एक या दो खेल को छोड़ दिया जाए किसी भी नए खेल को बनाने के पीछे का उद्देश्य मनोरंजन ही होता है. इनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं जो इंटरनेशनल लेवल पर काफी फेमस हो जाते हैं. ऐसा ही एक खेल अब धीरे-धीरे फेमस हो रहा है, इसका नाम है पिकलबॉल. इस खेल को अमेरिका में बनाया गया है. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज अमेरिका में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो इसे नहीं जानता होगा. भारत के साथ-साथ दुनिया के करीब 70 से ज्यादा देशों में इसे खेला जाने लगा है.
अब इस खेल को ओलंपिक खेलों में शामिल करने की भी कवायद चल रही है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसे 2028 तक ओलंपिक खेलों में शामिल कर लिया जाएगा.
कैसे हुई इस खेल की शुरुआत?
दरअसल, इस खेल की शुरुआत 1965 में हुई है. अमेरिका के तीन रिटायर्ड दोस्त एक दिन जब बैठे बैठे बोर होने लगे तो उन्होंने कुछ खेलना का सोचा. उनका मन बैडमिंटन खेलने का हुआ. जोएल प्रिचार्ड और बिल बेल को जब बैडमिंटन रैकेट का सेट नहीं मिला, तब उन्होंने जुगाड़ से इसे खेलने का सोचा. उन्होंने इसे खेल को पिंग-पोंग पेडल और प्लास्टिक बॉल के साथ खेलने का मन बनाया.
शुरुआत में पहले तो उन्होंने 60 इंच की ऊंचाई पर बैडमिंटन नेट को लगाया, लेकिन जब उन्होंने देखा कि बॉल अच्छे से उछल रही है तो उन्होंने इसे 36 इंच की हाइट पर कर दिया.
गेम को बनाने का उद्देश्य था परिवार के साथ खेलना
कुछ समय बाद प्रिचार्ड ने अपने घर पर बार्नी मैक्कलम के सामने इसे खेल को दिखाया. जिसके बाद तीनों ने बैडमिंटन के जैसे ही इस खेल के नियम भी बनाए. इस खेल को बनाने का मूल उद्देश्य ये था कि हर को इसे अपने पूरे परिवार के साथ खेल सके. 1967 में सबसे पहली बार इस खेल के लिए एक परमानेंट कोर्ट बनाया गया. इस कोर्ट को प्रिचार्ड के घर पर बनाया गया.
2006 में भारत में पहुंचा
साल 2006 में ये खेल भारत पहुंचा. साल 1999 में जब सुनील वालावलकर कनाडा गए तब उन्होंने इस खेल को वहां खेला. उन्हें ये इतना पसंद आया कि 2006 में वे एक बार फिर इसके लिया कनाडा गए. जब उसी साल वे वहां से वापिस देश आए तो इस खेल को खेलने के लिए कुछ पैडल्स और बॉल लेकर आए. मुंबई में सबसे पहले उन्होंने इस खेल को लोगों को खेलकर दिखाया.
ऑल इंडिया पिकलबॉल एसोसिएशन के मुताबिक, इस समय देश के 16 राज्यों में इस खेल को खेला जा रहा है. लगभग 3000 प्लेयर्स ने इस खेल के लिए रजिस्टर भी किया हुआ है.