Paralympics 2024: एक पांव जन्म से छोटा... फिर ऐसे दौड़े और मारी छलांग... India की झोली में धड़ाम से गिरा Gold Medal... दिलचस्प है यूपी के छोरे Parveen Kumar की कहानी

Who is Parveen Kumar: पैरा-एथलीट प्रवीण कुमार का जन्म यूपी के नोएडा स्थित गोविंदगढ़ में 15 मई 2003 को हुआ था. प्रवीण कुमार के लिए पैरालंपिक तक पहुंचना आसान नहीं रहा. प्रवीण का जब जन्म हुआ तो उनका एक पांव दूसरे से छोटा था. इसके बावजूद उन्होंने कभी अपने हौंसले को पस्त नहीं होने दिया.

Parveen Kumar (Photo: X)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:54 AM IST
  • प्रवीण कुमार ने भारत की झोली में डाला छठा स्वर्ण
  • भारत की कुल पदकों की संख्या बढ़कर हुई 26 

पेरिस पैरालंपिक 2024 (Paris Paralympics 2024) में भारतीय खिलाड़ियों का जलवा कायम है. वे दुनियाभर के खिलाड़ी के सामने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. भारत की झोली में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल डाल रहे हैं. शुक्रवार को यूपी (UP) के छोरे प्रवीण कुमार (Parveen Kumar) ने कमाल दिखाया. उन्होंने पुरुषों की हाई जंप स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता. 

प्रवीण ने 2.08 मीटर ऊंची जंप के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया. इसके साथ ही प्रवीण का ये प्रदर्शन एशियन रिकॉर्ड भी है. वह पहले एशियाई एथलीट हैं, जिसने पैरालंपिक में इतना शानदार प्रदर्शन किया. प्रवीण कुमार ने तीन साल पहले टोक्यो में अपने पैरालंपिक डेब्यू में सिल्वर मेडल जीता था. इस तरह से वह पैरालंपिक में लगातार दूसरा पदक जीतने में कामयाब हुए हैं. 21 वर्षीय खिलाड़ी प्रवीण कुमार ने भारत की झोली में छठा स्वर्ण डालकर कुल पदक संख्या 26 पहुंचा दी, जिसमें नौ रजत और 11 कांस्य पदक शामिल हैं. भारत अब पदक तालिका में 14वें स्थान पर है.

यूपी के नोएडा के रहने वाले हैं प्रवीण कुमार 
पैरा-एथलीट प्रवीण कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के नोएडा (Noida) स्थित गोविंदगढ़ में 15 मई 2003 को हुआ था. प्रवीण कुमार के लिए पैरालंपिक तक पहुंचना आसान नहीं रहा. प्रवीण का जब जन्म हुआ तो उनका एक पांव दूसरे से छोटा था. इसके बावजूद उन्होंने कभी अपने हौंसले को पस्त नहीं होने दिया. हमेशा संघर्षों से लड़ते रहे. भले ही प्रवीण के एक पांव में परेशानी थी लेकिन खेल को लेकर बचपन से ही उनका जुनून कमाल का था, जो आज भी है. 

ऐसे प्रवीण कुमार के टैलेंट का चला पता 
प्रवीण कुमार का पैरा-एथलीट बनने का सफर काफी चुनौतियों भरा रहा है. अपने छोटे पैर के कारण वह शुरू अपने दोस्तों की तुलना में हीनता की भावना से जूझते रहे. इसके बाद अपनी असुरक्षाओं से निपटने के लिए वह अपने साथियों के साथ खेलों में शामिल होने लगे. शुरू में वह वॉलीबॉल खेलते थे. हालांकि, उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने पहली बार एक हाई जंप प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. प्रवीण ने एक सामान्य श्रेणी के हाई जंप प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और वहां से लोगों को उनके टैलेंट के बारे में पता चला. प्रवीण को भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के बाद दिव्यांग एथलीटों के लिए उपलब्ध संभावनाओं के बारे में पता चला. 

प्रवीण कुमार की कोच डॉ. सत्यपाल ने निखारी प्रतिभा
प्रवीण कुमार की मुलाकात गाजियाबाद में एक खेल आयोजन के दौरान पैरा-एथलेटिक्स कोच डॉ. सत्यपाल सिंह से हुई थी. प्रवीण ने उनके कहने पर 1.8 मीटर छलांग लगाई थी. इसे देखकर डॉ. सत्यपाल ने प्रवीण को प्रशिक्षण देने का फैसला कर लिया था. कोच डॉ. सत्यपाल ने प्रवीण को दिल्ली बुलाया और अपने कोटला स्थित फ्लैट की चाभी दे दी. प्रवीण 4 वर्षों से लगातार दिल्ली में रहकर ही हाई जंप की प्रशिक्षण ले रहे थे. घर पास होने के बावजूद वह केवल छुट्टियों में ही घर आते थे.

प्रवीण कुमार की अचीवमेंट
1. प्रवीण कुमार ने साल 2019 में नोटविल, स्विट्जरलैंड में हुई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स जूनियर चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था.
2. टोक्यो पैरालंपिक 2020 रजत पदक जीता था. 
3. 2021 दुबई में प्रवीण ने पैरा एथलेटिक्स FAZZA ग्रां प्री (Grand Prix) में एशियाई रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता था.
4. विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में कांस्य पदक जीता था. 
5. अब पेरिस पैरालंपिक 2024 में गोल्ड मेडल जीता है.  

 

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