माता-पिता करते हैं खेतों में मजदूरी, बेटे ने IWF Youth World Championship में गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

IWF Youth World Championships में गोल्ड मेडल जीतने वाले गुरुनायडू सनापति पहले भारतीय वेटलिफ्टर हैं. सनापति ने Asian Youth Weightlifitng Championships 2020 में कांस्य पदल जीता था.

Gurunaidu Sanapathi (Photo: Twitter@iwfnet)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 14 जून 2022,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST
  • 16 वर्षीय सनापति ने 55 किग्रा स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता
  • सनापति मूल रूप से आंध्र प्रदेश के विजयनगरम से हैं

गुरुनायडू सनापति मैक्सिको के लियोन में IWF युवा विश्व चैंपियनशिप (IWF Youth World Championship) में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले वेटलिफ्टर बन गए हैं. 16 वर्षीय सनापति ने रविवार देर रात 55 किग्रा स्पर्धा में 230 किग्रा (104 किग्रा + 126 किग्रा) का कुल प्रयास कर स्वर्ण जीता

Asian Youth Weightlifitng Championship 2020 के कांस्य पदक विजेता सनपति पहले स्थान पर रहे. वहीं सऊदी अरब के अली मजीद 229 किग्रा (105 किग्रा + 124 किग्रा) के साथ दूसरे और कजाकिस्तान के येरासिल उमरोव 224 किग्रा (100 किग्रा + 124 किग्रा) के साथ तीसरे स्थान पर रहे. 

खेतों में मजदूरी करते हैं पिता

सनापति मूल रूप से आंध्र प्रदेश के विजयनगरम से हैं और उनके पिता रामास्वामी सनापति खेतों में मजदूरी करके अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं. सनापति का जीवन संघर्षों से भरा हुआ रहा है. बचपन से गरीबी में पले-बढ़े सनापति के माता-पिता का एक ही सपना है कि उनके बेटे को सरकारी नौकरी मिल जाए. 

इसलिए ही उन्होंने गुरुनायडू को वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग के लिए अकादमी में भेजा. ताकि उनके बेटे की जिंदगी संवर जाए. अपने एक इंटरव्यू में गुरुनायडू ने बताया था कि उनके माता-पिता को राष्ट्रमंडल, एशियाड और ओलंपिक के बारे में ज्यादा नहीं पता है लेकिन उनका एक ही सपना है कि उनका बेटा खूब तरक्की करें.

पहली बार माता-पिता बैठे ट्रेन में

गुरुनायडू के परिवार की परेशानियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में उनके माता-पिता पहली बार ट्रेन में बैठे थे. और पहली बार आंध्र प्रदेश से बाहर निकले थे. गुरुनायडू अभी नाबालिग हैं और इसलिए मैक्सिको जाने से पहले उनके वीजा के लिए उनके माता-पिता को दिल्ली बुलाया गया.  

रामास्वामी अपनी पत्नी के साथ पहली बार ट्रेन में बैठकर दिल्ली पहुंचे. इस यात्रा के लिए उन्होंने इधर-उधर से उधार लेकर पैसों का इंतजाम किया. गुरुनायडू का कहना है कि उनके माता-पिता दिन-रात मेहनत करके घर चला रहे हैं. अगर कभी बारिश तेज आ जाए तो उनका घर टपकने लगता है और गुरुनायडू अपने परिवार को इन दुखों से निकालना चाहते हैं. 

उन्हें उम्मीद है कि उनके मेडल्स उन्हें नौकरी दिलवाने में मददगार साबित होंगे. ताकि वे अपने परिवार का सहारा बन सकें और अपने परिवार को अच्छी जिंदगी दे सकें. 

 

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