भारतीय क्रिकेट इतिहास के लिए 15 नवंबर की तारीख बेहद खास है. दरअसल, आज ही के दिन साल 1989 में क्रिकेट के 'भगवान' कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में डेब्यू किया था. तब उनकी उम्र 16 साल और 205 दिन की थी. उस टेस्ट सीरीज में बढ़िया स्ट्रेट ड्राइव और ऑन ड्राइव शॉट्स लगाकर सचिन ने अपने इरादे जता दिए थे.
इसके बाद सचिन ने अनेकों रिकॉर्ड्स बनाकर देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन किया. आज देश में शायद ही कोई हो, जो सचिन तेंदुलकर के बारे में न जानता हो लेकिन क्या आप जानते हैं यदि एक शख्स नहीं होता तो सचिन और विनोद कांबली (Vinod Kambli) को क्रिकेट टीम में खेलना का मौका नहीं मिला होता. जी हां, हम मार्कस काउटो (Marcus Couto) की बात कर रहे हैं, जो इन दोनों खिलाड़ियों के 664 रन की रिकॉर्ड पार्टनरशिप को दुनिया के सामने लेकर आए थे. आइए जानते हैं कैसे?
स्कूल क्रिकेट में बनाया था रिकॉर्ड
सचिन तेंदुलकर के नाम वैसे तो एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड्स हैं लेकिन उन्होंने स्कूल क्रिकेट में एक ऐसा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, जिससे वह देश-दुनिया में मशहूर हो गए थे. उन्हें फेमस करने में मुख्य भूमिका मार्कस काउटो ने निभाई थे, जो उन दिनों अंपायरिंग किया करते थे. साल 1988 में 23 से 25 फरवरी तक मंबई स्थित आजाद मैदान में लॉर्ड हैरिस शील्ड टूर्नामेंट का सेमीफाइनल मैच खेला गया था. आमने-सामने शारदाश्रम विद्यामंदिर की टीम और सेंट जेवियर हाई स्कूल की टीम थी. शरदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल की टीम पहले बैटिंग करने उतरी थी. इसके कप्तान सचिन तेंदुलकर थे. शुरुआत में दो विकेट तुरंत गिर गए थे.
चौथे नंबर पर सचिन तेंदुलकर उतरे थे बैटिंग करने
तीसरे नंबर पर बैटिंग करने विनोद कांबली और चौथे नंबर पर सचिन तेंदुलकर आए. सेंट जेवियर हाई स्कूल की टीम के खिलाड़ियों को लग रहा था कि वे आसानी से मैच जीत जाएंगे लेकिन तेंदुलकर और कांबली ने ऐसी ऐतिहासिक बैटिंग की कि दोनों छा गए. दोनों ने सेंट जेवियर हाई स्कूल के खिलाफ नाबाद 664 रन बना डाले. इसमें सचिन तेंदुलकर के 326 रन नाबाद और विनोद कांबली के नॉटआउट 349 रन शामिल थे.
सचिन ने इस साझेदारी को लेकर एक बार खुलासा किया था कि वह उस समय इस बात से अंजान थे कि कोई रिकॉर्ड बना है. उन्होंने कहा कि मेरे क्लासमेट रिकी काउटो के भाई मार्कस काउटो ने इस संबंध में याद दिलाया था. मार्कस काउटो ने कहा था कि मुझे लगता है यह एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. उस समय क्रिकेट के किसी भी आयु वर्ग में किसी विकेट के लिए यह सबसे बड़ी पार्टनरशिप थी. सचिन-कांबली ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों टी पल्टन और एन रिपन के बनाए 641 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा था.
इतने दिनों बाद इस रिकॉर्ड पार्टनरशिप के बारे में दुनिया को चला पता
आपको मालूम हो कि अंपायर मार्कस काउटो नहीं होते तो सचिन और कांबली के इस रिकॉर्ड पार्टनरशिप की जानकारी दुनिया को नहीं हो पाती. क्रिकेट की 'बाइबल' कही जाने वाली विजडन पत्रिका ने सचिन और कांबली के इस रिकॉर्ड को प्रकाशित नहीं किया था. मार्कस काउटो की मेहनत के चलते दुनिया को एक महीने बाद इस रिकॉर्ड पार्टनरशिप के बारे में पता चल पाया था.
