Border-Gavaskar Trophy: जब अंपायरिंग से तंग आकर सुनील गावस्कर ने मैदान से कर दिया था वॉकआउट, जानिए 1981 के मेलबर्न टेस्ट मैच का किस्सा

Border-Gavaskar Trophy: मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड उर्फ एमसीजी उर्फ 'द जी' ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट इतिहास का एक अहम हिस्सा है. और 1950 के दशक से यहां क्रिकेट मैच खेले जा रहे हैं. इन्हीं में से एक मैच खेला गया 1981 में. भारत के पास यह मैच जीतकर सीरीज ड्रॉ करने का मौका था, लेकिन मेहमान टीम के लिए अंपायरिंग एक सिरदर्द बनी हुई थी.

Sunil Gavaskar
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST

Border-Gavaskar Trophy: भारत और ऑस्ट्रेलिया 26 दिसंबर से मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (Melbourne Cricket Ground) पर चौथे टेस्ट मैच में भिड़ेंगे. इस मैदान से भारत की कई यादें जुड़ी हैं. चाहे वह 2020 में एडिलेड टेस्ट हारने के बाद मेलबर्न में हुई शानदार वापसी हो, या 2022 में पाकिस्तान के खिलाफ विराट कोहली की यादगार 82 रन की पारी. 

इस मैदान पर भारत ने कई यादगार विजय दर्ज की हैं. इन्हीं में से एक वह जीत है जो भारत को 1981 में हासिल हुई थी. लेकिन उस जीत से पहले भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी टेस्ट मैच में थोड़ा ड्रामा भी हुआ था. बात इतनी बढ़ गई थी कि उस वक्त भारत के सलामी बल्लेबाज रहे सुनील गावस्कर ने मैदान से वॉकआउट भी कर दिया था. क्या है उस मैच का किस्सा, आइए डालते हैं नजर.

जब गावस्कर ने किया एमसीजी के वॉकआउट 
मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड उर्फ एमसीजी उर्फ 'द जी' ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट इतिहास का एक अहम हिस्सा है. और 1950 के दशक से यहां क्रिकेट मैच खेले जा रहे हैं. इन्हीं में से एक मैच खेला गया 1981 में. भारतीय टीम दो टेस्ट मैचों के लिए ऑस्ट्रेलिया गई थी और सिडनी में पहला मुकाबला हार चुकी थी. यशपाल शर्मा और सैयद किरमानी ने जैसे-तैसे दूसरा टेस्ट ड्रॉ करवा लिया था. 

अब भारत के पास पहली बार ऑस्ट्रेलिया में एक सीरीज ड्रॉ करने का मौका था. लेकिन इस सीरीज में खराब अंपायरिंग भारत के लिए एक चुनौती बनी हुई थी. सुनील गावस्कर ने बाद में बताया था कि अंपायर ने इस सीरीज में सात मौकों पर भारतीय टीम के खिलाफ फैसला दिया था. इनमें से एक मौका तीसरे टेस्ट मैच की तीसरी पारी में आया. 

पहली पारी में भारतीय टीम 182 रन से पिछड़ गई थी लेकिन गावस्कर और चेतन शर्मा की सलामी जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 165 रन की साझेदारी कर जीत की उम्मीदों को जिन्दा रखा था. खराब फॉर्म से गुजर रहे गावस्कर 70 रन बनाकर सीरीज के अपने पहले शतक की ओर बढ़ रहे थे कि तभी डेनिस लीली की एक गेंद उनके पैड्स पर आकर लगी और अंपायर रेक्स व्हाइटफील्ड ने उन्हें एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया. 

गावस्कर कुछ देर तक अपनी जगह ही खड़े रहे. उन्होंने बैट दिखाकर यह इशारा किया कि गेंद पहले उनके बल्ले से लगी है. जबकि लिली का कहना था कि गेंद उनके पैड्स से लगी है. गावस्कर पवेलियन की ओर लौटने लगे. फिर अचानक उन्होंने अपने जोड़ीदार चेतन चौहान को भी अपने साथ पवेलियन लौटने के लिए कहा. कुछ देर के लिए ऐसा लगा कि मैच रद्द हो जाएगा.

कई साल बाद गावस्कर ने किया खुलासा
गावस्कर ने इस घटना के चार दशक बाद अपने वॉकआउट के पीछे के कारण का खुलासा किया. उन्होंने कहा कि कई लोगों को लगता है कि उन्हें गलत तरीके से आउट दिए जाने के कारण वह चेतन चौहान को लेकर मैदान से बाहर जा रहे थे. लेकिन ऐसा नहीं था. गावस्कर 7क्रिकेट के साथ बातचीत में कहते हैं, "कई लोगों को लगता है कि मैं एलबीडब्ल्यू के कारण मैदान से वॉकआउट कर रहा था." 

वह कहते हैं, "उसके कारण मैं उदास जरूर था लेकिन वजह कुछ और थी. दरअसल जब मैं चेतन के पास से गुजरा तो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने मुझसे कहा, गेट लॉस्ट. इस बात पर मुझे गुस्सा आ गया और मैंने चेतन से अपने साथ चलने के लिए कहा था." 

उस समय चेतन चौहान खुद भी ऑस्ट्रेलियाई सरजमीन पर अपने पहले टेस्ट शतक की ओर बढ़ रहे थे. वह हिचकिचाते हुए गावस्कर के साथ जाने लगे. हालांकि बाउंड्री पर खड़े भारतीय टीम के मैनेजर शाहिद दुर्रानी ने चौहान से मैदान पर ही रहने के लिए कहा. दिलीप वेंगसरकर तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे और उन्होंने चौहान के साथ पारी को आगे बढ़ाया. कई साल बाद उस घटना की ओर मुड़कर देखते हुए गावस्कर स्वीकार करते हैं कि इस तरह विवादित तरीके से मैदान छोड़ना सही फैसला नहीं था. 

क्या रहा था मैच का नतीजा?
गावस्कर के बाद चौहान भी 85 रन बनाकर पवेलियन लौट गए थे. इसके बाद वेंगसरकर (41), गुंडप्पा विश्वनाथ (30) और संदीप पाटिल (36) के योगदानों की बदौलत भारत ने बोर्ड पर 324 रन लगाए. इसके जवाब में ऑस्ट्रेलियाई टीम 82 रन पर ऑलआउट हो गई. भारत ने 59 रन से यह मैच जीता था और पहली पारी में 114 रन बनाने वाले गुंडप्पा विश्वनाथ को मैन ऑफ द मैच चुना गया था. 

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