Happy Birthday Krishna Poonia: भैंस का दूध निकालती थी कॉमनवेल्थ में सोना जीतने वाली खिलाड़ी, अब विधानसभा में उठाती हैं आवाज

कृष्णा पूनिया ने खेल की दुनिया से सियासत तक का सफर तय किया. इस दौरान उनको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन हर वो समस्याओं पर जीत हासिल करती गईं.

कृष्णा पूनिया (Facebook/Dr. krishna Poonia)
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:54 PM IST
  • कृष्णा पूनिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता गोल्ड मेडल
  • खेल के बाद पूनिया ने सियासत में रखा कदम
  • सादुलरपुर से विधायक हैं कृष्णा पूनिया

खेल की दुनिया से सियासत तक का सफर... इस लाइन में कृष्णा पूनिया की पूरी जिंदगी सिमटी है. लेकिन इसके हर एक शब्द के पीछे की मेहनत और संघर्ष इस खिलाड़ी को जिंदादिल बनाती है. फिलहाल कृष्णा पूनिया की पहचान एक पॉलिटिशियन की है. लेकिन वो डिस्कस थ्रो में जलवा दिखा चुकी हैं.

ओलंपिक तक का सफर-
कृष्णा पूनिया को बचपन से खेल से लगाव था. कृष्णा ने डिस्कस थ्रो को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया और खूब मेहनत की. उनकी मेहनत भी जल्द ही रंग लाई. कृष्णा यूनिवर्सिटी लेवल की प्रतियोगिताओं में मेडल जीतने लगी. वो रिकॉर्ड तोड़ती गईं और मेडल इकट्ठा करती गईं. कृष्णा पूनिया ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में 48 साल का रिकॉर्ड तोड़ डाला. इसके बाद हर कोई उनको जानने लगा. नेशनल लेवल के लिए चुन ली गईं. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. कृष्णा ने साल 2004, 2008 और 2012 ओलंपिक में हिस्सा लिया.

ब्रॉन्ज से लेकर गोल्ड तक जीता-
कृष्णा पूनिया ने दो बार एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. जबकि कॉमनवेल्थ गेम्स में एक बार गोल्ड पर कब्जा किया है. 2006 में दोहा और 2010 में ग्वांगझू एशियाड में कांस्य पदक जीता. दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में कृष्णा ने गोल्ड मेडल जीता. डिस्कस थ्रो में उनकी कामयाबी के लिए साल 2011 में पद्मश्री से नवाजा गया.

सियासत में मिली सफलता-
खेल के बाद कृष्णा पूनिया ने सियासत में किस्मत अजमाने का फैसला किया. साल 2013 में कृष्णा ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली. 2013 विधानसभा चुनाव में चुरू के सादुलपुर सीट से मैदान में उतरीं. लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया. पहली बार कृष्णा पूनिया को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन खिलाड़ी की तरह कृष्ण ने मैदान नहीं छोड़ा. लगातार जनता के बीच रहीं. 2018 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने कृष्णा पूनिया को मौका दिया. इस बार कृष्णा ने पार्टी को निराश नहीं किया और सादुलपुर से विधायक चुनी गईं.

भैंस का दूध निकालती थीं कृष्णा-
15 मई 1982 को कृष्णा पूनिया का जन्म हरियाणा के अग्रोहा में एक जाट परिवार में हुआ था. कृष्णा के पिता डेयरी फार्म हाउस चलाते थे. इस दौरान कृष्णा भी डेयरी फार्म जाती थीं और भैंसों का दूध खुद निकालती थीं.

कृष्णा के प्यार की कहानी-
कृष्णा पूनिया ने लव मैरिज हुई है. एक दोस्त की शादी में कृष्णा की मुलाकात वीरेंद्र पूनिया से हुई थी. पहली नजर में ही दोनों को प्यार हो गया. 24 नवंबर 1999 को दोनों ने शादी कर ली. दोनों ने शादी से पहले एक साथ कैंप भी कर चुके थे. वीरेंद्र पूनिया राजस्थान के चुरू जिले के राजगढ़ के रहने वाले हैं. कृष्णा का एक 15 साल का बेटा है, जिसका नाम लक्ष्यराज है. जब लक्ष्यराज 6 महीने का था, उस वक्त दोनों उसे घर पर छोड़कर नेशनल कैंप में चले गए थे. कृष्णा के पति वीरेंद्र पूनिया भी एथलीट रहे हैं. उनको द्रोणाचार्य पुरस्कार मिल चुका है.

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