भारत ने बुधवार को जिम्बाब्वे को 23 रन से हराकर पांच मैचों की सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली. भारत ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी करते हुए जिम्बाब्वे के सामने 183 रन का लक्ष्य रखा. जिम्बाब्वे इसके जवाब में 20 ओवर में 159 रन ही बना सका. हरारे स्पोर्ट्स क्लब में खेले गए लगातार तीसरे मैच की खास बात यह रही कि इस मुकाबले से भारत और जिम्बाब्वे दोनों ही टीमें कुछ सकारात्मक बातें सीखकर गईं.
मुश्किल पिच पर दिखा गिल-गायकवाड़ का कौशल
टॉस जीतकर बल्लेबाजी करते हुए भारत ने तीन ओवर में 41 रन बना लिए. पारी की शुरुआत करने उतरे यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) और शुभमन गिल (Shubhman Gill) दोनों ही तेजी से रन बटोर रहे थे कि तभी जिम्बाब्वे ने अपनी योजनाओं में बदलाव किया. पिच कुछ जगहों से धीमी और कुछ जगहों से तेज गेंदबाजी की मदद (Two-Paced Pitch) कर रही थी.
जिम्बाब्वे ने इस बात का फायदा उठाना शुरू किया. कप्तान सिकंदर रजा ने खतरनाक दिख रहे जायसवाल और अभिषेक शर्मा को पवेलियन लौटाया. मध्य ओवरों में जिम्बाब्वे की गेंदबाजी में अनुशासन देखने को मिला लेकिन गिल और रुतुराज गायकवाड़ (Ruturaj Gaikwad) की जोड़ी पिच पर डटी रही. दोनों के बीच तीसरे विकेट के लिए हुई 72 रन की साझेदारी भारत को अच्छे स्कोर तक पहुंचाने के लिए अहम साबित हुई. गिल ने 49 गेंद पर सात चौकों और तीन छक्कों के साथ 66 रन बनाए. गायकवाड़ ने 28 गेंद पर चार चौकों और तीन छक्कों के साथ 49 रन बनाते हुए पारी को अच्छी फिनिश दी.
सुंदर की चतुर गेंदबाजी रही फायदेमंद
लक्ष्य का पीछा करने उतरी जिम्बाब्वे ने समय-समय पर आक्रामकता की झलकियां दिखाईं, लेकिन कभी भी भारत के लिए खतरा पैदा करती हुई नहीं दिखी. मेजबान टीम की रफ्तार पर अंकुश लगाने में सबसे बड़ा योगदान वाशिंगटन सुंदर का रहा. सुंदर ने अपने चार ओवर में सिर्फ 15 रन देते हुए तीन विकेट चटकाए. इसके अलावा खलील अहमद ने भी चार ओवर में एक विकेट लेते हुए सिर्फ 15 रन दिए.
ध्यान देने वाली बात है कि इन दोनों के अलावा सभी गेंदबाजों की पिटाई हुई. आवेश खान और रवि बिश्नोई ने अपने-अपने चार ओवरों में क्रमशः 39 और 37 रन दिए. वहीं अभिषेक शर्मा और शिवम दूबे ने अपने दो-दो ओवरों में क्रमशः 23 और 27 रन दिए. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सुंदर और खलील की गेंदबाजी ने भारत की 23 रन की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई.
खराब फील्डिंग जिम्बाब्वे को पड़ी भारी
मैच के आखिरी ओवरों में जिम्बाब्वे ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की. मेजबान टीम ने आखिरी दो ओवर में 34 रन जोड़े. जब डायन मेयर्स (65 नाबाद) और वेलिंगटन मसकाद्ज़ा (18 नाबाद) की आखिरी जोड़ी बल्लेबाजी कर रही होगी तब डगआउट में जिम्बाब्वे के बाकी खिलाड़ियों को एक पल के लिए फील्डिंग में की गई अपनी गलतियां तो जरूर खली होंगी.
जिम्बाब्वे ने गिल-गायकवाड़ की साझेदारी के दौरान और आखिरी ओवरों में भी फील्डिंग में कई गलतियां कीं. इसके बरक्स, भारतीय फील्डर मैदान में चौकन्ने नजर आए. रवि बिश्नोई ने बैकवर्ड प्वॉइंट पर ब्रायन बेनेट का बेहद तेज कैच पकड़ा, जबकि रिंकू सिंह ने मिड-विकेट पर सिकंदर रजा का कैच लपका. स्लिप में रियान पराग के कैच की बदौलत भारतीय टीम जॉनथन कैंपबेल को भी पवेलियन लौटाने में सफल रही.
अगर जिम्बाब्वे भी फील्डिंग में बेहतर प्रदर्शन करती तो भारत को 15-20 रन पीछे रोक सकती थी. ऐसे में यह मुकाबला रोमांचक हो सकता था. आने वाले दो मैचों में मेजबान टीम इन गलतियों को सुधारकर दर्शकों को बेहतर मैच देना चाहिए.
भारत ने जीता 150वांं टी20 अंतरराष्ट्रीय
भारत ने तीसरे टी20 में जिम्बाब्वे को हराकर खेल के सबसे छोटे फॉर्मैट में 150वीं जीत भी हासिल कर ली. भारत से पहले किसी टीम ने यह कारनामा नहीं किया है. भारत ने 230 मैच खेलकर 150 मुकाबलों में जीत दर्ज की है. सबसे ज्यादा टी20 मैच जीतने वाली टीमों की लिस्ट में दूसरा नाम पाकिस्तान का है. पाक ने 245 मुकाबलों में से 142 में जीत दर्ज की है.