Happy Birthday Manasi Joshi : 12 घंटे OT में रहीं, पैर कटा... अस्पताल में 50 दिन बिताए, टाइम के कवर पेज पर छाने वालीं पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी की कहानी

अपने भाग्य को स्वीकार करना और हार मान लेना आसान है लेकिन, फिर से खड़े होकर आगे बढ़ने के लिए आपको अपने मन को ऐसे ही मजबूत बनाना पड़ता है, जैसे मानसी ने बनाया और आज वह दुनिया भर के लिए एक मिसाल हैं.

टाइम के कवर पेज पर छाने वालीं पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी
तनुजा जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 11 जून 2022,
  • अपडेटेड 1:13 PM IST
  • पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी का 33वां जन्मदिन आज
  • दुनिया भर के लिए एक मिसाल हैं मानसी जोशी

मानसी जोशी एक ऐसा नाम जिनकी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव आए. जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. मानसी की बचपन से ही बैडमिंटन में दिलचस्पी थी. बचपन में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट लेवल पर बैडमिंटन खेला लेकिन, बड़े होकर वह एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बनीं. अपने करियर में बहुत अच्छा कर रही थीं. 2011 में उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदलकर रख दी. 

आज विश्व चैंपियन पैरा बैडमिंटन प्लेयर मानसी जोशी का 33वां जन्मदिन है. 2020 में वह अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन के कवर पेज पर भी नजर आ चुकी हैं. इसपर उन्होंने कहा था कि 'टाइम एशिया 2020 के कवर पेज पर आना और टाइम 2020 नेक्सट जनरेशन लीडर का हिस्सा बनना मेरे लिए सम्मान की बात है'. 

महाराष्ट्र की रहने वाली मानसी साल 2011 के एक्सीडेंट के बाद अपना एक पैर गंवा चुकी थीं. ओटी में 12 घंटे रहीं, पैर कटा और जिंदगी के 50 दिन उन्होंने अस्पताल में गुजारे. अस्पताल में रहते हुए ही उन्होंने मन बना लिया था कि वह बैडमिंटन में अपना करियर बनाएंगी. चार महीने बाद उन्होंने आर्टिफिशियल पैर लगवाया और खेल के मैदान में उतर गईं. तीन साल उन्होंने खूब मेहनत की और  2014 तक एक प्रोफेशनल बैडमिंटन प्लेयर बन चुकी थीं. 

दुनियाभर के लिए मिसाल बनीं मानसी 

अपने भाग्य को स्वीकार करना और हार मान लेना आसान है लेकिन, फिर से खड़े होकर आगे बढ़ने के लिए आपको अपने मन को ऐसे ही मजबूत बनाना पड़ता है, जैसे मानसी ने बनाया. पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जिंदगी को एक एक्सीडेंट ने हमेशा के लिए बदल दिया लेकिन, उन्होंने अपने दुखों के बारे में सोचने से ज्यादा अपनी आगे की जिंदगी के बारे में सोचा. अपने आत्मविश्वास से आज वह बैडमिंटन में जबरदस्त सफलता हासिल कर चुकी हैं और दुनिया भर के लिए मिसाल बन गई हैं. 

2017 से मिलना शुरू हुई कामयाबी 

मानसी के हाथ पहली बड़ी कामयाबी साल 2017 में लगी, जब उन्होंने कोरिया में हुए विश्व चैंपियनशिप में कांस्य (ब्रॉन्ज़) मैडल जीता. इसके बाद बीडब्लूएफ पैरा वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप (BWF Para World Badminton Championship) में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने किर्तिमान ही रच दिया.

मानसी बैडमिंटन में करियर बनाने के लिए कभी इच्छुक नहीं थीं. उनके पिता होमी भाभा रिसर्च सेंटर में रिसर्च साइंटिस्ट थे और उनके साथ सिर्फ कभी-कभी बैडमिंटन खेल लिया करते थे. अपने शुरुआती दिनों में, उन्होंने कोच माधव लिमये और विलास दामले से ट्रेनिंग ली. समर बैडमिंटन कैंप में चुने जाने तक उन्हें इस खेल में कितनी कुशल थी, इसका कभी एहसास नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने अपने स्कूल, कॉलेज और जिले के साथ-साथ कई बैडमिंटन टूर्नामेंट्स में प्रतिनिधित्व किया. 

मानसी ने के.जे. से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है. इसके बाद वह एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बनीं. जिंदगी में सब अच्छा चल रहा था लेकिन, एक एक्सीडेंट के बाद उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया और उन्हें एक सिंथेटिक पैर लगवाना पड़ा. उन्हें फिर से चलने फिरने और काम पर वापस आने में लगभग पांच महीने का समय लगा. 

मानसी पैरा-बैडमिंटन में 'स्टैंडिंग लोअर एसएल 3' कैटेगरी में खेलती करती हैं.  इस श्रेणी में, एक खिलाड़ी को खड़े होकर खेलना होता है.
 
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