Bumrah faces Racism: किसी को बंदर कहा गया, किसी को आतंकवादी... सिर्फ बुमराह ही नहीं, इन पांच क्रिकेटरों के ऊपर भी की गई हैं नस्लभेदी टिप्पणियां

कॉमेंटेटर ईशा गुहा ने बुमराह के लिए प्राइमेट शब्द का इस्तेमाल किया. इस शब्द का संबंध बंदरों से है. गुहा ने भले ही अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांग ली लेकिन इस घटना ने क्रिकेट प्रेमियों के क्रिकेट इतिहास के उन काले पन्नों की याद दिला दी जब खिलाड़ियों को नस्लभेदी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था.

Racism in Cricket
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:32 PM IST

इंग्लैंड की पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर ईशा गुहा भारतीय गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के लिए 'प्राइमेट' शब्द का इस्तेमाल करके सवालों और आलोचनाओं से घिर गईं. जब कमेंट्री बॉक्स में बैठे ब्रेट ली ने मैच के दूसरे दिन रविवार को बुमराह की तारीफ की, तो गुहा कहा था, "बुमराह भारतीय टीम के एमवीपी हैं. मोस्ट वैल्युएबल प्राइमेट."

प्राइमेट शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर बंदरों के लिए किया जाता है. घटना के अगले ही दिन सोमवार को गुहा ने यह कहते हुए माफी भी मांग ली कि वह सिर्फ बुमराह की तारीफ ही करना चाहती थीं. लेकिन इस घटना ने क्रिकेट प्रेमियों के बीच कई ऐसी घटनाओं की चर्चा शुरू कर दी जब क्रिकेट को नस्लभेदी टिप्पणियों के कारण शर्मसार होना पड़ा था. आइए डालते हैं ऐसी ही कुछ घटनाओं पर नजर.

1. मंकीगेट
ऑस्ट्रेलियाई सरजमीन पर 2008 में खेली गई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में हुआ 'मंकीगेट' कांड शायद क्रिकेट जगत की सबसे विवादास्पद घटनाओं में से एक है. कैरिबियाई मूल के ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर एंड्रूय साइमंड्स ने आरोप लगाया था कि हरभजन सिंह ने उन्हें 'मंकी' (Monkey) कहा है.  मैच रेफरी माइक प्रॉक्टर ने मैच के बाद मामले की सुनवाई की और हरभजन सिंह को दोषी पाते हुए उनपर तीन मैचों का बैन लगा दिया था.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने प्रॉक्टर के इस फैसले पर ऐतराज जताते हुए कहा था कि हरभजन के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था. हरभजन ने कहा था कि उन्होंने नस्लभेदी टिप्पणी नहीं की है. भारतीय टीम ने कड़ा रुख अपनाते हुए अगले टेस्ट मैच के लिए कैनबेरा जाने से इनकार कर दिया था. और टेस्ट सीरीज को बीच में छोड़ने की चेतावनी भी दी थी.

बाद में बीसीसीआई ने आईसीसी के समक्ष एक अपील दायर की और न्यूजीलैंड के हाई कोर्ट न्यायाधीश जॉन हैनसन ने मामले की सुनवाई की. हैनसन ने फैसले में कहा कि नस्लभेदी टिप्पणी साबित करने को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं था. इसलिए हरभजन के ऊपर से बैन हटा लिया गया था. और 'अपमानजनक भाषा' के इस्तेमाल के लिए उनपर 50 प्रतिशत मैच फीस का जुर्माना लगाया गया था.

2. जब सरफराज ने फेहलुकवाया को कहा, 'अबे काले'
यह बात 2019 की है.  पाकिस्तान क्रिकेट टीम दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थी. सरफराज अहमद टीम की कप्तानी कर रहे थे. दूसरे वनडे के दौरान जब आंदिले फेहलुकवाया बल्लेबाजी कर रहे थे तब सरफराज अहमद ने उनके ऊपर हिन्दी/उर्दू में नस्लभेदी टिप्पणी की. सरफराज ने कहा था, "अबे काले... क्या (दुआ) पढ़वाकर आया है आज?"

सरफराज के ये शब्द स्टंप माइक में कैद हो गए. और विवाद उठने में ज्यादा समय नहीं लगा. आईसीसी ने सरफराज पर चार मैच का बैन लगा दिया. इस घटना ने क्रिकेट जगत को शर्मसार किया. हालांकि बाद में सरफराज ने फेहलुकवाया से मिलकर माफी मांग ली थी. और उन्हें माफी मिल भी गई थी. 