मार्कस काउटो के अनुसार उस टेस्ट मैच के लिए 10 स्कोरर थे और स्कोरकार्ड में भी गड़बड़ी आ गई थी. मार्कस काउटो ने स्कोर का मिलान करने के लिए सचिन तेंदुलकर के 326 रनों के स्कोर में से तीन रन हटा दिए थे. तेंदुलकर आज भी मार्कस काउटो को इस बात की याद दिलाना नहीं भूलते. सचिन का मानना है कि तीन रन अतिरिक्त में से कम करने चाहिए थे.
मार्कस ने सचिन के स्कूल के कई मैचों में की थी अंपायरिंग
सचिन और कांबली के क्लासमेट रिकी काउटो के बड़े भाई मार्कस काउटो थे. तेंदुलकर के स्कूल के कई मैचों में मार्कस काउटो ने अंपायरिंग की थी. बाद मार्कस काउटो एक जान-माने अंपयार बन गए और उन्हें एक वूमेन्स ओडीआई में अंपायरिंग करने का मौका मिला था. मार्कस काउटो ने 17 लिस्ट-ए, 5 टी-20 और एक प्रथम श्रेणी मुकाबलों में अंपायरिंग की है.
करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट
विनोद कांबली कई बार कह चुके हैं कि हमारे और सचिन के बीच सेंट जेवियर हाई स्कूल के खिलाफ 664 रनों की नाबाद साझेदारी हमारे करियर के लिए एक टर्निंग प्वाइंट रही. इस पार्टनरशिप ने मुंबई और भारतीय टीम में हमारे चयन का रास्ता बनाया था. उस मैच में सचिन और कांबली ने गेंदबाजों की जमकर धुनाई की थी. छक्के और चौकों की बरसात कर दी थी.
पहले दिन की खेल समाप्ति पर तेंदुलकर 192 रन पर नॉट आउट थे और कांबली 182 रन पर नॉट आउट थे. इसके बाद कोच रमाकांत अचरेकर ने कप्तान सचिन तेंदुलकर से कहा कि अगले दिन सुबह पहली पारी घोषित हो जानी चाहिए. सचिन ने कहा ठीक है सर. किसी काम की वजह से अचरेकर अगले दिन ग्राउंड पर नहीं पहुंचे. कप्तान सचिन ने इस मौके का फायदा उठाया और कांबली के साथ बैटिंग करने उतर गए.
सहायक कोच पारी घोषित करने का करते रहे इशारा
सहायक कोच लक्ष्मण चव्हाण बाउंड्री से सचिन और कांबली को पारी घोषित करने का इशारा करते रहे लेकिन दोनों इसकी अनदेखी करते रहे. जब भी 12वां खिलाड़ी यह संदेश लेकर आता कि रमाकांत आचरेकर सर ने पारी घोषित करने के लिए कहा है, उसे सचिन टरका देते थे. इसके बाद सहायक कोच लक्ष्मण ने ऑफिस जाकर आचरेकर को फोन करके बताया कि सचिन और कांबली तिहरा शतक जड़ चुके हैं लेकिन फिर भी दोनों खेलने पर अड़े हैं. इस पर रमाकांत आचरेकर सर ने कहा कि सचिन से कहो कि वह मुझसे तुरंत बात करे.
इसके बाद उस दिन जब लंच हुआ तब सहायक कोच लक्ष्मण ने कहा कि कोच अचरेकर से आप फोन कर के बात कर लीजिए. सचिन और कांबली ने आजाद मैदान के सामने वाली गली खाऊ गली के एक पीसीओ से आचरेकर को फोन किया. आचरेकर ने फोन पर तेंदुलकर से कहा कि तुरंत पारी घोषित करो. इस पर तेंदुलकर ने फोन विनोद कांबली को पकड़ा दिया.
कांबली ने फोन पर आचरेकर से कहा कि सर, मुझे 350 का आंकड़ा छूने के लिए सिर्फ एक रन चाहिए लेकिन आचरेकर ने चिल्लाते हुए कहा कि पारी तुरंत घोषित करो. इसके बाद अंत में सचिन को पारी घोषित करने की घोषणा करनी पड़ी. आपको मालूम हो कि सचिन और कांबली के 664 रनों के रिकॉर्ड को साल 2006 में हैदराबाद के मुहम्मद शाहबाज और उनके क्लासमेट मनोज कुमार ने 721 रन की साझेदारी कर तोड़ा था.