पेरिस पैरालंपिक्स गेम्स 2024 में दुनियाभर के खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. खिलाड़ी लगातार अपनी झोली में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल डाल रहे हैं. इन खिलाड़ियों में कुछ टीनएजर खिलाड़ी भी हैं, जिन्होंने कई मेडल जीते और अपने खेल से खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया. भारतीय दल में भी टीनएजर खिलाड़ी हैं, जो इस बार पैरालंपिक गेम्स में हिस्सा ले रहे हैं. चलिए आपको दुनिया के उन टीनएजर प्लेयर्स के बारे में बताते हैं, जिन्होंने छोटी उम्र में मेडल हासिल किया है.
13 साल की इओना विन्निफ्रिथ-
ब्रिटेन की एथलीट इओना विन्निफ्रिथ (Iona Winnifrith) की उम्र सिर्फ 13 साल 148 दिन है. इस छोटी सी उम्र में इस एथलीट ने पैरालंपिक्स में सिल्वर मेडल जीता है. विन्निफ्रिथ ने वुमेंस एसबी7 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में मेडल हासिल किया. इस जीत के साथ ही उन्होंने एक रिकॉर्ड कायम किया. विन्निफ्रिथ इस सदी में पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली ब्रिटेन की सबसे कम उम्र की तैराक बन गई हैं. ये टीनएजर तैराक टोनब्रिज स्विमिंग क्लब से जुड़ी हैं.
विन्निफ्रिथ का जन्म साल 2011 में हुआ. पहली बार उनका तैराकी से सामना उस समय हुआ था, जब जब वो टोनब्रिज क्लब में अपने भाइयों को स्वीमिंग की ट्रेनिंग लेते हुए देखा था. उस समय उनकी उम्र 5 साल थी. इस उम्र में ही वो क्लब तैराकी सीखने के लिए शामिल हुईं. उस समय विन्निफ्रिथ क्लब में सबसे कम उम्र की तैराक थीं.
विन्निफ्रिथ को सैर करना और बगीचे में खेलना काफी पसंद है. उनके पास 2 डॉग भी हैं. इतना ही नहीं, विन्निफ्रिथ एक लोकल यूथ थिएटर की मेंबर भी हैं. उन्होंने स्कूल कार्यक्रमों और नाटकों में एक्टिंग भी की है.
14 साल की बेली ट्वॉमी-
ब्रिटेन की बेली ट्वॉमी (Bly twomey) 14 साल की हैं. बेली ने इस उम्र में पैरा-टेबल टेनिस में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है. उन्होंने WS7 सिंगल में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. सेमीफाइनल में तुर्की की 30 साल की कुबरा कोरकुट से उनको हार का सामना करना पड़ा. पैरालंपिक्स में बेली का ये दूसरा ब्रॉन्ज मेडल है. इससे पहले उन्होंने फेलिसिटी पिकार्ड (Felicity Pickard) के साथ मिलकर WD14 वुमेंस डबल्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. बेली ब्रिटेन की सबसे कम उम्र की पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं.
बेली का जन्म सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy) के साथ हुआ था. यह एक मूवमेंट डिसऑर्डर है. दरअसल यह बीमारी दिमाग से जुड़ी हुई है. इसमें दिमाग का वो हिस्सा ठीक से विकसित नहीं होता है, जो मांसपेशियों को कंट्रोल करता है.
17 साल के रीड मैक्सवेल-
कनाडा की पैरालंपिक टीम के सबसे युवा खिालड़ी रीड मैक्सवेल हैं. इस युवा तैराक की उम्र 17 साल है. उन्होंने पुरुषों के 400 मीटर फ्रीस्टाइल S8 में सिल्वर मेडल जीता है. यह उनका पहला पैरालंपिक मेडल है. इस इवेंट से 2 दिन पहले ही उन्होंने अपना 17वां बर्थडे सेलिब्रेट किया है.
जन्म से ही मैक्सवेल के दाहिने पैर में दिक्कत थी. उनको प्रून बेली सिंड्रोम (Prune Belly Syndrome) है. इस बीमारी में बच्चे की पेट की मांसपेशियां कमजोर होती हैं या नहीं होती हैं.
17 साल की भारतीय खिलाड़ी का जलवा-
पेरिस पैरालंपिक्स में भारत की सबसे युवा खिलाड़ी 17 साल की तीरंदाज शीतल देवी हैं. उन्होंने पैरालंपिक्स के डेब्यू मैच में ही कमाल का प्रदर्शन किया. उन्होंने इस मैच में वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया. शीतल देवी ने इस मैच में 720 में से 703 अंक हासिल किया. इस तरह से उन्होंने ब्रिटेन की फोबे पाइन पीटरसन के 698 अंक के वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ दिया. हालांकि पैरालंपिक्स के इस इवेंट में शीतल देवी को मेडल नहीं मिला. लेकिन शीतल देवी और राकेश कुमार की जोड़ी ने मिक्स्ड टीम आर्चरी कंपाउंड इवेंट में मेडल जीता. इस जोड़ी पेरिस पैरालंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया.
18 साल के ओडा टोकिटो-
18 साल के ओडा टोकिटो (ODA Tokito) जापान के एथलीट हैं. उनका जन्म साल मई 2006 में हुआ. उन्होंने पैरालंपिक्स के व्हीलचेयर टेनिस एकल स्पर्धा के फाइनल में जगह बना ली है. इस तरह से उन्होंने सिल्वर मेडल पक्का कर लिया है. अब उनकी लड़ाई गोल्ड मेडल के लिए है. ओडा ने 4 सिंगल खिताब जीते हैं. उन्होंने 17 साल की उम्र में साल 2023 में फ्रेंच ओपन जीता था. इस जीत के बाद ओडा दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी बन गए थे. पिछले साल ओडा ने विंबलडन चैंपियनशिप में सिंगल टाइटल जीता था. अभी भी ओडा दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी हैं.
15 साल के जॉर्डन व्हाइट-
जॉर्डन व्हाइट (Jordan White) अमेरिकी पैरालंपिक टीम के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं. वो पैरालंपिक में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे कम उम्र के तीरंदाज भी बन गए हैं. उनकी उम्र सिर्फ 15 साल है. जॉर्डन पहली बार पैरालंपिक में हिस्सा ले रहे हैं.
जॉर्डन फीमरल डेफिसिएंसी (femoral deficiency) और फाइब्यूलर हेमीमेलिया (fibular hemimelia) के साथ पैदा हुए थे. उनके पैरों की 20 से ज्यादा सर्जरी हो चुकी है. उनके बचपन का अधिकांश समय अस्पताल में बीता है. वो कभी खेलखूद में हिस्सा नहीं ले पाए. लेकिन जब तीरंदाजी के बारे में उनको पता चला तो उनको लगा कि वो भी इसमें प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हालांकि अभी तक उनको कोई मेडल नहीं मिला है.
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