Jagmohan Dalmiya ने दिया आइडिया, बंद होने की कगार पर था टूर्नामेंट... धोनी के एक आइडिया ने बचाई Champions Trophy, जानिए इसकी कहानी

ICC Champions Trophy: आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी आठ साल बाद लौट रही है. यह टूर्नामेंट शुरू 1998 में हुआ. आखिरी बार 2017 में खेला गया. और इसके बंद होने की खबरें बार-बार उठीं. लेकिन 2013 के चैंपियन्स ट्रॉफी फाइनल ने इस टूर्नामेंट को बचा लिया. क्या है चैंपियन्स ट्रॉफी का इतिहास आइए डालते हैं नज़र.

भारत ने 2013 में चैंपियन्स ट्रॉफी जीती थी. (Photo/Getty)
शादाब खान
  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 10:18 AM IST
  • साल 1998 में पहली बार हुआ चैंपियन्स ट्रॉफी का आयोजन
  • 2013 में बंद होने की कगार पर था टूर्नामेंट

साल 2013 में जब इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्रॉफी (Champions Trophy 2013) की शुरुआत हुई तो इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) यह फैसला कर चुका था कि वह इसके बाद यह टूर्नामेंट आयोजित नहीं करेगा. टी20 क्रिकेट की लोकप्रियता चढ़ते हुए सूरज की रोशनी की तरह फैल रही थी. आईसीसी चाहता था कि खेल को ज्यादा देशों में फैलाया जाए. इसके लिए पैसे बचाने की जरूरत थी.

आईसीसी ने बजटिंग के लिए चैंपियन्स ट्रॉफी को खत्म करने का फैसला किया. ऐसा हो भी जाता लेकिन 23 जून 2013 को भारत और इंग्लैंड के बीच हुए चैंपियन्स ट्रॉफी फाइनल ने आईसीसी को यह फैसला बदलने के लिए मजबूर कर दिया. इसमें बड़ी भूमिका रही महेंद्र सिंह धोनी की. चैंपियन्स ट्रॉफी का क्या इतिहास है, इस टूर्नामेंट पर बंद होने का खतरा क्यों रहा और इसे कैसे बचाया गया, आइए डालते हैं इन सवालों के जवाबों पर नजर.

छोटे देशों तक क्रिकेट पहुंचाने के इरादे से शुरू हुआ टूर्नामेंट
यह बात उन दिनों की है जब क्रिकेट चुनिंदा देशों में सिमटा हुआ था. कई देश जो आज क्रिकेट जगत में नए शिखर चढ़ रहे हैं वे इस खेल के आसपास भी नहीं थे. ऐसे में भारतीय क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन के 'स्पिरिचुअल फादर' कहे जाने वाले जगमोहन डालमिया ने इस टूर्नामेंट का विचार आगे रखा. अव्वल तो इसका मकसद था ज्यादा फंड्स लाना. और दूसरा मकसद था छोटे देशों तक क्रिकेट को पहुंचाना.
 

आखिर आईसीसी ने 'विल्स इंटरनेशनल कप' के नाम से 1998 में पहली बार यह टूर्नामेंट आयोजित किया. बांग्लादेश में हुए इस टूर्नामेंट में नौ टीमों ने हिस्सा लिया, हालांकि इनमें खुद बांग्लादेश का नाम शामिल नहीं था. साउथ अफ्रीका ने फाइनल में वेस्ट इंडीज को हराकर खिताब अपने नाम किया.

दो बार बदला गया नाम
आईसीसी ने हर दो साल में यह टूर्नामेंट आयोजित करने का फैसला किया. इरादा था कि ज्यादा लोगों तक पहुंचा जाए और रेवेन्यू भी बढ़ाया जाए. साल 2000 में हुए 'आईसीसी नॉकआउट' टूर्नामेंट की शुरुआत भारत-केन्या मुकाबले से हुई. इस बार टूर्नामेंट में आईसीसी ने पैसे भी ज्यादा कमाए. 1998 में जहां आईसीसी को 10 मिलियन डॉलर की कमाई हुई थी, वहीं इस बार 13 मिलियन डॉलर की कमाई हुई. 

लेकिन समस्या वही ढाक के तीन पात. यह टूर्नामेंट क्रिकेट को लोकप्रिय नहीं कर पा रहा था. केन्या की राजधानी नैरोबी में हुए भारत-केन्या मैच में सर्वाधिक 4000 दर्शकों ने शिरकत की. बाकी मैचों में दर्शक इससे भी कम. जब आईसीसी ने 2002 में टूर्नामेंट का नाम दोबारा बदलकर 'चैंपियन्स ट्रॉफी' रखा तब भी इसकी खास धाक नहीं जमी. फिर फाइनल भारत और श्रीलंका के बीच बारिश के कारण ड्रॉ हो गया. इससे टूर्नामेंट के भविष्य को पुनः ठेंस पहुंची. 

...गिरने वाला था चैंपियन्स ट्रॉफी का शटर
क्रिकेट प्रेमियों के दिल में चैंपियन्स ट्रॉफी के लिए जगह बनाने की खातिर आईसीसी ने कई पैंतरे आज़माए. टीमों की संख्या को घटाकर 12 से आठ किया गया. टूर्नामेंट को हर दो साल की जगह हर चार साल कराने का कदम उठाया गया. लेकिन कोई कोशिश काम न आ सकी. आईसीसी ने आखिर फैसला लिया कि इसे बंद किया जाएगा. 

