Paris Paralympics 2024: एक दुर्घटना ने बदल दी पूरी जिंदगी... खेल में तलाशी अपनी राह, अब गोल्ड जीतकर किया देश का नाम रोशन

हरियाणा के धरमबीर ने Paris Paralympics 2024 के Club Throw इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. क्लब थ्रो में पैरालंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले धरमबीर पहले पैरा-एथलीट हैं.

Para-athlete Dharambir won gold medal (Photo: X/Para-athletics)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:49 AM IST

भारत के पैरा-एथलीट्स Paris Paralympics 2024 में हर दिन नए रिकॉर्ड कायम कर रहे हैं. इस बार के पैरालंपिक्स में भारत अब तक 24 मेडल जीत चुका है. F51 Club Throw इवेंट में तो भारतीय खिलाड़ियों ने गोल्ड और सिल्वर, दोनों मेडल अपने नाम कर लिए. पैरा-एथलीट प्रणव सूरमा ने सिल्वर जीता तो धरमबीर ने गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया. 

हरियाणा के सोनीपत से ताल्लुक रखने वाले 35 वर्षीय धरमबीर ने क्लब थ्रो में गोल्ड जीतकर न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है. एक दुर्घटना में धरमबीर की पूरी जिंदगी बदल जाने के बाद शायद ही किसी ने सोचा था कि वह एक दिन इस मुकाम तक पहुंचेंगे. 

पानी में गोता लगाना पड़ा भारी 
धरमबीर की जिंदगी बहुत सामान्य थी. उनकी आंखों में बहुत से सपना थे जिन्हें वे पूरा करना चाहते थे. लेकिन कहते हैं न कि होता वही है जो किस्मत को मंजूर होता है. धरमबीर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. धरमबीर अपने गांव के ही एक कनाल में गोता लगाना चाह रहे थे. लेकिन वह यह नहीं समझ पाए की पानी की गहराई कितनी है. वह पानी में जाने के लिए कूदे और गिरे पानी के नीचे पत्थरों पर. इस दुर्घटना में उनकी कमर में गंभीर चोट आई. 

जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो पता चला कि उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट है और वे कभी चल नहीं पाएंगे. इसके बाद उनकी जिंदगी एकदम बदल गई. धरमबीर के लिए यह सब आसान नहीं था और इससे निकलने के लिए उन्होंने दुर्घटना के दो साल बाद स्पोर्ट्स में मन लगाना शुरू किया. साल 2014 में उन्हें पैरा-स्पोर्ट्स के बारे में पता चला. और उन्होंने कोच व पैरा-एथलीट अमित कुमार सरोहा के मार्गदर्शन में क्लब थ्रो खेलना शुरू किया. धरमबीर को इस खेल में मजा आने लगा और उन्हें अपनी एक पहचान बनाने की राह भी नजर आई. 

कई बार किया देश का नाम रोशन 
धरमबीर ने अपनी ट्रेनिंग शुरू करने के दो साल बाद ही साल 2016 में रियो पैरालंपिक्स के लिए क्वालिफाई किया. यह उनके करियर की अच्छी शुरुआत थी. इसके बाद से ही धरमबीर ने लगातार देश के लिए मेडल जीते हैं. उन्होंने 2022 के एशियम गेम्स में सिल्वर भी जीता था. 
क्लब थ्रो खेल में लकड़ी के क्लब को जितना संभव हो सके उतना दूर तक फेंकना होता है. यह हैमर थ्रो के जैसा है जिसमें प्रतिभागी थ्रो के लिए कंधों और भुजाओं का इस्तेमाल करते हैं. धरमबीर ने पैरालंपिक्स में अपने पांचवें अटेम्प्ट में 34.92 मीटर दूर क्लब थ्रो किया और वह क्लब थ्रो में पैरालंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पैरा-एथलीट बन गए. 

 

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