पिछले 12 सालों से भारत को कोई भी महिला ग्रैंडमास्टर नहीं मिली है. इस वक्त देश में 82 ग्रैंडमास्टर हैं, लेकिन इसमें सिर्फ 2 महिलाएं शामिल हैं. हालांकि 2 महिला शतरंज खिलाड़ी वैशाली रमेशबाबू और वंतिका अग्रवाल से लगातार गैंडमास्टर बनने की कोशिश कर रही हैं.
वैशाली और वंतिका की ग्रैंडमास्टर बनने की कोशिश-
22 साल की वैशाली रमेशबाबू को ग्रैंडमास्टर बनने में थोड़ा वक्त लग रहा है. जिससे वो नाराज भी हैं. उनका छोटा भाई प्रगनानंद ने 12 साल 10 महीने की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे. जबकि 20 साल की वंतिका अग्रवाल भी ग्रैंडमास्टर बनने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं. पढ़ाई की वजह से उनका ग्रैंडमास्टर बनने का सपना प्रभावित हो रहा है. हालांकि उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और अब पूरा फोकस इसपर करना चाहती हैं.
वैशाली ने ग्रैंडमास्टर बनने के लिए पहला नॉर्म साल 2019 और दूसरा नॉर्म साल 2022 में पूरा कर लिया है. हालांकि अभी भी वैशाली को तीसरा नॉर्म मतलब 2500 ईएलओ रेटिंग पूरा करना बाकी है. फिलहाल वैशाली की ईएलओ रेटिंग 2431 है. जबकि वंतिका अग्रवाल की ईएलओ रेटिंग 2448 है और उनको उम्मीद है कि जल्द ही वो इसे पूरा कर लेंगी.
साल 2011 के बाद से कोई महिला ग्रैंडमास्टर नहीं-
भारत को साल 2011 के बाद से कोई भी महिला ग्रैंडमास्टर नहीं मिली है. उस साल द्रोणवल्ली हरिका को ग्रैंडमास्टर की उपाधि मिली थी. उसके बाद से लगातर महिला खिलाड़ियों ने संघर्ष किया, लेकिन कभी भी सफलता नहीं मिली. इस वक्त भारत में 82 ग्रैंडमास्टर हासिल करने वाले शतरंज खिलाड़ी हैं, जिसमें से सिर्फ दो महिला खिलाड़ी हैं. जिसमें कोनेरू हम्पी और द्रोणवल्ली हरिका शामिल हैं. कोनेरू हम्पी को साल 2002 में ग्रैंडमास्टर की उपाधि मिली थी. फिलहाल कोनेरू हम्पी दुनिया की नंबर 5 और द्रोणवल्ली हरिका नंबर 12 की खिलाड़ी हैं.
महिला ग्रैंडमाटर बनने का क्या है नियम-
ग्रैंडमास्टर शतरंज खिलाड़ियों को दी जाने वाली सर्वश्रेष्ठ उपाधि है. इसे इंटरनेशनल चेस फेडरेशन देता है. एक बार किसी खिलाड़ी को ये उपाधि मिल जाती है, तो ये ताउम्र उसके साथ रहती है. शतरंज के खिलाड़ियों को ग्रैंडमास्टर बनने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है. ग्रैंडमास्टर बनने के लिए कुछ अनिवार्य नॉर्म्स हैं. हालांकि इसके कुछ अपवाद भी हैं.
2 तरीके से पा सकते हैं ग्रैंडमास्टर का खिताब-
ग्रैंडमास्टर का खिताब देने के लिए FIDE ने दो तरीके बनाए हैं. पहला तरीका कुछ खास मानकों को पूरा करना और दूसरा तरीका कुछ खास प्रतियोगिता को जीत लेना है.
शतरंज का ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने के लिए एक खिलाड़ी को 2500 Elo रेटिंग हासिल करनी पड़ती है.
इसके अलावा ग्रैंडमास्टर बनने के लिए खिलाड़ी को कम से कम 2 ग्रैंडमास्टर नॉर्म ऐसे टूर्नामेंट में हासिल करना होता है, जिसमें कम से कम 27 गेम्स या 9 राउंड हो और इस टूर्नामेंट में कम से कम 3 ग्रैंडमास्टर खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हों. इसमें ये भी शर्त है कि खेल के हर राउंड में कम से कम 120 मिनट का थिंकिंग टाइम जरूर लगे.
अगर कोई खिलाड़ी विश्व चैंपियनशिप, जूनियर चैंपियनशिप, वर्ल्ड सीनियर चैंपियनशिप जीत लेता है तो उसे भी ग्रैंडमास्टर का खिताब दिया जा सकता है. इन योग्यताओं या रेटिंग अंकों को पूरा करने पर विश्व शतरंज महासंघ खिलाड़ी को ग्रैंडमास्टर का खिताब देती है.
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