पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के पैर में गोली लगने के बाद से उनकी काफी चर्चा हो रही है. इमरान ने सियासत से लेकर क्रिकेट तक खूब शोहरत बटोरी है. आज इमरान भले ही सत्ता से बेदखल कर दिए गए हों, लेकिन एक वक्त उन्होंने सियासत पर काबिज होकर पाकिस्तान के हालातों को बदलने की ठानी थी. अब अगर क्रिकेट के सफर की बात करें तो एक वक्त ऐसा भी आया था जब इमरान ने पाकिस्तानी टीम की बागडोर संभाल कर उन्हें विश्व चैंपियन बनाया था.
28 साल में पाक टीम को दिलाई टेस्ट जीत
1982 में जब इमरान अपने करियर के पीक पर थे, उस वक्त उन्होंने पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की कप्तानी संभाली. शुरूआती दिनों में कप्तान बनने के बाद इमरान इतने शर्मीले थे, कि सीधे टीम से बात करने के बजाय प्रबंधक से बात करने को कहते थे. उस वक्त पाकिस्तानी टीम के हालात बेहद खराब थे, उस वक्त इमरान ने अंग्रेजी धरती पर 28 साल में पहली टेस्ट विजय दिलाई. एक कप्तान की तरह खान का पहला साल एक तेज गेंदबाज और एक ऑलराउंडर के रूप में उनकी उपलब्धि के शिखर पर था. उन्होंने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ टेस्ट गेंदबाजी लाहौर में श्रीलंका के खिलाफ 1981-82 में 58 रनों में 8 विकेट लेकर दर्ज की.
बाद में इसी साल एक बेहद मजबूत भारतीय टीम के खिलाफ घरेलू सीरीज में छह टेस्ट मैचों में 13.95 की औसत से 40 विकेट लेकर एक जबरदस्त प्रदर्शन किया. 1982-83 में इस सीरीज के अंत तक, ख़ान ने कप्तान के रूप में एक वर्ष की अवधि में 13 टेस्ट मैचों में 88 विकेट लिए.
सफल कप्तान से राजनीति की ओर मुड़े इमरान
क्रिकेट से राजनीति तक का सफर इमरान के लिए इतना आसान नहीं था. क्रिकेट अपने संन्यास की घोषणा के बाद उन्होंने पाकिस्तान की स्थापित राजनीतिक पार्टियों - पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रभुत्व को तोड़ने के लिए 1996 में तहरीक-ए-इंसाफ नाम की पार्टी बनाई.