Nicholas Pooran: 19 की उम्र में कार एक्सिडेंट से खत्म होने वाला था करियर, अब आईपीएल में छक्के-चौकों की कर रहे हैं बरसात... पढ़िए व्हीलचेयर से लखनऊ तक निकोलस पूरन की कहानी

लखनऊ जब शनिवार को गुजरात टाइटन्स से भिड़ी तब भी पूरन ने 34 गेंद पर 61 रन की तूफानी पारी खेली. जब पूरन गुजरात के गेंदबाजों के पसीने छुड़ा रहे थे तब कोई भी यह नहीं कह सकता था कि उनका करियर 19 की उम्र में 'खत्म' हो गया था. पूरन ने दरअसल यह कहानी अपने हौसले के दम पर लिखी है.

पूरन इस समय लखनऊ सुपरजायंट्स के लिए खेल रहे हैं.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST

लखनऊ सुपर जायंट्स (Lucknow Super Giants) के कप्तान ऋषभ पंत ने एक जानलेवा कार एक्सिडेंट में बाल-बाल बचने के बाद क्रिकेट फील्ड पर वापसी करके सभी की सराहना हासिल की है. यह दुर्घटना पंत का करियर खत्म कर सकती थी, लेकिन उसके बाद पिच पर लौटकर ऐसे खेलना जैसे कुछ हुआ ही न हो. यह हर खिलाड़ी के बस की बात नहीं है. 

पंत हालांकि क्रिकेट फील्ड पर इस तरह की वापसी करने वाले सुपरजायंट्स के एकमात्र खिलाड़ी नहीं हैं. उनकी टीम के साथी निकोलस पूरन का सफर भी कुछ ऐसा ही रहा है. जब पूरन 19 साल के थे तब एक सड़क दुर्घटना ने उनका क्रिकेट करियर लगभग खत्म कर दिया था. लेकिन अब वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से लेकर आईपीएल तक क्रिकेट में अपने छक्कों-चौकों से सभी को हैरान कर रहे हैं. 

लखनऊ जब शनिवार को गुजरात टाइटन्स से भिड़ी तब भी पूरन ने 34 गेंद पर 61 रन की तूफानी पारी खेली. जब पूरन गुजरात के गेंदबाजों के पसीने छुड़ा रहे थे तब कोई भी यह नहीं कह सकता था कि उनका करियर 19 की उम्र में 'खत्म' हो गया था. लेकिन पूरन ने यह सफर कैसे तय किया? आइए डालते हैं उनके जीवन के सबसे मुश्किल दौर पर एक नजर. 

त्रिनिदाद में खत्म हो गया था करियर...
यह बात जनवरी 2015 की है. अंडर-19 वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन करने के बाद पूरन का नाम कितने ही क्रिकेट प्रेमियों की जबान पर था. वह बलमेन में अपने ट्रेनिंग सेंटर से कूवा की ओर अपने घर जा रहे थे कि तभी मौत उनकी आंखों के सामने आ गई. तेज़रफ्तार सड़क पर पूरन ने पीछे से आती हुई एक सनसनाती कार को रास्ता दिया. लेकिन इस कोशिश में उनकी गाड़ी एक रेत के टीले से जा टकराई.

पूरन सड़क पर लौटने की कोशिश कर ही रहे थे कि एक अन्य गाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी. जब पूरन की आंख खुली तो उनकी गाड़ी तहस-नहस हो चुकी थी. उन्होंने कई साल बाद डेली मेल को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा, "दुर्घटना के बाद एंबुलेंस आई. मुझे बहुत दर्द हो रहा था. मैं बस यह चाहता था कि वे मुझे किसी तरह बेहोश कर दें." 

जब पूरन को दोबारा होश आया तो वह हॉस्पिटल में थे. उन्होंने अपने पैर हिलाने की कोशिश की लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके. सिर उठाकर देखा तो पैरों पर मोटा प्लास्टर चढ़ा था. पूरन अपने पैर महसूस नहीं कर पा रहे थे. पूरन 12 दिन हॉस्पिटल में रहे और पूरे वक्त पेनकिलर लेते रहे.

