Exclusive Interview With Shivani Pawar: कोच की सलाह से फुटबॉलर से बन गई रेसलर, जीता सिल्वर, गोल्ड का सपना

शिवानी को कुश्ती में जाने की सलाह उनके कोच ने दी थी, शिवानी का अगला टारगेट 2024 पेरिस ओलिंपिक में गोल्ड लाना है. इसके अलावा कॉमनवेल्थ चैंपयनशिप में गोल्ड, एशियन गेम में गोल्ड के अलावा एशियन गेम में मेडल लाना शिवानी का सपना है.

शिवानी पवार
नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:25 PM IST
  • वर्ल्ड रेसलिंग में रूस की मारिया को हरा कर फाइनल में पहुंचीं थी शिवानी
  • मध्य प्रदेश को 8 पदक दिला चुकी हैं शिवानी
  • 2024 पेरिस ओलिंपिक में गोल्ड लाना अगला टारगेट

मध्य प्रदेश के छोटे से शहर छिंदवाड़ा के उमरेठ की शिवानी पवार ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय महिला कुश्ती चैंपियनशिप सर्बिया में सिल्वर मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है. अंडर 23 के 50 किलोग्राम वर्ग में देश को सिल्वर दिलाने वाली  शिवानी एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं, पूरे जिले में शिवानी इकलौती ऐसी लड़की हैं, जिसने रेसलिंग को अपना कैरियर चुना, शिवानी पवार ने gnttv.com से खास बातचीत की. पेश है उनसे बातचीत के खास अंश

फुटबॉलर से रेसलर बनने की कहानी 

शिवानी 2013 तक फुटबॉल खेला करती थी, तब वो स्कूल में थी. साल 2013 में ही सब जूनियर नेशनल के ट्रायल में शिवानी के फुटबॉल कोच ने उनके स्टेमिना को देखते हुए कुश्ती में हाथ आजमाने को कहा और उनका सेलेक्शन हो गया. बस यहीं से उनके रेसलिंग कैरियर की शुरूआत हुई. स्कूल कोच कलशराम मर्सकोले ने पहले शिवानी को फुटबॉल में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. शिवानी ने फुटबॉल के पहले ही राउंड में स्टेट निकाल लिया. कॉम्पटीशन से वापस आने पर कोच ने उसे रेसलिंग करने की सलाह दी. शिवानी बताती हैं कि स्कूल कोच कलशराम मर्सकोले ने ही पहले उन्हें फुटबॉल में करियर बनाने के लिए कहा था, लेकिन फुटबॉल कॉम्पटीशन से वापस आने पर कोच ने रेसलिंग करने की सलाह दी.’

शुरूआत में परिवार से दूर रहना रहा सबसे मुश्किल

शिवानी बताती हैं कि रेसलिंग के शुरुआती दौर में उन्हें घर से बाहर परिवार वालों से दूर रहना पड़ा और यही उनकी जिंदगी का सबसे मुश्किल दौर था. रेसलिंग के दौरान कई बार चोट लगी. इसका असर उनके परफॉरमेंस पर भी पड़ा. लेकिन शिवानी के पिता नंदलाल पवार ने दूर होते हुए भी हमेशा शिवानी की हौसलाअफज़ाई की. शिवानी बताती हैं कि उनके माता पिता ने अपने सभी बच्चों को करियर चुनने की आजादी दी है. 

शुरुआत में सुनने पड़े ताने 

शिवानी ने बताया कि उनके परिवार वालों ने जब उन्हें कुश्ती में भेजने का फैसला किया, तो आस-पड़ोस के लोगों ने बहुत ताना दिया. पड़ोसियों का कहना था कि लड़की है, लड़की को कोई कुश्ती में भेजता है क्या? लेकिन आज यही शिवानी पूरे देश के लिए रोल मॉडल बन गयी है. शिवानी पवार दिल्ली में रहती हैं, लेकिन छिंदवाड़ा के लोग उनसे मिलने की इच्छा रखते हैं. शिवानी से टिप्स लेना चाहते हैं. माता-पिता अपनी बच्चियों को शिवानी जैसा बनाना चाहते हैं. 


रवि कुमार दहिया को मानती हैं अपना रोलमॉडल

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में सिल्वर मेडल हासिल करने वाले रवि कुमार दहिया को शिवानी अपना रोल मॉडल मानती हैं. वो रवि कुमार दहिया से काफी इंस्पायर्ड हैं.  शिवानी ने बताया कि खाली समय में भी वो खुद को मोडिवेटेड रखना चाहती हैं, क्योंकि मोटिवेशन से एक एनर्जी बनी रहती है और वो अपनी एनर्जी का इस्तेमाल कुश्ती में कर सकती है. यही वजह है कि खाली वक्त में शिवानी मोटिवेशनल वीडियोज देखती और सुनती हैं. 

आगे बढ़ने के लिए हमेशा अपने गोल पर रखें फोकस-शिवानी 

शिवानी कहती हैं कि ''अगर आपने एक बार अपना टार्गेट फिक्स कर लिया है तो फिर पीछे मुड़ कर देखना एक ऐसी गलती है जिसकी कोई माफी नहीं, बहुत सी मुश्किलें आएंगी, जो आपको पीछे मुड़ने पर मजबूर करती हैं, लेकिन जीतता वही है जो उन मुश्किलों का डट कर सामना करता है. लड़की हो या लड़का, हर किसी की जिंदगी में परेशानियां आती हैं. लेकिन जो अपने टारगेट को इन परेशानियों से बड़ा मानता है कामयाबी उनको ही मिलती है. 

2024 पेरिस ओलिंपिक में गोल्ड लाना अगला टारगेट

शिवानी का अगला टारगेट 2024 पेरिस ओलिंपिक में गोल्ड लाना है. इसके अलावा कॉमनवेल्थ चैंपयनशिप में गोल्ड, एशियन गेम में गोल्ड के अलावा एशियन गेम में मेडल लाना शिवानी का सपना है.

स्टेट फेडरेशन से है काफी उम्मीद

शिवानी ने बताया कि उन्हें स्टेट फेडरेशन से काफी मदद मिली है और आगे भी उन्हें ऐसी ही उम्मीद है. स्टेट फेडरेशन की मदद से ही आज प्रदेश की रेसलिंग में अचिवमेंट काफी बढ़ी है. शिवानी को ये उम्मीद है कि आगे आने वाले सालों में कम से कम 1 गोल्ड मध्य प्रदेश को जाएगा. 

2021 का अंडर-23 में मेडल जीतना अब तक का सबसे इमोशनल लम्हा

शिवानी ने बताया कि साल 2018 के अंडर -23 टूर्नामेंट में उनका परफॉर्मेंस काफी डाउन हो गया था, लेकिन शिवानी ने ये ठान लिया था कि उन्हें इसी कॉम्पटिशन से अपनी पहचान बनानी है.  अंडर-23 के मेडल सेरेमनी को याद करते हुए शिवानी कहती हैं कि 'जब मैं मेडल सेरेमनी के लिए सिल्वर पर खड़ी हुई तो मेरे जेहन में एक ही बात चल रही थी कि मैंने जो सोचा था, उसका पहला पायदान चढ़ चुकी हैं और आगे कई पायदान चढ़ने बाकी हैं.

 
 

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