रणजी ट्रॉफी में इतिहास रचने वाली मध्य प्रदेश टीम के हीरो यश दुबे से Exclusive बातचीत, किताबों का है शौक

Ranji Final: रणजी ट्रॉफी के इतिहास में पहली बार मध्य प्रदेश की टीम ने खिताबी जीत हासिल की है. फाइनल मुकाबले में तीन खिलाड़ियों ने शतक बनाया. जिसमें से एक यश दुबे हैं. जिन्होंने 133 रन की शानदार पारी खेली. यश दुबे ने जीएनटी से बताया कि मैच के दौरान उनके दिमाग में क्या चल रहा था. कैसे उन्होंने इस बड़े मैच में इतनी शानदारी पारी खेली.

yash Dubey
नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST
  • यश ने रणजी ट्रॉफी फाइनल में बनाया शतक
  • जीत में कोच ने निभाई खास भूमिका- यश

Ranji Trophy final: रणजी ट्रॉफी 2022 के फाइनल में मध्य प्रदेश की क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया. बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए इस खेल में मध्य प्रदेश ने मुंबई को छह विकेट से हराकर पहला खिताब अपने नाम किया. मध्य प्रदेश को मैच की आखिरी पारी में जीत के लिए महज 108 रनों की जरूरत थी. मध्य प्रदेश ने पहली पारी में 162 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त हासिल करने के बाद 29.5 ओवर में जरूरी रन जुटाकर जीत दर्ज की. इस जीत में यश दुबे का बड़ा योगदान रहा. यश दुबे ने शानदार 133 रन की पारी खेली. जीएनटी ने मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक जीत के नायकों में से एक यश दुबे से खास बातचीत की.

पूरा फोकस टारगेट पर था- 

जीएनटी से बातचीत में यश ने बताया कि खेल के दौरान मेरा फोकस पूरी तरह से अपने टारगेट पर था. हम मुंबई के साथ खेल रहे थे. इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए मैंने अपना पूरा फोकस बैटिंग और बॉलिंग पर लगा दिया था. यश ने बताया कि खेल के शुरू होने से लेकर खत्म होने तक मैंने अपने पर्सनल माइंड सेट के साथ मैच को खेला. यश ने कहा कि खेल के दौरान मेरे दिमाग में ये बात चल रही थी कि पुरानी गलतियों को दोहराना नहीं है. यश ने कहा कि ये मेरा एक ओपनर के तौर पर तीसरा मैच था. हांलाकि मैं एक रेगुलर ओपनर नहीं हूं तो ये मेरे लिए एक मुश्किल भरा काम होने के साथ एक प्रेशर भी था. लेकिन मैंने अपने पहले के मैचों में की गई गलतियों से सीख लेते हुए इस मैच को खेला और कामयाबी हासिल की.

यश ने शेयर किए पुराने एक्सपीरियंस-

पिछले मैच में हुई गलतियों के सवाल पर यश ने बताया कि पंजाब के साथ खेले गए मैच में मैंने नए बॉल को पुराना कर दिया था. लेकिन जब मेरी बारी रन बनाने की आई, तो मैंने टीम के लिए खराब शॉट खेल दिया. क्योंकि यश उस समय रन बनाने को लेकर काफी उत्साहित हो गया था. लेकिन यश का रन बनाने का उत्साह पूरी टीम के लिए भारी पड़ गया. यश ने दूसरा एक्सपीरियंस बंगाल के मैच वाला शेयर किया. बंगाल के खिलाफ मैच में भी यश का कुछ अच्छा अनुभव नहीं था. इसको लेकर कोच ने यश को समझाया कि तुम्हें क्रिकेट की रिस्पेक्ट नहीं करनी आती, इस वजह से तुम्हारा खेल में प्रदर्शन खराब हो रहा है.

कोच को श्रेय-

यश दुबे ने अपनी का श्रेय कोच को दिया. कोच की बातों को दिमाग में रखते हुए यश ने मुंबई के खिलाफ खेला. यश ने बताया कि इस जीत में सबसे बड़ा योगदान हमारे कोच चंद्रकांत पंडित का रहा है. यश ने बताया कि कोच चंद्रकांत पंडित क्रिकेट के मास्टर माइंड हैं. कोच चंद्रकांत पंडित को क्रिकेट से सबसे ज्यादा डर लगता है और यही बात चंद्रकांत पंडित से मैंने सीखी है. यश ने कहा कि चंद्रकांत पंडित क्रिकेट को ही अपनी जिंदगी मानते हैं. यश बताते हैं कि मेरे लिए कोच चंद्रकांत पंडित दुनिया के सबसे ज्यादा तजुर्बेकार शख्सियत हैं. चंद्रकांत पंडित की पांच मिनट की बातचीत से भी मुझे काफी कुछ सीखने को मिलता है. यश चंद्रकांत पंडित की सभी बातों को डायरी में नोट करते हैं और सीखते हैं.