एक दिन उन्होंने डॉक्टर से पूछा कि क्या वह दोबारा क्रिकेट खेल सकते हैं? डॉक्टर की खामोशी में पूरन को उनका जवाब मिल गया. पूरन ने फिर पूछा, "क्या मैं दौड़ सकूंगा?" डॉक्टर ने कहा, "शायद." पूरन ने आखिरी सवाल किया कि क्या वह कम से कम दौड़ सकेंगे? डॉक्टर ने कहा, "हां, लेकिन अपना बायां पैर पूरी तरह नहीं मोड़ पाओगे."

पूरन जानते थे कि वह बिना पैर मोड़े क्रिकेट तो नहीं खेल पाएंगे. फिर वह एक विकेटकीपर थे. कुछ महीने पहले तक राष्ट्रीय टीम के सेलेक्टर पूरन के नाम पर चर्चा कर रहे थे. लेकिन अब पूरन एक ऐसे मकाम पर खड़े थे जहां से उन्हें कोई रास्ता नहीं दिख रहा था. लेकिन पूरन की किस्मत में एक दुखद अंत नहीं, मृदुल वसंत लिखा था.

ईश्वर, प्रेम और पोलार्ड...
पूरन की दो सर्जरी हुईं. अस्पताल से निकलने के छह महीने बाद तक वह व्हीलचेयर पर रहे. यह उनकी जिन्दगी के सबसे मुश्किल छह महीने थे लेकिन ये उनका हौसला नहीं तोड़ सके. पूरन ट्रिनिडैड गार्डियन नाम के अखबार से एक इंटरव्यू में कहते हैं कि इस दौरान वह अपनी गर्लफ्रेंड अलीसा की पहले से ज्यादा कदर करने. आगे चलकर दोनों ने शादी कर ली. वह हर रोज़ ईश्वर से प्रार्थना करते कि उन्होंने इस मुश्किल समय से गुज़रने की शक्ति मिले.

जब पूरन रिकवर होने लगे तो क्रिकेट वेस्ट इंडीज ने उनके इलाज का खर्च उठाना बंद कर दिया, हालांकि बोर्ड के फिज़ियोथेरेपिस्ट उनके साथ जुड़े रहे. उसी वक्त कीरन पोलार्ड भी उनकी जिन्दगी में मदद का हाथ बढ़ाते हुए आए. पोलार्ड खुद भी एक घुटने की चोट से उभर रहे थे. सो दोनों के बीच में एक अच्छा बॉन्ड बन गया. जब दोनों ही खिलाड़ी अपने पैरों पर खड़े हो गए तो उन्होंने दौड़ना और जिम जाना भी शुरू कर दिया.

पूरन को जिस चीज़ की उम्मीद नहीं थी वह हो गया. वह क्रिकेट के लिए फिट हो चुके थे. पोलार्ड ने उन्हें एडी टोलकार्ड नाम के स्पोर्ट्स एजेंट से मिलाया. उस सड़क हादसे के महज़ एक साल के अंदर ही पूरन बांग्लादेश प्रीमियर लीग खेल रहे थे. बोर्ड ने पूरन पर छह महीने का बैन लगा दिया, लेकिन क्रिकेट की पिच पर तो वह उतर चुके थे.

अब लखनऊ के लिए मचा रहे धमाल
पूरन ने 23 सितंबर 2016 को वेस्ट इंडीज के लिए डेब्यू किया था और उसके बाद से वह टीम के एक अहम खिलाड़ी रहे हैं. बात करें आईपीएल की तो वह 2019 से इस लीग में हिस्सा ले रहे हैं. बीते तीन सीज़न से पूरन लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए खेल रहे हैं. अपनी तूफानी बल्लेबाजी से उन्होंने सुपर जायंट्स के मिडल ऑर्डर में अपनी जगह पक्की कर ली है. 

बात करें इस सीज़न की तो वह 69.80 की औसत और 215.43 के स्ट्राइक रेट से 349 रन बना चुके हैं. पूरन के जीवन और करियर की टाइमलाइन यह गवाही देती है कि आपका जीवन भले ही आपको कितना भी नीचे फेंक दे, अगर आपको खुद पर विश्वास है और अपनी चाहत के लिए दिल में जुनून है तो आप पाताल के अंधकारों से वापसी करके आसमान पर राज कर सकते हैं. 

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