ICC New Rule: इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आईसीसी ने मंगलवार को वनडे और टी-20 फॉर्मेट के लिए नए नियम का ऐलान किया. इसे स्टॉप क्लॉक का नाम दिया गया है. इस नियम के तहत बल्लेबाजी टीम को बिना गेंद खेले पांच रन मिल सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे?
खेल की गति को बढ़ाने के लिए लाया गया ये नियम
आईसीसी ने दिसंबर 2023 से अप्रैल 2024 तक पुरुषों के वनडे और टी-20 क्रिकेट में ट्रायल के रुप में स्टॉप क्लॉक शुरू करने पर सहमति व्यक्त की. इस घड़ी का उपयोग ओवरों के बीच लगने वाले समय को कम करने के लिए किया जाएगा. नए नियम के मुताबिक यदि कोई गेंदबाजी करने वाली टीम एक पारी में तीसरी बार पिछले ओवर के पूरा होने के बाद अगला ओवर फेंकने में 60 सेकेंड से अधिक का समय लेती है, तो उस पर 5 रन की पेनल्टी लगेगी.
पेनल्टी रन मैच के रिजल्ट को कर सकता है प्रभावित
यह फैसला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की बोर्ड बैठक में लिया गया. ये नियम खेल की गति को बढ़ाने के लिए लाया गया है. इसके पीछे कारण ये है कि कई बार मैच तय समय में पूरे नहीं हो पाते. ऐसे में कई बार टीमों पर जुर्माना लगाया जाता है. लेकिन पेनल्टी रन मैच के रिजल्ट तक को प्रभावित कर सकते हैं.
पहली और दूसरी बार नहीं लगेगा पेनल्टी
आईसीसी ने बयान में कहा कि बोर्ड ने बैठक के बाद वनडे और टी-20 क्रिकेट में नए नियम को लागू करने पर सहमति दे दी है. हर टीम को अगला ओवर हर हाल में पिछले ओवर के खत्म होने के 60 सेकेंड के अंदर शुरू करना होगा. पहली और दूसरी बार ऐसा नहीं करने पर पेनल्टी का नियम नहीं है. लेकिन एक पारी में कोई टीम तीसरी बार ऐसा करती है, तो उस पर 5 रन की पेनल्टी लगेगी. यानी विरोधी टीम के स्कोर में 5 रन जोड़ दिए जाएंगे. आईसीसी ने पिच को बैन करने के नियम में भी बदलाव किया है.
पिच और ऑउटफील्ड को लेकर भी नियम
अहमदाबाद में हुई आईसीसी की मीटिंग में पिच और आउटफील्ड निगरानी नियमों में बदलाव को भी मंजूरी दी गई है. नए नियम के मुताबिक,अब 6 डिमेरिट अंक के बाद ही किसी मैदान (5 साल के भीतर) पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. पुराने नियम के मुताबिक 5 साल के अंदर किसी मैदान को 5 डिमेरिट अंक मिलते हैं तो फिर वह 1 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की मेजबानी से बाहर हो जाता है.
पहले से स्लो ओवर रेट के लिए है ये नियम
एकदिवसीय मुकाबलों में बोलिंग साइड को 50 ओवर फेंकने के लिए 3.5 घंटे दिए जाते हैं. वहीं, टी-20 में टीम को 20 ओवर फेंकने के लिए एक घंटे और 25 मिनट मिलते हैं. यदि कोई भी टीम समय रहते ओवर्स पूरे नहीं करती है तो स्लो ओवर रेट के नियम के चलते टीम को बचे हुए ओवर्स में 30 यार्ड के सर्कल के अंदर एक खिलाड़ी ज्यादा रखना पड़ता है. यह नियम 2022 में आईसीसी ने लागू किया था.
इसके साथ ही आईसीसी आचार संहिता के अनुच्छेद 2.22 के तहत जुर्माने का भी प्रावधान है. कई बार वनडे के मुकाबले 8 घंटे से अधिक तक समय खींच जाते हैं. इसे लेकर मैच ऑफिशियल्स और ब्रॉडकॉस्टर ने सवाल उठाए थे. भारत और साउथ अफ्रीका के बीच टी-20 सीरीज अगले महीने से शुरू हो रही है. दोनों के बीच वनडे के मुकाबले भी खेले जाएंगे. ऐसे में यह नियम दोनों ही सीरीज पर लागू होगा.
बल्लेबाजी करने वाली टीम को होगा फायदा
स्टॉप क्लॉक के नियम से अब बल्लेबाजी की टीम को फायदा होगा. यदि कोई भी टीम पिछले ओवर पूरा होने के अगला ओवर फेंकने के लिए 2 बार से ज्यादा 60 सेकेंड का समय लेती है को बल्लेबाजी की टीम को 5 रन दिए जाएंगे. हमेशा देखा गया है कि मैच का नतीजा बदलने के लिए 1-1 रन काफी होता है. ऐसे में ये 5 रन बल्लेबाजी की टीम के लिए काफी काम आ सकते हैं.
'मेल प्यूबर्टी' वाले प्लेयर्स की महिला क्रिकेट में नहीं होगी एंट्री
आईसीसी ने उन क्रिकेटर्स को अंतरराष्ट्रीय महिलाओं के खेल में प्रतिस्पर्धा करने से रोक दिया जो 'मेल प्यूबर्टी' हासिल कर चुके हैं. मेल प्यूबर्टी का मतलब है कि पुरुषों में किशोरावस्था के दौरान लिंग परिवर्तन. आईसीसी के रूल के मुताबिक मेल प्यूबर्टी हासिल करने वाले प्लेयर्स की महिला क्रिकेट में अब एंट्री नहीं होगी.
आईसीसी ने साफ किया कि वह अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट की अखंडता और खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए यह फैसला ले रहा है. आईसीसी ने जारी बयान में बताया, नई नीति कुछ सिद्धांतों (प्राथमिकता के क्रम में) पर आधारित है. इसमें महिलाओं के खेल की अखंडता, सुरक्षा, निष्पक्षता और समावेशन शामिल हैं. इसका मतलब है कि कोई भी पुरुष से महिला बनने वाले प्रतिभागी जो किसी भी प्रकार की मेल प्यूबर्टी से गुजर चुके हैं वे सर्जरी या लिंग परिवर्तन उपचार के बावजूद अंतरराष्ट्रीय महिला खेल में भाग लेने के पात्र नहीं होंगे.
क्या घरेलू क्रिकेट में भी होगा लागू
आईसीसी ने अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट के लिए लिंग पात्रता के नियमों को मजबूत करते हुए घरेलू स्तर पर इस मुद्दे को सदस्य बोर्डों के हाथों में छोड़ दिया. आईसीसी के मुताबिक, यह फैसला डॉ. पीटर हरकोर्ट की अध्यक्षता वाली आईसीसी चिकित्सा सलाहकार समिति के नेतृत्व में की गई समीक्षा पर आधारित है. यह पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट के लिए लैंगिक पात्रता से संबंधित है. घरेलू स्तर पर लैंगिक पात्रता के मामले में प्रत्येक सदस्य बोर्ड का अपना कानून होगा. इस नियम की दो साल के अंदर समीक्षा की जाएगी.