कुलभूषण जाधव से लेकर Salman Khan तक… कई बड़े केस लड़ चुके Harish Salve, अब Vinesh Phogat को Paris Olympic में दिलाएंगे न्याय

हरीश साल्वे को कई हाई-प्रोफाइल मामलों को संभालने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता है. वे भारत के सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले वकीलों में से एक हैं. पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट की अयोग्यता को लेकर उन्होंने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में अपील दायर की है. 

Harish Salve
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 3:35 PM IST
  • कई बड़े केस लड़ चुके हरीश साल्वे
  • अब विनेश फोगाट को दिलाएंगे न्याय

भारतीय पहलवान विनेश फोगाट (Indian wrestler Vinesh Phogat) ने न्याय के लिए अब कोर्ट का रास्ता चुना है. इस लड़ाई में उन्हें न्याय दिलवाने में भारत के जाने माने वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) साथ दे रहे हैं. पेरिस ओलंपिक में अयोग्यता के खिलाफ उन्होंने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में अपील दायर की है. 

दरअसल, पहलवान विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल मुकाबले में भाग लेने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इसकी वजह उनका बढ़ा हुआ 100 ग्राम वजन था. यह मैच होने से कुछ घंटे पहले ही हुआ. इसे लेकर इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए CAS में अपील दायर की है.

IOA ने दो मुख्य अपीलें की
1. दोबारा वेट नापने का अनुरोध:
पहली अपील में फोगाट का वजन फिर से तौलने की अनुमति देने के लिए कहा गया. इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया और गोल्ड मेडल मैच योजना के अनुसार आगे बढ़ा. 

2. सिल्वर मेडल देना: दूसरी अपील में फोगाट को सिल्वर मेडल देने की मांग की गई है, यह तर्क देते हुए कि उन्होंने इसे एक दिन पहले  सही वजन के साथ जीता था. 

कौन हैं हरीश साल्वे?
हरीश साल्वे भारत के सबसे प्रतिष्ठित वकीलों में से एक हैं. 1955 में एक मराठी परिवार में जन्मे, हरीश साल्वे ने 1980 में जेबी दादाचंदजी एंड कंपनी में एक इंटर्न के रूप में अपना कानूनी करियर शुरू किया था. उन्होंने 1980 से 1986 तक भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ काम किया. 

1992 में, हरीश साल्वे को भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक सीनियर वकील के रूप में नामित किया गया था. उन्होंने 1999 से 2002 तक भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में काम किया. हालांकि 2004 में उन्हें दूसरे कार्यकाल की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस पद को अस्वीकार कर दिया. हरीश साल्वे को 2013 में इंग्लिश बार में भर्ती कराया गया और बाद में वह लंदन में प्रतिष्ठित ब्लैकस्टोन चैंबर्स में शामिल हो गए.

कई हाई-प्रोफाइल मामले लड़ चुके 
हरीश साल्वे कई हाई प्रोफाइल मामले लड़ चुके हैं. जैसे-

-बिलकिस बानो मामला (Bilkis Bano Case): उन्होंने 2003 में गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो का प्रतिनिधित्व किया था. 

-आरुषि-हेमराज केस (Aarushi-Hemraj Case): हरीश साल्वे आरुषि तलवार और हेमराज बंजाड़े के डबल मर्डर में बचाव पक्ष के वकील के रूप में शामिल थे.

-सलमान खान जमानत (Salman Khan Bail): उन्होंने 2002 के हिट-एंड-रन मामले में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को जमानत दिलवाई थी. बाद में सलमान खान को दिसंबर 2015 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया था.

-वोडाफोन मामला (Vodafone Case): हरीश साल्वे ने 2012 के मामले में बड़ी भूमिका निभाई थी. इसमें वोडाफोन ने भारत सरकार से 1,100 करोड़ रुपये की टैक्स डिमांड का मुकाबला किया था.

-कुलभूषण जाधव मामला (Kulbhushan Jadhav Case): 2019 में, हरीश साल्वे ने कुलभूषण जाधव के मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने मौत की सजा सुनाई थी. लेकिन फिर आईसीजे ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था और कुलभूषण जाधव की सजा को निलंबित कर दिया था. 

हरीश साल्वे को कई हाई-प्रोफाइल मामलों को संभालने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता है. भारत के सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले वकीलों में से एक होने के बावजूद, उन्होंने कुलभूषण जाधव मामले में केवल 1 रुपये की मामूली फीस ली थी.

CAS में हरीश साल्वे ने क्या तर्क दिया है? 
सीएएस की सुनवाई में विनेश फोगाट की ओर से हरीश साल्वे बहस करेंगे. उन्होंने इस अपील में कई बिंदुओं को शामिल किया है: 

1. अपील में तर्क दिया गया है कि केवल 100 ग्राम ज्यादा वजन होना न के बराबर है. ये विनेश फोगाट के शरीर के वजन का केवल 0.1 से 0.2 प्रतिशत है. इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं. जैसे-मांसपेशियों से मास या खानपान से.

2. अपील में इस बात पर जोर दिया गया है कि शुरुआती वजन घटाने के बाद विनेश फोगाट का वजन बढ़ना सामान्य रिकवरी प्रक्रिया का हिस्सा था और इससे उसे कोई फायदा नहीं हुआ. इसका तर्क है कि सीएएस को एथलीट के मौलिक अधिकारों को बरकरार रखना चाहिए, जिसमें उसकी शारीरिक अखंडता और प्रतियोगिता में निष्पक्षता का सम्मान भी शामिल है.

हालांकि, इस सुनवाई का फैसला आने में कुछ दिन लग सकते हैं, लेकिन हरीश साल्वे की भागीदारी से मामले में कहीं न कहीं वजन जरूर बढ़ गया है. 

 

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