कोच का 23 साल का सपना पूरा हुआ-

यश ने बताया कि 1998/99 में रणजी ट्रॉफी फाइनल में एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में ही मध्य प्रदेश कर्नाटक से 96 रनों से हार गया था. तब पंडित मध्य प्रदेश के कप्तान के रूप में ट्रॉफी जीतने से चूक गए थे. यश बताते हैं कि अपने इस खराब एक्सपिरियंस के बारे में पंडित ने हमेशा पूरी टीम को सीख दी. पंडित हमेशा कहते आए हैं कि टीम के एक मेंबर की ढिलाई की वजह से भी पूरी टीम शानदार खेलते हुए भी हार सकती है. इसलिए ये जरूरी है कि टीम का एक -एक प्लेयर एकदम शानदार तरीके से खेले. आज ये मैच जीत कर ना सिर्फ मध्य प्रेदश की टीम का सपना पूरा हुआ है, बल्कि कोच चंद्रकांत पंडित का 23 साल पहले टूटा सपना भी पूरा हो गया है.

5 दिनों के खेल में कुछ ऐसी रही तैयारी-

यश ने बताया कि मुंबई के साथ खेलते हुए हमने इस बात का ध्यान रखा कि थोड़ी सी भी ढील नहीं देनी है. कोच चंद्रकांत पंडित ने ना सिर्फ इस मैच के लिए ट्रेनिंग दी. बल्कि पिछले के सभी मैचों में अपना पूरा टाइम दिया. यश ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान कोच और टीम को खाना खाने की भी फुर्सत नहीं मिल पाती थी. टीम का पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ खेल पर था. यश ने बताया कि पूरी टीम को ये बात अच्छे से पता थी कि हम मुंबई के साथ खेल रहे हैं और मुंबई टीम एक ढील की ताक में रहती है और अपना काम कर गुजरती है और हमने मुंबई को यही मौका नहीं दिया.

पहले दिन टॉस हार गई थी टीम-

यश ने बताया कि पहले दिन हमारी टीम टॉस हार गई और मुंबई को बैंटिग करने का पहला मौका मिला. लेकिन हमारे बॉलर्स ने इतना शानदार खेला कि रोमांच बढ़ता ही गया. खेल एक फ्रेश स्टार्ट के साथ शुरू हुआ था. यश ने कहा कि खेल को और रोचक बनाने में एम चिन्नास्वामी स्टेडियम का भी योगदान रहा. यश ने बताया कि टुर्नामेंट से 12 दिन पहले ही हमारी पूरी टीम स्टेडियम आ गयी थी. ताकि तैयारी खूब अच्छे से हो. इसके लिए यश एम चिन्नास्वामी स्टेडियम का शुक्रिया भी अदा करते हैं.

होमवर्क से किया बेहतर परफॉर्म-
मुंबई के साथ खेलने में किस तरह का प्रेशर था. इस सवाल पर यश ने कहा कि हम इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे. हमारे कोच की ट्रेनिंग और हमें खुद की तैयारी पर पूरा भरोसा था. खेल से पहले पूरी टीम सुबह 9 से पांच बजे तक ग्राउंड पर रही. इस तरह पूरी टीम की बॉडी ने खुद को खेल के लिए तैयार कर लिया था. यश ने कहा कि दिन के प्रैक्टिस के अलावा पूरी टीम ने रात में 10 बजे से सुबह 5 बजे तक प्रैक्टिस की. खेल में जीतने के सवाल पर यश ने कहा कि जीत को लेकर सबकी स्ट्रैटिजी ये थी कि टीम का हर एक खिलाड़ी अपना रोल अच्छे से निभाएगा तो जीत जरूर मिलेगी.  इनसब में यश कोच और भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं. 

किताबें पढ़ना और डायरी लिखने का शौक-

यश ने बताया कि उन्हें किताबें पढ़ना और डायरी लिखना बहुत पंसद है. सोशल मीडिया पर भी यश कॉन्टेंट ढूढंते हैं, जिससे वो कुछ सीख सकें. यश ने बताया कि उनके फेवरेट प्लेयर महेन्द्र सिंह धोनी और केन विलियमसन हैं. 

 

Read more!

RECOMMENDED