Olympics Ke Kisse: मरती हुई पत्नी से किया वादा, फिर जीता ओलंपिक गोल्ड! कुछ ऐसी है Matthias Steiner की कहानी

जुलाई 2007 में जब माथियास स्टीनर की पत्नी सूज़न हॉस्पिटल में आखिरी सांसें ले रही थीं तब स्टीनर ने एक वादा किया. बीजिंग ओलंपिक 2008 में गोल्ड मेडल जीतने का वादा. यहीं से भाग्य के साथ उनकी कोशिशें शुरू हो गईं.

Matthias Steiner (Photo/Getty Images)
शादाब खान
  • नई दिल्ली ,
  • 29 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

"मैं वैसे अंधविश्वास वाला इंसान नहीं हूं. किसी दिव्य शक्ति को नहीं मानता. लेकिन मैं आशा करता हूं कि उसने मुझे देखा हो. मैं बस चाहता हूं."

ये शब्द थे 2008 बीजिंग ओलंपिक जीतने वाले वेटलिफ्टर माथियास स्टीनर के. जर्मनी के वेटलिफ्टर स्टीनर ने हार के बेहद करीब पहुंचकर वापसी करते हुए गोल्ड जीता था. इस जीत के लिए स्टीनर ने 258 किग्रा वजन उठाया था. इतना भार उन्होंने अपने करियर में पहले कभी नहीं उठाया था. स्टीनर को गोल्ड जीतने के लिए यह अभूतपूर्व ताकत और प्रेरणा एक वादे से मिली, जो उन्होंने कुछ महीने पहले अपनी पत्नी से किया था.

कार एक्सिडेंट में गई थी पत्नी की जान
स्टीनर 2004 ओलंपिक खेलों में ऑस्ट्रिया के ध्वज के नीचे खेले. ऑस्ट्रियाई फेडरेशन के साथ संबंध खराब होने के बाद वह जर्मनी आ गए. यहां उन्होंने सूज़न नाम की लड़की से शादी की. स्टीनर की जिन्दगी बेहद खुशहाल चल रही थी लेकिन जुलाई 2007 ने उन्हें बहुत बड़ा झटका दिया. 16 जुलाई 2007 को एक सड़क दुर्घटना के कारण सूज़न की मृत्यु हो गई. जब सूज़न हॉस्पिटल बेड पर अपनी आखिरी सांसें गिन रही थीं तब स्टीनर ने उनसे एक वादा किया. बीजिंग ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का सुनहरा वादा. 

...फिर आया वो दिन 
साल 2008, अगस्त का महीना. बीजिंग शहर का बीहांग यूनिवर्सिटी जिमनेशियम. स्टीनर के पास अपनी दिवंगत पत्नी से किया गया वादा पूरा करने का मौका था लेकिन उनकी शुरुआत योजनाओं से बिल्कुल उलट हुई. वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता के पहले हिस्से 'स्नैच' में स्टीनर सिर्फ 203 किलो वजन उठा सके. वह हाफ टाइम तक चौथे स्थान पर थे जो मेडल जीतने के लिए काफी नहीं था. 

स्टीनर अगर प्रतियोगिता के दूसरे हिस्से 'क्लीन एंड जर्क' में अच्छा प्रदर्शन कर भी लेते तो उनके लिए गोल्ड तक पहुंचना बेहद मुश्किल था. स्टीनर के आखिरी प्रयास से पहले टॉप पर रूस के एवजेनी चिगिशेव बने हुए थे. उन्होंने क्लीन एंड जर्क में 250 किलो वजन उठाकर 460 किलो के कुल स्कोर के साथ अपने प्रयास खत्म किए थे. 

स्टीनर को उन्हें हराने के लिए 258 किलो वजन उठाना था. स्टीनर ने अपने जीवन में ऐसा पहले तो नहीं किया था, लेकिन पत्नी से किया हुआ वादा निभाने के लिए उन्होंने उस दिन अपनी ही सीमाओं को लांघकर वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद शायद ही किसी को हो. स्टीनर कुल 461 किलो वजन उठाकर बीजिंग ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट बन गए. 

"मैं उस दिन कुछ भी उठा सकता था..."
इस दुनिया से जाने के बावजूद सूज़न स्टीनर के करीब थीं. गोल्ड मेडल मिलने के बाद स्टीनर के एक हाथ में सूज़न की फोटो थी और चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान. 105 किलोग्राम कैटेगरी में ओलंपिक चैंपियन बनना और दुनिया का सबसे ताकतवर आदमी कहलाना एक तरफ, और प्रेम में किया गया वादा निभाना एक तरफ. इस जीत ने जरूर ही स्टीनर के कंधों से 1000 सौरमंडलों का बोझ उतार दिया होगा. 

जीत के बाद स्टीनर ने कहा, "मैं यह वजन सिर्फ इसलिए उठा सका क्योंकि मेरे अंदर बहुत मजबूत चाह थी. मैं वैसे अंधविश्वास वाला इंसान नहीं हूं. किसी दिव्य शक्ति को नहीं मानता. लेकिन मैं आशा करता हूं कि उसने मुझे देखा हो. मैं बस चाहता हूं." आगे चलकर स्टीनर ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के साथ एक इंटरव्यू में कहा, "वह हमेशा मेरे साथ होती है. कॉम्पिटीशन से कुछ घंटे पहले भी वह मेरे साथ थी." 

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