जब 2013 में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत न हो सकी तो आईसीसी ने फैसला किया इसकी जगह चैंपियन्स ट्रॉफी खेली जाएगी. लेकिन यह आखिरी चैंपियन्स ट्रॉफी होने वाली थी. स्टेज सज चुका था. वर्ल्ड कप 2011 की टॉप आठ टीमें टूर्नामेंट में हिस्सा लेने इंग्लैंड पहुंचीं. उधर, वर्ल्ड चैंपियन इंडिया की एकादश की सूरत बदल चुकी थी.

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर रिटायर हो गए थे. रोहित शर्मा और शिखर धवन की जोड़ी को ओपनिंग का ज़िम्मा दिया गया था. वर्ल्ड कप के नायक रहे वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, हरभजन सिंह और ज़हीर ख़ान जैसे खिलाड़ी टीम से बाहर जा चुके थे. कैंसर के कारण युवराज सिंह भी इस टीम का हिस्सा नहीं रहे थे.

कागज़ पर देखकर शायद ही किसी ने भारत को चैंपियन्स ट्रॉफी जीतने का दावेदार बताया हो, लेकिन यह टीम न सिर्फ जीतने के लिए बल्कि चैंपियन्स ट्रॉफी की किस्मत बदलने के लिए तैयार थी.

जब धोनी के एक फैसले ने बचा ली चैंपियन्स ट्रॉफी 
भारतीय टीम सभी बाधाओं को पार करते हुए फाइनल में पहुंच चुकी थी और उसका सामना था मेज़बान इंग्लैंड से. हालांकि आईसीसी ने शायद टूर्नामेंट शुरू होने से पहले इसे संजीदगी से लिया ही नहीं था. शायद इसी वजह से फाइनल के लिए कोई रिजर्व डे नहीं रखा गया. और यह मुकाबला क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के बजाय बर्मिंघम के एजबैस्टन स्टेडियम में हुई. 

जैसी की इंग्लैंड में उम्मीद थी, बादलों ने फाइनल में दस्तक दी. विडंबना यह थी कि जो टूर्नामेंट टी20 क्रिकेट के कारण खतरे में था, उसका फाइनल बारिश की वजह से 20 ओवर का ही हुआ. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 129 रन का स्कोर खड़ा किया. जानी-मानी परिस्थितियों में इंग्लैंड आसानी से लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी. 

इंग्लैंड ने 17 ओवर में 102 रन बना लिए थे और आखिरी 18 गेंदों में उसे सिर्फ 28 रन चाहिए थे. धोनी के पास एक-एक ओवर रवि अश्विन और जडेजा का बचा था. दो ओवर उमेश यादव के बचे थे, जिन्होंने अब तक 12 गेंद में सिर्फ 10 रन दिए थे. तीन ओवर में 19 रन देने वाले भुवनेश्वर कुमार का भी एक ओवर बचा था. और एक ओवर बचा था इशांत शर्मा का जो तीन ओवर में 29 रन देकर महंगे साबित हुए थे.

धोनी ने इशांत के अनुभव पर भरोसा करने का फैसला किया. भारतीय क्रिकेट प्रेमी, कॉमेंटेटर्स और किसी क्रिकेट वेबसाइट पर मैच का लाइव ब्लॉग चला रहे पत्रकार तक के लिए यह फैसला हैरान करने वाला हो सकता था. लेकिन इशांत ने धोनी के भरोसे को सही साबित करने के लिए सिर्फ छह गेंदों का समय लिया.

उन्होंने 18वें ओवर में नौ रन देकर ऑइन मॉर्गन और रवि बोपारा के विकेट चटका लिए. जीत की ओर बढ़ रही इंग्लैंड टीम का स्कोर अचानक 111/6 हो गया. जॉस बटलर भले ही इस वक्त क्रीज पर खड़े थे लेकिन बारिश के कारण धीमी हो चुकी पिच पर आखिरी दो ओवर में जडेजा और अश्विन की स्पिन पर हमलावर होना उनके लिए भी आसान नहीं था.
 

चैंपियन्स ट्रॉफी जीत का जश्न मनाती भारतीय टीम. (Photo/Reuters)

नतीजा यह हुआ कि जडेजा के 19वें ओवर में बटलर और टिम ब्रेसनन दोनों पवेलियन लौट गए. आखिरी ओवर में नौ रन बटोरने के बावजूद इंग्लैंड पांच रन से मैच हार गई. भारत की जीत से चैंपियन्स ट्रॉफी को ऐसा बूस्ट मिला कि आईसीसी ने टूर्नामेंट को बंद करने की योजना खत्म कर दी. साल 2017 में पाकिस्तान ने यह टूर्नामेंट जीता. 

कोविड और 2021-2022 में हुए टी20 वर्ल्ड कप्स के कारण 2021 की चैंपियन्स ट्रॉफी को रद्द कर दिया गया. लेकिन अब यह टूर्नामेंट नए कलेवर के साथ वापसी कर रहा है. पाकिस्तान को भी लंबे समय बाद किसी आईसीसी टूर्नामेंट की मेज़बानी करने का मौका मिल रहा है. आईसीसी को उम्मीद है कि पाकिस्तान जैसे क्रिकेट क्रेज़ी मुल्क में चैंपियन्स ट्रॉफी धमाकेदार वापसी करेगी. 
 

 

Read more!

RECOMMENDED