आमिर खान की फिल्म दंगल का डायलॉग 'माहरी छोरियां छोरे से कम है कै'. यह केवल एक डायलॉग मात्र नहीं है बल्कि यह वर्तमान की स्थिति को दिखाता है. पहले जहां लड़कियों को लड़कों से कम माना जाता था. वहीं आज लड़कियां लड़कों को हर क्षेत्र में पटकने को तैयार हैं. फिर चाहे वो पढ़ाई हो या कोई दंगल. लड़कियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वह अब घर में नहीं रहती बल्कि खुद को साबित करती है.
नक्सलियों का गढ़ बना महिला कुश्ती का मैदान
सासाराम के मोहम्मदपुर में महिलाओं के लिए कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. विराट दंगल शेरगढ़ चैंपियनशिप के नाम से प्रत्येक वर्ष फागुन महीने में यह दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. कभी नक्सलियों के लिए कुख्यात इस इलाके में अब महिला पहलवानों की कुश्ती होती है. इससे आप समझ सकते हैं की परिस्थितियों कितनी बदल चुकी हैं.
छोटा ना समझना मैदान को
इस आयोजन में केवल राज्य ही नहीं, देश के अलग-अलग कोनों से महिला पहलवान आती है और अपना दम दिखाती हैं. इस दंगल प्रतियोगिता में जो महिला पहलवान विजेता होती है. उसे पूरे गांव के लोग पुरस्कृत करते हैं.
दाव-पेच का देखने को मिला नजारा
चेनारी के मोहम्मदपुर में आयोजित इस दंगल प्रतियोगिता का उद्घाटन यहां के पूर्व विधायक तथा भाजपा नेता ललन पासवान ने किया. जिसके बाद पहलवानों ने अपना दम दिखाना शुरू किया. इस शेरगढ़ दंगल में एक पहलवान पर दूसरे पहलवान ने अपना दम दिखाया. कुश्ती के दौरान इन पहलवानों के एक से बढ़कर एक दाव-पेच देखने को मिले. फाइनल मुकाबला पटना की साध्वी कुमारी तथा भागलपुर के प्रियंका के बीच हुआ.
एक दाव से बदला पूरा खेल
5 मिनट से अधिक चले लगातार दंगल में पहले तो पटना की साध्वी कुमारी प्रियंका पर हावी रही. लेकिन अंतत: अंतिम चक्र में प्रियंका ने दाव खेला और साध्वी कुमारी को पटक दिया. रोहतास के सुदूरवर्ती इलाके में जहां पहले नक्सलियों की तूती बोलती थी. आज वहां महिला पहलवान अपना दावा दिखाते नजर आए, जो एक सु:खद एहसास है तथा बदलते बिहार की एक तस्वीर है.
-रंजन कुमार की रिपोर्ट