Paris Olympics Cauldron: बदली 100 साल पुरानी परंपरा, अब आग की जगह बिजली-पानी से जलेगा ओलंपिक कॉल्ड्रन, जानिए कैसे करेगा काम

Paris Olympics 2024: कॉल्ड्रन जलाकर ओलंपिक का आगाज करने की परंपरा उतनी ही पुरानी है जितने की ओलंपिक खेल. हालांकि फ्रांस ने इस बार इस परंपरा में एक छोटा सा बदलाव किया, जो न सिर्फ बदलते युग की तकनीक का बल्कि बदलती जरूरतों का भी प्रतीक है.

Paris Olympics Cauldron
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 28 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 8:40 AM IST
  • शुक्रवार को हुआ पेरिस ओलंपिक का आगाज
  • मोंटगोल्फियर बंधुओं को दी गई श्रद्धांजलि

प्राचीन यूनान में करीब 3000 साल पहले शुरू हुए ओलंपिक खेलों की एक परंपरा रही है. खेलों के आयोजन से पहले ओलंपिक कॉल्ड्रन (Cauldron) को मशाल से प्रज्ज्वलित करना. साल 1928 में शुरू हुए आधुनिक ओलंपिक खेलों में भी इस परंपरा का पालन किया गया है. कभी तीर-कमान से कॉल्ड्रन की ओर निशाना लगाकर, कभी पानी में आग लगाकर तो कभी रॉकेट जलाकर ओलंपिक कॉल्ड्रन प्रज्ज्वलित किया गया है.

बीते शुक्रवार पेरिस में शुरू हुए 2024 ओलंपिक आगाज भी कॉल्ड्रन को रोशन कर हुआ. हालांकि इस बार कॉल्ड्रन को एक हॉट-एयर बलून यानी गर्म हवा से उड़ने वाले गुब्बारे के सहारे हवा में रखा जाएगा. सिर्फ यही नहीं, ओलंपिक खेलों के इतिहास में पहली बार कॉल्ड्रन को आग की जगह बिजली और पानी से रोशन रखा जाएगा. इस प्रयोग के साथ पेरिस ओलंपिक ने न सिर्फ एक पुरानी परंपरा को नया रूप दिया, बल्कि फ्रांस के ऐतिहासिक मोंटगोल्फियर बंधुओं को श्रद्धांजलि भी दी है. 
 

कौन थे मोंटगोल्फियर बंधु?
जोसेफ-मिशेल और जैक्स-एटीएन मोंटगोल्फियर का जन्म फ्रांस के एनोनेय शहर में हुआ था. दोनों भाइयों की उम्र में पांच साल का फर्क था लेकिन साइंस के प्रयोगों में दोनों साथी थे. हॉट-एयर बलून (Hot Air Balloon) की ईजाद का श्रेय इन्हीं भाइयों को जाता है. इन्हीं ने दुनिया की पहली 'अनटेथर्ड' उड़ान (Untethered Flight) को अंजाम दिया था, यानी ऐसी उड़ान जो जमीन से बंधी हुई न हो. 

बाद में जब बड़े हॉट-एयर बलून बनाए गए तो मोंटगोल्फियर बंधुओं के डिजायन में ही छिटपुट बदलाव और सुधार किए गए. इसी से इंसानों के लिए वायुमंडल तक पहुंचने के रास्ते भी खुले. 

क्यों खास है इस बार का कॉल्ड्रन?
ओलंपिक कॉल्ड्रन की परंपरा उतनी ही पुरानी है, जितना की ओलंपिक. आमतौर पर इस कॉल्ड्रन को खेलों के दौरान या तो स्टेडियम में या स्टेडियम के आसपास रखा जाता है. लेकिन इस बार के उद्घाटन समारोह में कॉल्ड्रन ने हॉट-एयर बलून में उड़ान भरी है और यह काफी समय आसमान में ही गुजारने वाला है. 

आयोजकों का कहना है कि दिन के समय कॉल्ड्रन को शहर के टुइलेरिस गार्डन में जमीन पर रखा जाएगा. शाम होते ही इसे करीब 30 मीटर की ऊंचाई तक एक डोर से बांधकर हवा में छोड़ दिया जाएगा. इस कॉल्ड्रन की लंबाई भी 30 मीटर है. यानी यह जमीन से कुल 60 मीटर की ऊंचाई पर होगा. कॉल्ड्रन के निचले हिस्से पर एक सात मीटर का घेरा भी मौजूद है, जो बंधुत्व का प्रतीक है. ओलंपिक की ज्वाला इसी घेरे के अंदर है. 

कैसे काम करता है आधुनिक कॉल्ड्रन?
पेरिस 2024 ओलंपिक का कॉल्ड्रन प्रमुख रूप से इस मायने में अलग है कि इसे आग से नहीं बल्कि बिजली से रोशन किया गया है. कॉल्ड्रन के निचले हिस्से पर जो घेरा मौजूद है उसमें 40 एलईडी (LED) बल्ब लगे हुए हैं. वहीं पर 200 छोटे-छोटे छेद भी बने हुए हैं, जिनसे हाई-प्रेशर के साथ पानी निकलता है. जब ये बल्ब जलते हैं तो कॉल्ड्रन में से पानी की हल्की सी भाप भी निकलती है. यह देखने में बिल्कुल असली आग और उससे बनने वाले धुएं की तरह लगता है. 

इस कॉल्ड्रन को तैयार करने वाले लेहनूर कहते हैं, "यह बिल्कुल अनोखा कौल्ड्रॉन उस सारी भावना का प्रतिनिधि है जो मैं ओलंपिक और पैरालंपिक को देना चाहता था. रोशनी, जादुई और लोगों को साथ लाने वाली. यह (कॉल्ड्रन) रात में लोगों को रास्ता दिखाने वाली रोशनी के रूप में काम करेगा और दिन में पहुंच के करीब एक सूरज होगा. इसमें जलने वाली आग रोशनी और पानी से बनी होगी, गर्मियों के बीच में एक शांत नखलिस्तान (Oasis) की तरह." 

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