भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सलामी बल्लेबाज प्रतीका रावल ने बुधवार को आयरलैंड के खिलाफ तीसरे और अंतिम वनडे में शानदार शतक जड़कर राजकोट को रोशन कर दिया. अपना छठा वनडे मैच खेलते हुए, प्रतीका ने पहला इंटरनेशनल शतक लगाया और 129 गेंदों में 154 रन बनाए. प्रतीका ने
कौन हैं प्रतीका रावल?
प्रतीका का जन्म 1 सितंबर 2000 को दिल्ली में हुआ था. वह अपना घरेलू क्रिकेट रेलवे के लिए खेलती हैं. उनके पिता, प्रदीप रावल, दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के बीसीसीआई-प्रमाणित लेवल- II अंपायर हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बाराखंभा रोड स्थित मॉडर्न स्कूल से पूरी की और सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में 92.5 प्रतिशत अंक हासिल किए. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज, जीसस एंड मैरी कॉलेज से मनोविज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी की.
क्रिकेट में हासिल कर रहीं उपलब्धियां
क्रिकेट के अलावा, प्रतीका ने राजेंद्र नगर में बाल भारती स्कूल के लिए बास्केटबॉल भी खेला और जनवरी 2019 में दिल्ली में 64वें स्कूल नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने पहली बार कोच श्रवण कुमार की देखरेख में रोहतक रोड जिमखाना क्रिकेट अकादमी में प्रशिक्षण लिया. उन्होंने पिछले महीने वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरिज के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था.
अपने पदार्पण पर, उन्होंने 40 रन बनाए और मंधाना के साथ 110 रन की साझेदारी की. उन्होंने उसी मैच में वेस्टइंडीज के कप्तान हैली मैथ्यूज को आउट करके अपना पहला वनडे विकेट लिया. रेलवे के लिए खेलने से पहले, प्रतीका ने 2021 से 2024 तक दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया.
साइकोलॉजी ने की बेहतर प्रदर्शन में मदद
प्रतीका ने अपनी उपलब्धि का श्रेय क्रिकेट और साइकोलॉजी, दोनों के प्रति अपने प्यार को और पैशन को दिया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे साइकोलॉजी विषय के बारे में उनकी गहरी समझ, खेल के प्रति उनके जुनून के साथ मिलकर, उन्हें क्रिकेट की प्रतिस्पर्धी दुनिया में फोकस करने और एक्सेल करने में मदद की. उन्होंने कहा कि वह ह्यूमन माइंड के बारे में पढ़ना चाहती थीं. जब उन्होंने इस बारे में पढ़ना शुरू किया तो वह समझना चाहती थीं कि वह मैदान पर और मैदान के बाहर मानसिक रूप से चीजों को कैसे प्रोसेस कर सकती हैं. और, इससे उन्हें क्रिकेट में बहुत मदद मिली है.