पैरा आर्म रेसलर को वर्ल्ड चैंपियन में मिला दूसरा स्थान, दोनों पैरों से दिव्यांग होते हुए भी बने अंतरराष्ट्रीय चैंपियन

लखनऊ में एमबीए की पढ़ाई के दौरान इनकी मुलाकात पैरा स्पोर्ट्स के कोच सुखदीप सिंह और आजाद प्रताप से हुई. उन्होंने सूर्य प्रताप को देख आर्म रेसलिंग करने की सलाह दी जिसके बाद एमबीए करने के साथ-साथ के डी सिंह स्टेडियम लखनऊ में उन्होंने तैयारी की . 

राष्ट्रपति ने दिया सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का नेशनल एवार्ड
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 24 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST
  • सूर्य प्रताप शर्मा जन्म से 100 फीसदी दिव्यांग हैं.
  • सूर्य प्रताप शर्मा 2017 में पैरा आर्म रेसलर अंतरराष्ट्रीय चैंपियन बने.

आपने दुष्यंत कुमार की लाइन "कौन कहता है की आसमां में सुराख नहीं होता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों" तो सुनी ही होगी, इस कहावत को चरितार्थ किया है उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले सूर्य प्रताप शर्मा ने. सूर्य प्रताप शर्मा दोनों पैरों से दिव्यांग होते हुए भी 2017 में पैरा आर्म रेसलर अंतरराष्ट्रीय चैंपियन बने. इस खेल में वो दूसरे स्थान पर रहे.  

सूर्य प्रताप शर्मा को पोलैंड में खेले गए खेल में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल मिला था. सूर्य प्रताप को यूपी सरकार के दिव्यांग मंत्री अनिल राजभर ने उत्कृष्ट खिलाड़ी सम्मान से नवाजा था, तो वहीं यूपी के तत्कालीन गवर्नर श्री राम नाईक ने बेस्ट स्पोर्ट पर्सनालिटी एवार्ड से सम्मानित किया था. 3 दिसंबर 2021 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के नेशनल एवार्ड से सम्मानित किया है. 

जवानों को देखकर जागी कुछ कर गुजरने की चाह

सूर्य प्रताप शर्मा जन्म से 100 फीसदी दिव्यांग हैं. वो चार भाइयो में तीसरे नंबर पर है. 2013 में सूर्य प्रताप देवरिया पुलिस लाइन में गणतंत्र दिवस पर परेड देखने पहुंचे थे. वहां जवानों को देख उनके मन मे भी कुछ कर गुजरने की चाह जगी कि वो भी कुछ ऐसा करें और अपने देश का नाम रोशन करें. जब वह लखनऊ में एमबीए की पढ़ाई कर रहे थे उस दौरान इनकी मुलाकात पैरा स्पोर्ट्स के कोच सुखदीप सिंह और आजाद प्रताप से हुई और उन्होंने सूर्य प्रताप को देख आर्म रेसलिंग करने की सलाह दी जिसके बाद एमबीए करने के साथ-साथ के डी सिंह स्टेडियम लखनऊ में उन्होंने तैयारी की . 

आगरा में ट्रायल के बाद सूर्य प्रताप शर्मा नेशनल के लिये सेलेक्ट हुए और दिल्ली तालकटोरा स्टेडियम में 2013 में पहला गोल्ड मेडल जीते, इसके बाद खेलगांव दिल्ली में भी गोल्ड मेडल जीते. इसके बाद उनकी जीत का सिलसिला शुरू हो गया. 2014 में सूर्य प्रताप का नागपुर में वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए सेलेक्शन हुआ और 2015 में बुल्गारिया में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में पांचवा स्थान हासिल कर देश का नाम रोशन किया. इसके बाद इन्होंने 2016 में हंगरी में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी चौथा स्थान हासिल किया.  

2017 में बने विश्व विजेता

सूर्य प्रताप शर्मा की रेसलिंग और जीतने का सिलसिला थमा नहीं. उनका विश्व विजेता बनने का सपना 2017 में पोलैंड में पूरा हुआ, जहां वो सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीते थे. उत्तर प्रदेश सरकार ने 2019 में सूर्य प्रताप शर्मा को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी पुरस्कार से सम्मानित किया था. यह सम्मान प्रदेश सरकार के दिव्यांग मंत्री अनिल राजभर ने दिया था. 2015 में उत्तर प्रदेश के गवर्नर से बेस्ट स्पोर्ट पर्सनैलिटी अवार्ड भी इन्हें हासिल हो चुका है. 

सूर्य प्रताप शर्मा ने इस मुकाम पर पहुंचने के बारे में बात करते हुए कहा कि सबके साथ ऐसा होता है कि कभी कुछ देखकर ऐसा लगता है कि देश के लिए हम भी कुछ करें. यही घटना मेरे साथ घटी जब अपने जिले में गणतंत्र दिवस की परेड हो रही थी, जब पुलिस के जवानों के करतब और उनके लिए बजती तालियों को देखकर मैंने भी सोचा कि कुछ ऐसा करो कि मेरे लिए भी ताली बजे और तिरंगा मेरे हाथ में हो इसलिए एजुकेशन के साथ स्पोर्ट्स एक्टिविटीज स्टार्ट की.

100 परसेंट दिव्यांग होते हुए भी चुनी आर्म रेसलिंग

उन्होंने कहा कि मैं 100 परसेंट दिव्यांग हूं, ऐसे में कोई भी चीज बहुत चैलेंजिंग होती है इसलिए मैंने आर्म रेसलिंग चूज किया. सूर्य प्रताप शर्मा ने कहा कि इसमें लगातार मेडल देश के लिए जीते और 2017 में विश्वकप जीतकर यह प्रूफ कर दिया यह भी ऐसा खेल है जो दिव्यांगों के लिए है. सूर्य प्रताप की मां सावित्री देवी ने बताया कि वो एक साल के थे तभी उन्हें पोलियो मार दिया था. कई जगह इलाज कराने के बाद भी ठीक नहीं हुए, लेकिन अब जीतने पर बहुत ही अच्छा लग रहा है. 

बहन आरती शर्मा का कहना है कि बहुत गर्व की बात है वो दिव्यांग होते हुए भी इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर लिया. यह हमारे परिवार के लिए बहुत ही खुशी का विषय है. भाई हरि प्रताप शर्मा का कहना है कि मेरा भाई बचपन से दिव्यांग है. हम चारों भाई और दो बहनों में यही सबसे आगे निकले आर्म रेसलर विश्वचैंपियन बने बहुत अच्छा लगा. पूरे जिले और देश का मान बढ़ा जिससे ग्रामवासी भी बहुत खुश हैं. 

(राम प्रताप सिंह की रिपोर्ट)

 

 

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