिस के लिए अकादमी जाते थे तो उनको ले जाने और घर लाने की जिम्मेदारी कोच ने उठाई थी. कोच ने ये काम कई सालों तक किया.

5 किमी पैदल चलकर कोच के घर जाते थे यशवर्धन-
शुरुआत में यशवर्धन दलाल का घर स्टेडियम से दूर था. इसलिए उसको घर से स्टेडियम ले जाने की जिम्मेदारी कोच ने उठाई थी. लेकिन यशवर्धन का घर कोच के घर से साढ़े 5 किलोमीटर दूर था. जागरण डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक यशवर्धन रोज सुबह पैदल इतनी दूरी तय करता था और कोच के घर पहुंचता था. उसके बाद कोच उसे लेकर स्टेडियम जाते थे. सुबह प्रैक्टिस के बाद वो स्कूल जाता था और फिर शाम को घर लौटने पर प्रैक्टिस करता था. अभी भी  यशवर्धन रोहतक के कॉलेज में पढ़ाई करता है.

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