ICC Men's Cricket World Cup 2023: पिता की वजह से संवर गया श्रेयस अय्यर का क्रिकेट करियर, 16 साल की उम्र में खोने लगे थे राह

ICC Men's Cricket World Cup 2023 के पहले सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराकर टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाने में क्रिकेटर श्रेयस अय्यर का भी अहम योगदान रहा. उन्होंने मैच में शतक जड़ा.

Shreyas Iyer
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 16 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर ने ICC मैन्स वर्ल्ड कप 2023 में खुद को बेहतर बल्लेबाज के तौर पर साबित किया है. उन्होंने सभी मैचों में अहम भूमिका निभाते हुए टीम की जीत में योगदान दिया है. इसके साथ ही, वर्ल्ड कप की शुरुआत में उनके चयन पर उठ रहे सवालों को उन्होंने मुंहतोड़ जवाब दिया है. श्रेयस का क्रिकेट में अब तक का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है. लेकिन उन्होंने हमेशा वापसी करके खुद को साबित किया है. 

श्रेयस के लिए कहा जाता है कि उन्हें अपने डेब्यू (दिसंबर 2021) से लगभग तीन साल पहले टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करना चाहिए था, लेकिन परिस्थितियों के कारण उनका डेब्यू लेट हुआ. इसी तरह, उन्हें 2019 विश्व कप के लिए भारत के नंबर 4 के रूप में देखा गया, लेकिन वह अवसर कभी पूरा नहीं हुआ और इस बार जैसे ही उन्हें मौका मिला, उन्होंने अपनी छाप छोड़ी. इस मुकाम पर पहुंचने के लिए श्रेयस ने बहुत कम उम्र से मेहनत की और सबे बड़ी बात यह रही कि उनके परिवार, खासकर कि उनके पिता ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया. 

आज वह जो कुछ भी हैं उसका श्रेय अपने पिता को देते हैं. और यह सही भी है क्योंकि जिस उम्र में माता-पिता बच्चों को और बेहतर करने के लिए धक्के मार रहे होते हैं, उस उम्र में उनके पिता ने उनकी मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता दी और सही समय पर उन्हें संभाल लिया.  

11 साल की उम्र से शुरू की ट्रेनिंग 
श्रेयस के पिता, संतोष अय्यर 11 साल की उम्र में उन्हें शिवाजी पार्क जिमखाना (एसपीजी) ले गए थे. एसपीजी में प्रवीण आमरे, पद्माकर शिवलकर और संदेश कावले की प्रतिष्ठित कोचिंग तिकड़ी ने श्रेयस की क्षमता को पहचाना. लेकिन तब तक बच्चों को चुनाव हो चुका था और श्रेयस को उनके बैच में शामिल होने के लिए एक साल तक इंतजार करना पड़ा. शिवलकर और कावले के सतर्क मार्गदर्शन में श्रेयस ने तेजी से सुधार दिखाया. 

श्रेयस ने लगातार अपनी स्किल्स को अच्छा किया. उन्होंने अंडर-16 खेलना शुरू किया. लेकिन एक समय ऐसा आया कि श्रेयस अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहे थे. यह देखकर उनके पिता, संतोष ने उनके कोच और मेंटर्स से बात की. उन्होंने श्रेयस की परेशानी और अशांत मन की वजह जानने की कोशिश की. जब उन्होंने कोचों से बात की उन्होंने कहा कि आपका बेटा अच्छा खेलता है लेकिन उसका फोकस थोड़ा भटक गया है. 

मेंटल हेल्थ को दी प्राथमिकता 
संतोष अय्यर ने उस समय 16 साल के श्रेयस को डांटने या जबरदस्ती पुश करने की बजाय कुछ ऐसा किया जिसकी आज भी चर्चा होती है. जिस जमाने में लोग मेंटल हेल्थ को ज्यादा महत्व नहीं देते थे तब संतोष अय्यर श्रेयस को मनोवैज्ञानिक के पास लेकर गए ताकि उन्हें एक्सपर्ट की हेल्प मिले और वे अपने मन की उदासी से बाहर निकले. स्पोर्ट्स काउंसलर ने श्रेयस के साथ समय बिताया और उनकी परेशानी समझी और काउंसलिंग की. 

काउंसलर ने श्रेयस के पिता से कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है. श्रेयस भी दूसरे क्रिकेटर्स की तरह बस एक खराब फेज से गुजर रहे हैं. उन्हें थोड़ा टाइम दिया जाए तो वह वापसी कर लेंगे. संतोष अय्यर के इस कदम से श्रेयस का मनोबल भी बढ़ा और कुछ ही समय में वह फिर से गेम में वापसी कर गए और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. यह सब हुआ उनके पिता की सही समझ के कारण, जिन्होंने अपने बेटे को उसका समय दिया. आज श्रेयस अय्यर में भारतीय क्रिकेट टीम अपना भविष्य देखती है. 

 

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