ओलंपिक में कई ऐसे मौके आए, जो यादगार बन गए. लेकिन कुछ ऐसे भी अवसर आए, जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. ये वाक्या साल 1900 के पेरिस ओलंपिक में हुआ था, जब खेल के नाम पर कबूतरों को मारा डाला गया था. इस खेल में 300 कबूतरों को मार दिया गया था. इस इवेंट में बेल्जियम के शूटर ने गोल्ड मेडल जीता था. हालांकि इसके बाद इस खेल को दोबारा ओलंपिक में शामिल नहीं किया गया. चलिए आपको ओलंपिक में पिजन शूटिंग खेल के बारे में बताते हैं.
कैसे हुआ था पिजन शूटिंग खेल-
साल 1900 में पहली बार और आखिरी बार पिजन शूटिंग इवेंट को शामिल किया गया था. इस खेल में कबूतरों को मारा गया था. ओलंपिक के इस इवेंट में 300 कबूतर मारे गए. इस खेल में कबूतरों को उड़ाया जाता था और उसके बाद प्रतिभागी उसे शूट करते थे. जो प्रतिभागी सबसे ज्यादा कबूतरों को मारता था, उसे विजेता घोषित किया जाता था.
इस प्रतियोगिता में हर प्रतिभागी के सामने 27 मीटर की दूरी पर 6 कबूतर छोड़े गए. 2 कबूतर को मारने से चूकने पर प्रतियोगी बाहर हो जाता था. उस खिलाड़ी को विजेता घोषित किया गया, जिसने सबसे ज्यादा कबूतरों को मारा. इस पूरे खेल में 300 कबूतर मारे गए थे. जब प्रतियोगिता खत्म हुई तो जमीन पर चारों तरफ मृत और घायल कबूतर पड़े थे और जगह-जगह खून और पंख बिखरे पड़े थे.
पिजन शूटिंग में 2 प्रतियोगिताओं का आयोजन-
पेरिस ओलंपिक के पिजन शूटिंग के तहत दो प्रतियोगिताएं आयोजित की गई थी. इसमें Centenary Grand Prize और World Expo Grand Prize शामिल था.
सेंचरी ग्रैंड प्राइज 19 जून को आयोजित किया गया था. जिसमें 166 प्रतिभागी शामिल हुए थे. जबकि जबकि वर्ल्ड एक्सपो ग्रैंड प्राइज 25, 26 और 27 जून को आयोजित हुआ था. इसके मुख्य इवेंट में 54 प्रतियोगी शामिल थे.
किसको मिला था गोल्ड मेडल-
वर्ल्ड एक्सपो ग्रैंड प्राइज में गोल्ड मेडल बेल्जियम के लियोन डी लुंडेन (Leon de Lunden) ने जीता था. इस खिलाड़ी ने 21 कबूतर मारे थे. जबकि फ्रांस के मौरिस फॉरे (Maurice Faure) ने 20 कबूतर मारे थे. तीसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के डोनाल्ड मैकिन्टोश (Donald Macintosh) थे, जिसने 18 कबूतर मारे थे.
सेंचुरी ग्रैंड प्राइज में ऑस्ट्रेलिया के डोनाल्ड मैकिन्टोश (Donald Macintosh) ने 22 कबूतर मारे थे. जबकि स्पेन के पेड्रोल पिडाल (Pedro Pidal) ने 21 कबूतर मारे थे.
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