कहते हैं अगर इंसान कोई चीज शिद्दत से चाहता है तो उसे पाने के लिए जी-जान लगा देता है. एक ऐसे ही सुपर बरोडियन डैड हैं घनश्याम पाटीदार जिन्होंने एक दशक पहले घर पर ही अपनी बॉलिंग मशीन बनाई है. अपने 11 साल के बच्चे के जुनून और उसके प्रति अपने प्यार चलते उन्हें इस बॉलिंग मशीन को बनाने की हिम्मत मिली. दरअसल, बाजार में उपलब्ध बॉलिंग मशीन काफी महंगी होती है. जिसे खरीदने में घनश्याम सक्षम नहीं थे. लेकिन वे नहीं चाहते थे कि उनका बेटा प्रैक्टिस करने से चूके. घनश्याम को इसे बनाने में कुछ समय लगा लेकिन यह बन ही गई.
बच्चे के क्रिकेट करियर के लिए शिफ्ट हो गए घनश्याम
घनश्याम अपने बेटे परीक्षित के क्रिकेटिंग करियर के लिए मध्य प्रदेश से वड़ोदरा शिफ्ट हो गए थे. वे टीओआई को बताते हैं, "मैंने और मेरे बेटे परीक्षित ने मैन्युअल रूप से काम करने वाली बॉलिंग मशीन बनाने के लिए एक साथ काम किया, जो कैटापल्ट मैकेनिज्म पर काम करती थी."
घनश्याम ने बॉल फेंकने वाले को ऊंचाई देने और बाहों पर कम तनाव के साथ गेंद को पहुंचाने के लिए वाई-आकार की लोहे की पट्टी (स्ट्रेचेबल रबर ट्यूब के साथ) के साथ एक लोहे की सीढ़ी लगाई. घनश्याम कहते हैं, "यह काम कर गया, आज परीक्षित घंटों तक बल्लेबाजी की प्रैक्टिस करता है. इससे उसके शॉट्स के साथ-साथ टाइम में भी सुधार हुआ. कुछ साल के बाद, मैंने इसे सुधारने के बारे में सोचा. और फिर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन बनाई.”
आधी कीमत पर बना दी मशीन
घनश्याम आगे कहते हैं, "इलेक्ट्रॉनिक मशीन हो तो बल्लेबाज अकेले अपने दम पर प्रैक्टिस कर सकते हैं. कई टेस्टिंग और गलतियों के बाद, मैं अपनी बॉलिंग मशीन बनाने में कामयाब रहा. यह मुझे बाजार में बिकने वाले आधे से भी कम कीमत पर पड़ी और ये किसी भी दूसरी मशीन की तरह ही काम करती है."
आईपीएल खिलाड़ी भी मशीन का इस्तेमाल करते हैं
अंडर-23 टीम में खेलने वाले परीक्षित पाटीदार आज भी 'डैड मेड मशीन' पर अपने स्ट्रोक्स तेज करते हैं. परीक्षित कहते हैं, "मैंने सालों तक बॉलिंग मशीन पर प्रैक्टिस की है और घर में ही अपनी स्किल को सुधारा है.” घनश्याम की इस मशीन का उपयोग इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलने वाले कुछ क्रिकेटर भी कर रहे हैं.