3. हाशिम आमला को बुलाया गया आतंकवादी
साल 2006 में श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले जा रहे एक टेस्ट मैच के दौरान पूर्व ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डीन जोन्स ने टीवी कमेंट्री करते हुए लाइव टीवी पर पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर हाशिम अमला को "आतंकवादी" कह दिया था. मैच के दौरान जब आमला ने कुमार संगाकारा को आउट करने के लिए कैच लिया तो जोन्स ने कहा था, "आतंकवादी को एक और विकेट मिल गया है."

इस घटना के बाद टेन स्पोर्ट्स ने जोन्स को नौकरी से निकाल दिया था. बाद में जोन्स ने अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगी थी. उन्होंने कहा था, "यह कहना मूर्खतापूर्ण और पूरी तरह से असंवेदनशील बात थी. जाहिर है, इसे कभी भी ऑन-एयर नहीं सुना जाना चाहिए था. मुझे सच में खेद है कि मैंने किसी को ठेस पहुंचाई. मैं कभी भी किसी के लिए अपमानजनक नहीं होना चाहता था."

उन्होंने माफीनामे में कहा था, "सभी को सार्वजनिक और निजी तौर पर इस मिथक से दूर रहना चाहिए कि मुस्लिम धर्म से जुड़ी दाढ़ी किसी तरह से संदिग्ध है. मैं बिल्कुल वैसा ही करने का इरादा रखता हूं. विडंबना यह है कि मैं पाकिस्तान टीम के अधिकांश खिलाड़ियों के साथ बहुत अच्छा दोस्त हूं और वे सभी मुस्लिम हैं." 

4. डैरेन सैमी को आईपीएल में कहा गया कालू
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जहां नस्लभेदी टिप्पणियों के कई मामले सामने आए और उनकी निंदा भी की गई, वहीं ऐसा एक मामला इंडियन प्रीमियर लीग में भी सामने आ चुका है. वेस्ट इंडीज के टी20 वर्ल्ड कप विजेता कप्तान डैरेन सैमी ने 2020 में इसका खुलासा किया था. सैमी ने बताया था कि जब 2014-15 में वह सनराइजर्स हैदराबाद का हिस्सा थे तब उनकी टीम के साथी उन्हें और श्रीलंका के थिसारा परेरा को 'कालू' कहते थे.

सैमी उस समय इस शब्द का मतलब नहीं जानते थे. और समझते थे कि यह कोई मजाकिया शब्द है. लेकिन एक दिन भारतीय मूल के अमेरिकी कॉमेडियन हसन मिनहाज का एक शो देखते हुए सैमी को पता चला कि यह शब्द अश्वेत लोगों के लिए अपमानजनक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यह जानकर उन्हें बहुत दुख हुआ और उन्होंने अपनी टीम के साथियों से माफी मांगने के लिए कहा था. 

सैमी ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर लिखा था, "मुझे अभी पता चला कि जब मैं आईपीएल में सनराइजर्स के लिए खेलता था तो मेरे लिए इस्तेमाल होने वाले कालू शब्द का मतलब क्या है. वे मुझे और परेरा को इसी नाम से बुलाते थे. मुझे लगा कि वे मुझे एक मजबूत अश्वेत व्यक्ति कह रहे हैं. अब मैं और भी ज्यादा गुस्सा हो गया हूं." 

सैमी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई वीडियो में किसी खिलाड़ी का नाम लिए बिना कहा था कि वह अपनी टीम के साथियों से माफी की उम्मीद करते हैं. कुछ समय बाद उन्होंने पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि वह सनराइजर्स में उनके टीममेट रहे ईशांत शर्मा से इस मामले पर बात की है और अब वह उनसे नाराज नहीं हैं. 

5. सिडनी में सिराज पर हुईं नस्लीय टिप्पणियां
साल 2020-20 में हुए भारत के पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मोहम्मद सिराज को भी कुछ दर्शकों की ओर से नस्लभेदी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था. यह घटना तब हुई थी जब सिराज बाउंड्री के पास खड़े फील्डिंग कर रहे थे. भारत के कप्तान अजिंक्य रहाणे ने मैच के बाद दोनों अंपायर और मैच रेफरी से भी इस मामले में बात की थी.

सिराज ने कुछ साल बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की एक पॉडकास्ट में बताया कि उन्हें सिडनी टेस्ट के पहले दिन 'ब्लैक मंकी' (Black Monkey) कहकर पुकारा गया, लेकिन उन्होंने इसे नजरंदाज कर दिया. फिर जब दूसरे दिन भी उनके ऊपर टिप्पणियां की गईं तो उन्होंने रहाणे के जरिए अंपायर्स तक बात पहुंचाई. दूसरे दिन सिक्योरिटी ने छह लोगों को मैदान से बाहर किया था. और मैच वैसे ही आगे चला था. 

Read more!

RECOMMENDED