शुक्रिया विराट कोहली : टी20 क्रिकेट के महानायक/खलनायक के नाम

यह कहानी टी20 वर्ल्ड कप 2012 में शुरू हुई. अतरंगी ढंग से बाजू घुमाकर गेंदबाजी करने वाला लड़का युवाओं में सबसे ज्यादा फिट भी नहीं था, न ही सबसे ज्यादा कुशल था. उससे बेहतर खिलाड़ी भी थे भारत में लेकिन उसकी खास बात यह थी कि वह कुछ कर गुजरने की चाह रखता था.

कोहली टी20 वर्ल्ड कप में दो बार मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुने जाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं.
शादाब खान
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2024,
  • अपडेटेड 6:01 PM IST

विराट कोहली के चाहने वालों को वो वक्त अच्छी तरह याद होगा जब 2021 टी20 वर्ल्ड कप के बीच में उन्होंने इस फॉर्मैट की कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर दिया था. याद्दाश्त के पर्दे पर खिंची हुई धुंधली लकीरें गवाह हैं कि इस सदी के सबसे महान क्रिकेटर को वो सम्मान नहीं दिया गया था जो दिया जाना चाहिए था.

जब भारत टूर्नामेंट के ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गया था तो चारों दिशाओं से कोहली पर उंगलियां उठने लगी थीं. सिर्फ बतौर कप्तान नहीं, बतौर खिलाड़ी भी. सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह थी कि जिस खिलाड़ी ने कई टी20 वर्ल्ड कप आयोजनों में भारत की साख बचाई, उसके खेलने के तरीके पर सवाल उठने लगे थे. लोग शायद भूल गए थे कि कोहली कौन है. 

यह कहानी टी20 वर्ल्ड कप 2012 में शुरू हुई. अतरंगी ढंग से बाजू घुमाकर गेंदबाजी करने वाला और हथेलियों के बीच बल्ले का हैंडल घुमाने वाला लड़का युवाओं में सबसे ज्यादा फिट भी नहीं था, न ही सबसे ज्यादा कुशल था. उससे बेहतर खिलाड़ी भी थे भारत में लेकिन उसकी खास बात यह थी कि वह कुछ कर गुजरने की चाह रखता था. यह 2014 टी20 वर्ल्ड कप में दिखा भी, जब कोहली ने छह मैचों में 106.33 की औसत से 319 रन बनाए. हालांकि हम फाइनल में पहुंचने के बावजूद यह टूर्नामेंट जीते नहीं. 

दो साल बाद, 2016 में कोहली को फिर टी20 वर्ल्ड कप जीतने का मौका मिला. इस वक्त तक कोहली बहुत बदल चुके थे. कोहली ने खुद को एक फिट क्रिकेटर, धाकड़ बल्लेबाज और चेजमास्टर के तौर पर साबित कर दिया था. टी20 वर्ल्ड कप से ठीक पहले एशिया कप में कोहली ने पाकिस्तान के खिलाफ मीरपुर में एक जुझारू पारी भी खेली थी. इस मैच में कोहली ने 85 रन के छोटे स्कोर का पीछा करते हुए 51 गेंद पर 49 रन बनाए थे. यह पारी तूफानी तो नहीं थी लेकिन वर्ल्ड कप से ठीक पहले कोहली ने मुश्किल पिच पर अपना लोहा मनवा दिया था. 

फिर आया टी20 वर्ल्ड कप. कोहली लगातार दूसरी बार प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे. उन्होंने छह मैचों में 136.50 की औसत से 273 रन बनाए. इसमें पाकिस्तान के खिलाफ कोलकाता में खेली गई 55 रन की पारी और मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई 82 रन की पारी भी शामिल रही. लेकिन टी20 वर्ल्ड कप के इतिहास की दो सबसे यादगार पारियां खेलने के बावजूद कोहली टीम को सेमीफाइनल से आगे नहीं ले जा सके. 

