Mohamed Amaan: 16 की उम्र में हुए अनाथ, अब 18 में बने India U-19 के कप्तान, कैसा रहा मोहम्मद अमान का संघर्ष?

Mohamed Amaan: पिता का साया सिर से उठने के बाद छोटे भाई बहनों की जिम्मेदारी अमान के ऊपर आ गई थी. अमान उस वक्त क्रिकेट छोड़ सकते थे, लेकिन अपनी लगन और कोच गोयल जैसे मदद करने वालों की बदौलत उनका यह सपना जिन्दा रहा.

मोहम्मद अमान ऑस्ट्रेलिया अंडर-19 के खिलाफ भारतीय युवाओं की अगुवाई करेंगे. (फोटो/फेसबुक)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 02 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:37 PM IST

महज 16 साल की उम्र में जब मोहम्मद अमान (Mohamed Amaan) अनाथ हो गए थे तब उनके पास क्रिकेट को पूरी तरह छोड़कर परिवार की जिम्मेदारी संभालने का एक विकल्प मौजूद था. लेकिन एक विकल्प यह भी था कि वह अपने सपनों का दामन न छोड़ें और क्रिकेट खेलना जारी रखें. 

अमान ने दूसरा विकल्प चुना. दो साल बाद, अमान का सब्र रंग लाया है और उन्हें भारत की अंडर-19 वनडे क्रिकेट टीम (India U-19 team) का कप्तान चुना गया है. भारत की युवा टीम अगले महीने पुडुचेरी में ऑस्ट्रेलिया अंडर-19 (India vs Australia U-19) से भिड़ने जा रही है, जहां अमान पहली बार टीम की कमान संभालेंगे.

पहले मां, फिर पिता का साथ छूटा
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले अमान के सिर से मां का साया 2020 में उठ गया था. अमान जब सिर्फ 14 साल के थे तब उनकी मां सायबा कोविड-19 (Covid-19) वायरस के कारण दुनिया छोड़कर चली गई थीं. अमान के पिता एक ट्रक ड्राइवर थे लेकिन लंबी बीमारी के बाद वह भी 2022 में इस दुनिया से चले गए. 

अमान के ऊपर अचानक से एक छोटी बहन और दो भाइयों की जिम्मेदारी आ गई थी. वह एक्सप्रेस से कहते हैं, "जब मैंने अपने पिता को खोया तो मुझे लगा कि मैं एक दिन में बड़ा हो गया हूं. मैं अपने परिवार का मुखिया बन गया था. मुझे एक बहन और दो भाइयों का खयाल रखना था. मैं खुद से कहा कि मुझे क्रिकेट छोड़ना होगा. मैंने सहारनपुर में नौकरियां भी ढूंढीं लेकिन कुछ काम न आया. हालांकि कुछ लोग मदद करना चाहते थे और यह भी कहते थे कि मैं अपना खेल जारी रखूं." 

मुश्किल समय में कोच आए काम
अमान बताते हैं कि उन्हें एक समय पर भूखा भी सोना पड़ा. उन्हें क्रिकेट खेलने पर जो दैनिक भत्ता मिलता था उससे वह परिवार का पेट पालते थे. वह बताते हैं कि जब उन्हें यूपीसीए (Uttar Pradesh Cricket Association) के ट्रायल्स के लिए कानपुर जाना होता था तो वह ट्रेन के जनरल डिब्बे में टॉयलेट के पास बैठकर जाया करते थे. क्योंकि ट्रेन में जगह नहीं होती थी. पिछले अंडर-19 डोमेस्टिक सीजन में अमान ने जो कुछ कमाया वह अपना घर ठीक करने में लगा दिया. ऐसे मुश्किल समय में अमान के कोच राजीव गोयल उनके काम आए. 

गोयल उस मुश्किल समय के बारे में बताते हैं, "मुझे याद है कि उसने मुझसे कहा था, 'किसी कपड़ी की दुकान पर नौकरी लगवा दो, घर में पैसे नहीं हैं.' मैंने उससे कहा कि मेरी अकैडमी में आकर छोटे बच्चों को क्रिकेट सिखाए. वह आठ-आठ घंटे अकैडमी में गुजारता था. यही मेहनत है जिसने उसे कामयाब बनाया है." 

जीवन के संघर्ष की भट्टी में तपने के बाद अमान कुंदन बनकर चमके. उन्होंने पिछले सीजन वीनू मांकड़ ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश अंडर-19 टीम के लिए 363 रन बनाए, जिसमें चार अर्द्धशतक शामिल रहे. अंडर-19 चैलेंजर्स सीरीज में खेलते हुए अमान ने 98 की औसत से 294 रन जड़े. इसी मेहनत के बलबूते वह इस साल अंडर-19 वर्ल्ड कप (U-19 World Cup South Africa) के लिए स्टैंड-बाई खिलाड़ी के तौर पर दक्षिण अफ्रीका भी गए. 

लगातार मेहनत के दम पर अमान अब अंडर-19 टीम के कप्तान बन गए हैं. उनका जो संघर्ष लोकल ट्रेन के जनरल डिब्बे में शुरू हुआ वह उन्हें फ्लाइट तक ले आया है. अब उनकी प्लेट में खाना भी है और वह अपने परिवार का भी अच्छी तरह ध्यान रख सकते हैं. 

अमान कहते हैं, "मेरे पिता हमेशा कहा करते थे कि क्रिकेट अमीरों का केल है. इसमें गरीबों का कुछ नहीं होता. मैंने उनकी कभी नहीं सुनी. काश आज मेरे माता-पिता जिन्दा होते. यह देखकर उन्हें बहुत गर्व होता." 

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