Pullela Gopichand Birthday: साइना नेहवाल से लेकर सिंधु को सुपरस्टार बनाने वाले की गोपीचंद की कहानी, उधार के पैसों से खरीदा था बैडमिंटन

पुलेला गोपीचंद एक पूर्व भारतीय बैडमिंटन ऐस हैं, जिन्होंने साइना नेहवाल, पीवी सिंधु और पारुपल्ली कश्यप जैसे बड़े-बड़े बैडमिंटन स्टार्स को ट्रेनिंग दी है. गोपीचंद ने 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में सर्वोच्च स्थान हासिल करने के बाद सुर्खियां बटोरीं, महान प्रकाश पादुकोण के बाद इस प्रमुख उपलब्धि को हासिल करने वाले दूसरे भारतीय बने.

गोपीचंद
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST
  • प्रकाश पादुकोण के प्रेरक थे गोपीचंद
  • महंगे विज्ञापन कभी नहीं करते थे गोपीचंद

पीवी सिंधु आज देश की बैडमिंटन स्टार बन गई है. लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि पीवी सिंधु को स्टार बनाने के पीछे कोई और है. कहते हैं हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती, लेकिन यहां पर कहानी थोड़ी अलग है. पीवी सिंधु की सफलता के पीछे एक पुरुष है, नाम है पुलेला गोपीचंद. सिंधु की जीत सिर्फ उनके अकेले की जीत नहीं थी, बल्कि पुलेला गोपीचंद के सपनों की जीत है. सिंधु की जीत में गोपीचंद अपनी भी जीत देखते थे.

प्रकाश पादुकोण के प्रेरक थे गोपीचंद
गोपीचंद के बचपन के प्रेरक थे प्रकाश पादुकोण, जिन्हें आज उन्हें लोग अपने खुद के नाम से कम और उनकी बेटी दिपीका पादुकोण के नाम से ज्यादा जानते हैं. पुलेला गोपीचंद की कहानी मुफलिसी से शुरू होती है, ये एक मिडिल क्लास परिवार की कहानी है. गोपीचंद इस कहानी के किरदार हैं, जिसने उधार के पैसों से बैडमिंटन खरीदा, और खेलना शुरू किया. 

मुफलिसी से शुरू हुई गोपीचंद की कहानी
गोपीचंद ने इस खेल को अपनी धड़कन तबसे बना लिया, जब इस खेल में न तो ग्लैमर था, और न ही पैसा. गोपीचंद का परिवार उनके खेलने के लिए उनके लिए पैसे इकट्ठा करता था. जिससे वो इस खेल को अपना करियर बना सकें. हालांकि इस काम में हजारों रुकावट होती थीं, पैसों को इंतजाम करना आसान नहीं था, कोई ऐसे मदद भी नहीं करता था. बार-बार मदद की उम्मीद भी टूट रही थी. यहां तक की कई बार तो स्टेडियम तक जाने के पैसे भी नहीं होते थे.

प्रकाश पादुकोण ने दी ट्रेनिंग
गोपीचंद को जब पहली बार विदेश जाना था, तो उनके परिवार को उसके लिए भी दूसरों से पैसे इकट्ठे करने पड़े थे. धीरे-धीरे ऐसे संघर्ष करते हुए उनकी मुलाकात हुई उनके आदर्श प्रकाश पादुकोण से, बस यहीं से गोपीचंद की जिंदगी पांचवे गियर में आ गई. प्रकाश पादुकोण ने गोपीचंद को ट्रेनिंग देना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे गोपीचंद की कामयाबी का सिलसिला भी शुरू हो गया.

सभी टॉप प्लेयर्स को हरा दिया था
इतिहास के पन्नों को उठा कर देखेंगे तो आपको मालूम होगा कि गोपीचंद ने दुनिया के हर बैडमिंटन खिलाड़ी को शिकस्त दी थी, यानी कि उस वक्त के टॉप बैडमिंटन प्लेयर भी पुलेला गोपीचंद से हार चुके थे. कोई उनके तेज से बच नहीं पाया. गोपीचंद काफी अच्छा परफॉर्म कर रहे थे. कोई भी जब अच्छा खेलता है, तो उसका सपना जाहिर से ओलंपिक का बन जाता है. गोपीचंद ने भी बैडमिंटन में भारत के लिए गोल्ड जीतने का सपना देखा था. लेकिन वो कहते हैं कि ना कि किस्मत का लिखा कोई बदल नहीं सकता. गोपीचंद सिडनी ओलंपिक में बहुत करीब पहुंचकर भी हार गए. 

महंगे विज्ञापन कभी नहीं करते थे गोपीचंद
हालांकि गोपीचंद ने अगली पीढ़ी से ये करवाने की ठान ली. फिर उन्होंने एक वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग सेंटर खोलने का फैसला किया, लेकिन उसके लिए बहुत,सारे पैसों की जरूरत थी. अब सवाल ये था कि ये पैसे आते कहां से, क्योंकि जिस वक्त गोपीचंद का करियर ऊंचाइयां छू रहा था, उस वक्त गोपीचंद ने अपना पूरा फोकस खेल पर ही बना कर रखा, और न की किसी विज्ञापनों की मोटी कमाई पर उनकी नजर गई. गोपीचंद जब सुपरस्टार थे, तब कोका-कोला ने उन्हें लाखों रुपए ये खरीदने की कोशिश की. लेकिन गोपीचंद न तो बिके, न डिगे. कोका-कोला प्रोडक्ट को सिर्फ पैसों के लिए बेचने से उन्होंने इंकार कर दिया. करोड़ों के विज्ञापन भी गोपीचंद को उनकी खेल भावना और समर्पण को डिगा नहीं.

घर गिरवी रखकर खोला ट्रेनिंग सेंटर
नतीजा गोपीचंद ने अपने घर को गिरवी रख दिया और उससे ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत की, उनकी स्टूडेंट थीं, साइना नेहवाल. साइना ने उनके अंडर ट्रेनिंग लेकर लंदन ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता, इसी ट्रेनिंग सेंटर में एक और स्टूडेंट थी पीवी सिंधु, यहां पर सबको एक जैसी अहमियत मिलती थी. कुल मिलाकर कहें तो गोपीचंद खुद भले ही ओलंपिक में मेडल नहीं जीत सके, लेकिन अपने स्टूडेंट्स से अपना सपना पूरा कर लिया.

 

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