IPL Mega Auction 2025: आईपीएल ऑक्शन के लिए कैसे प्लानिंग करती हैं टीमें? जानिए वो चार बातें जिन्हें ध्यान में रखकर लगाई जाती है बोली

क्या आपकी फेवरेट फ्रेंचाइजी ने भी इस आईपीएल ऑक्शन में आपके फेवरेट खिलाड़ी के लिए बोली नहीं लगाई. जानिए वे कौनसे पहलू होते हैं जिन्हें ध्यान में रखती टीमें करती हैं आईपीएल ऑक्शन में बिडिंग.

आईपीएल ऑक्शन में इस बार 574 खिलाड़ी शामिल थे लेकिन सिर्फ 182 को टीम मिली.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:10 AM IST

आईपीएल ऑक्शन (IPL Mega Auction 2025) दो दिन बाद आखिर समाप्त हो गई है. ऑक्शन में जहां 182 खिलाड़ियों को टीमें मिलीं, वहीं करीब 400 से ज्यादा खिलाड़ी ऐसे भी थे जिन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा. कई फैन्स ऑक्शन के बाद अपनी टीम संरचना से खुश हैं. और कुछ फैन्स ऐसे भी हो सकते हैं जो अपनी टीम की संरचना को देखकर झुंझलाए हुए हों. 

जब कोई आईपीएल फ्रेंचाइजी किसी खास खिलाड़ी को खरीदती या छोड़ देती है तो कई बार प्रशंसक टीम के फैसले को देख अपना सिर खुजलाते रह जाते हैं. ऐसे में फैन्स के लिए यह समझना जरूरी है कि एक फ्रेंचाइजी ऑक्शन की तैयारी कैसे करती है. आईपीएल ऑक्शन की प्लानिंग से जुड़े कई पहलु होते हैं. आइए सब पर एक-एक करके डालते हैं नजर.

टीम संरचना का होता है पुनर्मूल्यांकन
मेगा ऑक्शन से पहले टीमें अधिकतम छह खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती हैं. इसके बाद उन्हें कम से कम 12 खिलाड़ी और खरीदने होते हैं. ऐसे में टीमों का पहला ध्यान होता है अपनी स्क्वाड में बैलेंस लाना. टीमें व्यक्तिगत स्टार खिलाड़ियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय एक अच्छी टीम बनाने को प्राथमिकता दे सकती हैं.

सिर्फ यही नहीं, टीमें युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में टाइम और पैसा इनवेस्ट करना चाहती हैं. टीमें ऐसे खिलाड़ियों पर पैसा लगाती हैं जिन्हें समय के साथ बेहतर बनाया जा सकता है. बैलेंस ढूंढते हुए टीमें ऐसे खिलाड़ियों पर भी दांव लगाती हैं जो खास रोल अदा कर सकते हैं. जैसे एक लेग-स्पिनर या एक फिनिशर.

ऐसे बनाते हैं बोलियों की रणनीति
ऑक्शन के वक्त टीमें बोलियों पर भी चौकस नजर रखती हैं. टीमें कई बार एक खास स्किल रखने वाले खिलाड़ी को जरूरत से ज्यादा दाम में खरीदने से बचती हैं. यानी अगर बोली लगाते हुए खिलाड़ी उनकी प्लान की गई कीमत से ज्यादा का हो जाता है तो टीमें हाथ वापस खींच लेती हैं. फिर वह उस स्किल के ऐसे खिलाड़ी पर बोली लगाती हैं जो उनकी निर्धारित सीमा में उन्हें मिल सकता है. 
 

टीमों की योजना होती है कि वे हर बोली में नहीं उलझेंगी. बल्कि टीमें अपनी जरूरत को ध्यान में रखकर ऑक्शन में उतरती हैं और सिर्फ ऐसे ही खिलाड़ियों पर बोली लगाती हैं जिनकी उन्हें जरूरत होती है. जैसे अगर एक टीम को एक अच्छा लेग स्पिनर चाहिए, तो वह लेग स्पिनर्स के सेट से एक या दो गेंदबाज लेकर पीछे हट जाएगी. 

डेटा का खेल होता है अहम
मॉडर्न क्रिकेट में डेटा की बहुत अहमियत है. टीमें अपनी जरूरतें इसी से निर्धारित करती हैं. मिसाल के तौर पर, टीमें कई बार अपने होम ग्राउंड के एवरेज स्कोर और उसकी पिच के मिज़ाज को देखकर ही यह फैसला करती हैं कि उन्हें ऑक्शन में किस तरह के बल्लेबाज और गेंदबाज चाहिए. इसके बाद टीमें किसी खिलाड़ी को खरीदने की योजना बनाने से पहले भी उसका डेटा देखती हैं. 

मिसाल के तौर पर, कोई टीम एक खास गेंदबाज के लिए बोली लगाने से पहले उसकी लाइन और लेंथ के डेटा को अच्छी तरह स्टडी करती है. डेटा का इस्तेमाल सबसे अहम तब हो जाता है जब टीमों को अनकैप्ड खिलाड़ियों पर बोली लगानी होती है. इसके लिए हर फ्रेंचाइजी की स्काउटिंग टीम साल पर डोमेस्टिक क्रिकेट पर नजर रखती है. उसके बाद टीम खिलाड़ियों को पसंद करती है. और उसके बाद उनके डेटा को स्टडी करके उन खिलाड़ियों की लिस्ट बनाती है जिन्हें ऑक्शन में टारगेट करना है. 

लंबे वक्त के लिए की जाती है प्लानिंग
टीमें मेगा ऑक्शन में बोली लगाते हुए यह भी ध्यान रखती हैं कि उन्हें भविष्य के लिए अपनी टीम का निर्माण करना है. ध्यान रखने वाली बात है कि ये खिलाड़ी तीन साल के लिए चुने जा रहे होते हैं. टीमें कम समय की सफलता पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय भविष्य के लिए एक मजबूत नींव बनाने को प्राथमिकता देती हैं. 

साथ ही टीमें एक मजबूत कोर विकसित करना चाहती हैं. वे ऐसे खिलाड़ियों में निवेश करना चाहती हैं जो टीम के लिए एक मजबूत कोर बना सकते हैं. और लंबे समय के लिए स्थिरता और निरंतरता प्रदान कर सकते हैं. भविष्य में 'इनवेस्ट' करने का मतलब एक पॉजिटिव टीम माहौल बनाना भी है. ऐसे में टीमें इस तरह के खिलाड़ियों के लिए बोलियां लगा सकती हैं जो उनकी टीम के माहौल में ढल जाएं. 

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