Happy Birthday Vijayan: फुटबॉल मैच देखने के लिए स्टेडियम में बेचा करते थे सोडा, ठुकरा दिया था विदेश से खेलने का ऑफर, ऐसी है अर्जुन अवॉर्डी विजयन की कहानी

केरल के एक गरीब परिवार में पैदा हुए विजयन का पूरा नाम इंवलप्पिल मनी विजयन है. बचपन से ही उन्हें फुटबॉल देखने और खेलने का शौक था. वह मैच देखने के लिए थ्रिसुर स्टेडिम में सोडे की बोतल बेचा करते थे.

IM Vijayan (photo social media)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:34 AM IST
  • आईएम विजयन का जन्म 25 अप्रैल 1969 को केरल के त्रिसुर में हुआ था
  • 1993, 1997 और 1999 में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का मिला पुरस्कार 

भारत में पहले क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल का क्रेज था. हर गांव में फुटबॉल खेला जाता था. लोग इस खेल के इतने दीवाने थे कि जब कभी मैच प्रखंड, जिला या राज्यस्तर पर होता था तो उसे देखने के लिए भीड़ जुट जाती थी. हर कोई इस खेल से जुड़ना चाहता था. फुटबॉल के प्रति कुछ ऐसे ही दीवाने केरल के त्रिसुर में 25 अप्रैल 1969 को जन्में आईएम विजयन थे. उनके पास मैच देखने तक के लिए पैसे नहीं होते थे. वह स्टेडियम में सोडा बेचकर पैसे कमाते थे. उनमें से कुछ रुपए वह अपनी मां को देते थे और कुछ से टिकट खरीदकर मैच देखते थे. आइए आज इस अर्जुन अवॉर्डी फुटबॉलर की कहानी जानते हैं.

पहली बार केरल पुलिस के लिए फुटबॉल में भाग लिया
केरल के एक गरीब परिवार में पैदा हुए विजयन का पूरा नाम इंवलप्पिल मनी विजयन है. बचपन से ही उन्हें फुटबॉल देखने और खेलने का शौक था. वह मैच देखने के लिए थ्रिसुर स्टेडिम में सोडे की बोतल बेचा करते थे. विजयन ने 1987 में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार केरल पुलिस के लिए फुटबॉल में भाग लिया. उन्होंने खेल में अपनी अलग छाप छोड़ी. पुलिस में चार वर्षों तक कार्य करने के बाद विजयन ने केरल छोड़कर कलकत्ता क्लब फुटबॉल में शामिल होना बेहतर समझा क्योंकि उन्हें वहां अपना बेहतर भविष्य नजर आया. तब उन्होंने मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के दिग्गजों के साथ खेला. केरल पुलिस की फुटबॉल टीम से जुड़ने के बावजूद भी वह अपने परिवार के लिए घर बनाने में नाकाम रहे थे. 

थाईलैंड और मलेशिया से आए थे कई ऑफर
बंगाल में वह मोहन बागान की ओर से खेले और फैंस का दिल जीत लिया. बंगाल के लोग विजयन से इतना प्यार करते थे कि भारत का यह पूर्व कप्तान मौके मिलने पर भी यह क्लब नहीं छोड़ पाया. विजयन को थाईलैंड और मलेशिया से कई ऑफर आए लेकिन उन्हें लगता था कि अगर वह मोहन बागान छोड़ेंगे तो यह देश और उनके फैंस के साथ धोखा होगा. इस कारण उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया.

79 मैचों में 40 गोल दागे
स्ट्राइकर विजयन ने इंडिया के लिए 79 मैचों में 40 गोल दागे. विजयन ने 2000 से 2004 तक भारतीय टीम की अगुआई की. उनकी स्ट्राइकर बाईचुंग भूटिया के साथ जोड़ी बेहतरीन हुआ करती थी. क्लब स्तर पर वह मोहन बागान, केरल पुलिस और अब बंद कर दिए गए एफसी कोच्चि और जेसीटी मिल्स फगवाड़ा के लिए खेले थे. उन्हें 2003 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया था. उन्हें 1993, 1997 और 1999 में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार दिया गया था.

12 सेकेंड में गोल दाग बनाया रिकॉर्ड
1999 के सैफ खेलों में विजयन ने एक नई उपलब्धि हासिल की. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे तेज गोल करने का रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हो गया. उन्होंने नेट पर आने के 12 सेकेंड के भीतर भूटना के खिलाफ गोल दाग दिया. 

विदाई मैच में भी मारे गोल
विजयन का खेलों से विदाई लेने का वक्त आया तो उन्होंने विदाई को भी यादगार बना दिया. 2003 में अफ्रो-एशियाई खेलों में उम्दा प्रदर्शन कर विदाई ली. वह चार गोलकर दाग सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बने. खेल से संन्यास लेने के बाद विजयन एक पुरस्कार विजेता फिल्म संयम में काम किया. इस फिल्म को जयराज ने निर्देशित किया था.

उपलब्धियां
1. एम विजयन ने 1999 सैफ खेलों में सबसे तेज गोल मारने का रिकॉर्ड बनाया. 12 सेकेंड में गोल कर दिए थे.
2. 2003 के अफ्रो-एशियाई खेलों में चार गोल दागकर सर्वाधिक गोल मारने वाले खिलाड़ी बने.
3. साल 2002 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया.
4. सयंम फिल्म में अभिनय भी किया.


 

 

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