खेल के बहाने सियासत को करारा जवाब, विंटर ओलंपिक्स के किसी भी इवेंट में नहीं शामिल होंगे भारतीय डिप्लोमैट

डिप्लोमेटिक बॉयकॉट का मतलब है कि सरकारी अधिकारी ओलंपिक खेलों में शामिल नहीं होंगे, एक ऐसा आयोजन जिसमें अक्सर दुनिया भर के उच्च पदस्थ अधिकारी भाग लेते हैं. हालांकि, डिप्लोमेटिक बॉयकॉट खेलों का पूर्ण बहिष्कार नहीं है.

विंटर ओलंपिक्स के किसी भी इवेंट में नहीं शामिल होंगे भारतीय डिप्लोमैट
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:03 AM IST
  • अरिंदम बागची ने जताया खेद
  • भारत के अलावा कई देश कर रहे हैं विरोध
  • अमेरिका भी कर रहा है बहिष्कार

चीन में कल से शुरू होने वाले विंटर ओलंपिक्स के किसी भी ऑफिशियल सेरेमनी में भारत के राजदूत शामिल नहीं होंगे. भारत ने गुरुवार को विंटर ओलंपिक पर राजनयिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान निर्णय को "खेदजनक" बताते हुए घोषणा की है कि बीजिंग में भारत के शीर्ष राजनयिक इस आयोजन के उद्घाटन और समापन समारोह में शामिल नहीं होंगे. उनका कहना है कि चीन इस खेल के बहाने अपनी सियासत भुना रहा है.

अरिंदम बागची ने जताया खेद
दरअसल भारत ने विंटर ओलंपिक्स को बॉयकॉट करने का फैसला उन रिपोर्ट्स के बाद किया है, जिसमें ये बताया गया है कि चीन के खेलों के टॉर्च रिले में पीएलए रेजिमेंट के कमांडर की फाबाओ को मशाल सौंपी है, जो 2020 में हुए गलवान घाटी संघर्ष में शामिल था और उस वक्त इसे सिर में चोट आ गई थी. मामले पर बागची का कहना है कि, 'हां, हमने इस मुद्दे पर रिपोर्ट देखी है. यह वास्तव में खेदजनक है कि चीन ने ओलंपिक जैसे आयोजन का राजनीतिकरण किया है." उन्होंने कहा, "मैं यह सूचित करना चाहता हूं कि बीजिंग में भारतीय दूतावास के प्रभारी डी'अफेयर्स बीजिंग 2022  विंटर ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में शामिल नहीं होंगे."

भारत के अलावा कई देश कर रहे हैं विरोध
भारत के अलावा अमेरिका सहित कई देशों मे विंटर ओलंपिक्स के डिप्लोमैटिक बॉयकॉट का फैसला किया है. फाबाओ बुधवार को टॉर्च रिले में शामिल हुए थे. जिसके बाद गुरुवार को भारत ने इन खेलों में डिप्लोमेटिक बॉयकॉट का फैसला लिया है. चीन के उत्तर-पश्चिमी प्रांत झिंजियांग में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन के आरोपों को लेकर अमेरिका चीनी सरकार पर दबाव बना रहा है. जाहिर है कि हर देश के पास अपना मुद्दा है. तो चलिए आपको बताते हैं कि डिप्लोमेटिक बॉयकॉट आखिर है क्या और सभी इसे चीन के खिलाफ क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं. 

डिप्लोमेटिक बॉयकॉट क्या है?
डिप्लोमेटिक बॉयकॉट का मतलब है कि सरकारी अधिकारी ओलंपिक खेलों में शामिल नहीं होंगे, एक ऐसा आयोजन जिसमें अक्सर दुनिया भर के उच्च पदस्थ अधिकारी भाग लेते हैं. हालांकि, डिप्लोमेटिक बॉयकॉट खेलों का पूर्ण बहिष्कार नहीं है. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी के अनुसार, यह अमेरिकी एथलीटों को खेलों में प्रतिस्पर्धा करने से नहीं रोकता है. साकी ने कहा, "टीम यूएसए के एथलीटों को हमारा पूरा समर्थन है, हम उनके पीछे 100% होंगे क्योंकि हम उन्हें घर से सपोर्ट करते हैं."

अमेरिका ने डिप्लोमेटिक बॉयकॉट की घोषणा क्यों की?
अमेरिका का कहना है कि डिप्लोमौटिक बायकॉट शिनजियांग में उइगर आबादी के खिलाफ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा किए गए मानवाधिकारों के हनन का विरोध करने के लिए था. इसके अलावा पिछले साल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने शिनजियांग में उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामूहिक नजरबंद और जबरन नसबंदी, "नरसंहार" पर भी अमेरिका ने खेद जताया है.  डिप्लोमौटिक बायकॉट करने की एक बड़ी वजह ये भी है कि चीन ने  टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के इलाज को लेकर महिला टेनिस संघ द्वारा चीन और हांगकांग में सभी टूर्नामेंटों को निलंबित कर दिया था. ये वही टेनिस खिलाड़ी थीं, जिन्होंने चीन के पूर्व उप प्रधान पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और आवाज उठाने के बाद हफ्तों तक गायब रही थीं.

किन अन्य देशों ने राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की है?
कई देशों ने चीन की सरकार द्वारा किए गए मानवाधिकारों के हनन का विरोध करने के लिए डिप्लोमेटिक बॉयकॉट की घोषणा की है, एक्सियोस की याकूब रेयेस की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, लिथुआनिया, डेनमार्क और एस्टोनिया भी  डिप्लोमेटिक बायकॉट कर रहे हैं. 

राजनयिक बहिष्कार के बारे में क्या कह रही है चीनी सरकार?
अमेरिका द्वारा राजनयिक बहिष्कार की घोषणा के बाद, वाशिंगटन में चीनी दूतावास के एक प्रवक्ता ने ट्विटर पर लिखा: "वास्तव में, कोई भी इस बात की परवाह नहीं करेगा कि ये लोग आते हैं या नहीं, और इसका बीजिंग 2022 के सफलतापूर्वक आयोजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है." विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि, "अमेरिका वैचारिक पूर्वाग्रह से बाहर और झूठ और अफवाहों के आधार पर खेलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहा है."

क्या इतिहास में कोई अन्य ओलंपिक बहिष्कार हुआ है?
100 से अधिक देशों ने संयुक्त रूप से 1976 से 1984 तक लगातार तीन ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों का पूर्ण बहिष्कार किया है. सबसे प्रमुख ओलंपिक बहिष्कार 1980 में हुआ था, जब वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, सोवियत संघ द्वारा अफगानिस्तान पर आक्रमण करने के बाद, अमेरिका सहित 60 से अधिक देश मास्को में समर ओलंपिक से बाहर हो गए थे. यूएसए टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, उस ओलंपिक में कम से कम 466 अमेरिकी एथलीट खेलों से बाहर हो गए थे.

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