जानिए कौन हैं Komalika Bari, पेरिस ओलंपिक में भारत को गोल्ड दिलाने पर है नजर

Komalika Bari: कोमालिका बारी टाटा तीरंदाजी अकादमी की कैडेट विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप में विश्व खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी हैं. जमशेदपुर से ताल्लुक रखने वाली कोमलिका ने कम उम्र में ही तीरंदाजी की दुनिया में कदम रखा था. हालांकि, बारी ने शुरुआती समय में सर्किट पर अपने पैर जमाने के लिए संघर्ष किया था. चलिए जानते हैं उनके अबतक के सफर के बारे में..

Who is Komalika Bari
अनिरुद्ध गोपाल
  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST
  • पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना कोमालिका का टारगेट
  • 12 साल की उम्र में पहली बार धनुष-बाण उठाया

नेशनल गेम के अंदर तीरंदाजी में अपनी ताकत दिखाने वाली कोमालिका बारी भारत की नई स्टार हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि कोमालिका टोक्यो ओलंपिक के दावेदारों में भी शामिल थीं, लेकिन ऐन वक्त पर मिली एक हार ने उन्हें टोक्यो के लिए क्वालिफाई करने से रोक दिया. जमशेदपुर की 20 वर्षीय कोमालिका बारी जूनियर स्तर पर तीरंदाजी में अलग-अलग टूर्नामेंट में जबरदस्त प्रदर्शन कर अपनी ताकत दिखा चुकीं हैं. फिलहाल वो सीनियर स्तर पर अपने पैर जमाने में लगी हैं.

टोक्यो ओलंपिक में नहीं कर पाईं थीं क्वालीफाई 

दीपिका कुमारी की तरह कोमलिका ने कैडेट (2019) और जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप (2021) जीती थीं. दीपिका, बारी और अंकिता भक्त की तिकड़ी विश्व कप चरणों के दौरान कुछ ठोस प्रदर्शन के दम पर उम्मीदें जगाने के बावजूद टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहीं थीं.अब 20 वर्षीय कोमालिका अगले साल पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहती हैं. कोमालिका अपनी तकनीक में कुछ बदलाव करने के अलावा खुद को  मानसिक रुप से और मजबूत करने पर काम कर रहीं हैं.

कोमालिका की उपलब्धियों की बात करें तो उन्होंने दो साल पहले मैड्रिड में यूथ वर्ल्ड्स में अपना पहला व्यक्तिगत खिताब जीता था.  बारी जमशेदपुर की रहने वाली हैं. 2012 में आइएसडब्ल्यूपी तीरंदाजी सेंटर से उन्होंने करियर की शुरुआत की थी. कोमालिका को 2016 में टाटा आर्चरी एकेडमी में प्रवेश मिला था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मार्च में देहरादून में आयोजित 41वीं एनटीपीसी जूनियनर आर्चरी नेशनल चैंपियनशिप में कोमोलिका महिलाओं की व्यक्तिगत स्पर्धा में राष्ट्रीय चैंपियन रहीं थीं. तीन वर्षों में कोमालिका ने डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं.

हर छोटी जीत और हार अहम -कोमालिका

कोमालिका कहती हैं, 'विश्व कप का सीजन अच्छा नहीं रहा और मुझे अपने आत्मविश्वास के स्तर में सुधार करना होगा. मैं मायूस हो गई थी. अब मैं उस पर काम करूंगी'. बारी कहती हैं, 'शीर्ष स्तर तक पहुंचने के बाद हमेशा थोड़ा दबाव होता है. वो कहती हैं कि  क्योंकि मैं अब उस स्तर पर पहुंच गई हूं, जहां मुझसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है. चुनौती मेरी स्थिति को बनाए रखने और सुधार करने की होगी. अब मेरे लिए हर छोटी जीत और हार अहम है. कोमालिका कहती हैं कि 'मुझे अपनी प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, ना कि परिणामों पर. अगर मैं ऐसा करती हूं, तो मैं वर्तमान में रहूंगी और परिणाम अपने आप आ जाएगा'.

करियर बनाने में मां का बड़ा योगदान

बता दें कि कोमालिका बारी ने 12 साल की उम्र में पहली बार धनुष-बाण उठाया था. उनके इस शौक को करियर बनाने में उनकी मां का बड़ा योगदान रहा. जिन्होंने कोमालिका की प्रतिभा को देखकर उनके लिए कोच की व्यवस्था की. सामान्य परिवार से होने के कारण कोमालिका ने बांस के धनुष से प्रशिक्षण शुरू किया. 2012 से शुरू हुआ कोमलिका का तीरंदाजी का सफर 2016 में जमशेदपुर स्थित टाटा तीरंदाजी अकादमी पहुंचा. जहां प्रवेश मिलने के बाद कोच धर्मेंद्र तिवारी और पूर्णिमा महतो ने उसे कोचिंग देना शुरू किया. भारत के स्टार तीरंदाज दीपिका कुमारी और अतनु दास भी इसी अकादमी की देन हैं.

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