अगला टी20 वर्ल्ड कप 2021 में, यूएई में हुआ. पांच सालों में बहुत कुछ बदल चुका था. शायद टी20 क्रिकेट भी. कोहली अपने करियर का उरूज और जवाल दोनों देख चुके थे. यह टूर्नामेंट खत्म होने तक कोहली के लिए कई परेशानियां खड़ी हो चुकी थीं. कप्तानी का छूट जाना और फॉर्म का ना होना एक तरफ, लेकिन कई लोग कोहली को भारतीय क्रिकेट का खलनायक बनाने पर तुले थे. क्या कोहली टी20 क्रिकेट के लिए बहुत धीमे हैं? क्या कोहली की तकनीक और तरीका पुराना है? क्या टी20 टीम में कोहली की जगह नहीं बनती? ये वो सवाल थे जो कोहली के करियर की हकीकत पर पर्दा डाल देना चाहते थे. 

सच यह है कि कोहली अपने टी20 करियर में उस समय तक 12 बार (कुल 16 बार) मैन ऑफ द मैच रह चुके थे, जो किसी अन्य भारतीय क्रिकेटर से ज्यादा है. इनमें से पांच (कुल आठ) मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड टी20 वर्ल्ड कप में आए थे. इसलिए यह स्वीकार करना मुश्किल था कि लोग कोहली की काबीलियत को भूल उन्हें टीम से बाहर करने की बात कह रहे हैं. बहरहाल, एशिया कप 2022 में अफगानिस्तान के खिलाफ शतक जड़कर कोहली ने सैकड़े का तीन साल लंबा इंतजार खत्म किया. अगले महीने टी20 वर्ल्ड कप 2022 में पाकिस्तान के खिलाफ 82 रन की वो यादगार पारी खेलकर कोहली ने मेलबर्न क्रिकेट स्टेडियम को अपना बना लिया. लेकिन ट्रॉफी इस बार भी हाथ न लगी. 

एक बार फिर कोहली के नाम के साथ कई ऐसे लफ्ज जोड़े जाने लगे जो उनको बिल्कुल भी परिभाषित नहीं करते. क्या कोहली टी20 वर्ल्ड कप 2024 खेलेंगे? यह सवाल कई बार पूछा गया, लेकिन आखिरकार बीसीसीआई ने इसका जवाब हां में दिया. यह जानते हुए कि वह अपना आखिरी टी20 वर्ल्ड कप खेल रहे हैं, कोहली ने एक बार भी रणनीति में बदलाव नहीं किया और अमेरिका की नई पिचों पर आक्रामकता से खेलने की कोशिश में आउट होते गए.

शुरुआती सात मैचों में कोहली ने सिर्फ 75 रन बनाए. फिर आया टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल का दिन. कोहली के टी20 करियर का सबसे बड़ा दिन. परिपक्वता के आसमान की ऊंचाई नाप चुके कोहली के लिए यह करो या मरो का मौका था. सो उनके कद के क्रिकेटर को एक ऐसी ही पारी खेलनी थी जो भारत की जीत के लिए निर्णायक साबित हो. कोहली ने 59 गेंद पर छह चौकों और दो छक्कों की मदद से 76 रन बनाए. क्या यह काव्यमय नहीं है कि जिस बल्लेबाज की तकनीक पर लगातार तंज कसे गए, उसने अपनी तकनीक से ही भारत को 17 साल बाद टी20 वर्ल्ड कप जिताया? वह बल्लेबाज जिसने बहुत आसानी से दो बार टी20 वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता, वह संघर्ष को बहुत करीब से देखने के बाद ही अपनी टीम के लिए एक ट्रॉफी-जिताऊ पारी खेल सका. 

नए दौर के क्रिकेट में अंधाधुंध बल्लेबाजी की बातें धरी की धरी रह गईं. कोहली पारंपरिक क्रिकेट का सम्मान कर टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच और खिताबी ट्रॉफी दोनों ले गए. मीरपुर के मीर, मोहाली के किंग और मेलबर्न के एंपेरर ने कुछ इस तरह टी20 क्रिकेट को अलविदा कहा. तमाम खट्टी-मीठी यादों के लिए शुक्रिया विराट कोहली. तुम अब कभी न आओगे यानी कभी-कभी,रुखसत करो मुझे कोई वादा किए बगैर. 
 

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