भारत ने महिला जूनियर हॉकी एशिया कप का खिताब जीत लिया है. जापान में खेले गए टूर्नामेंट में भारत ने 4 बार की चैंपियन साउथ कोरिया की टीम 2-1 से हराया और पहली बार चैंपियन बना. भारत की कप्तान प्रीति ने एशिया चैंपियन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. प्रीति ने रणनीति बनाकर टीम को इस मुकाम तक पहुंचाया. कप्तान प्रीति का निजी जीवन भी संघर्षों से भरा है. उनके पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं. चलिए भारत को एशिया चैंपियन बनाने वाली कैप्टन प्रीति के बारे में बताते हैं.
उधार की हॉकी स्टिक से खेल की शुरुआत-
जूनियर हॉकी टीम की कप्तान प्रीति का जन्म 25 दिसंबर 2002 को हरियाणा के सोनीपत में हुआ. प्रीति के पिता शमशेर सिंह राजमिस्त्री का काम करते हैं और उनकी मां सुदेश गृहिणी हैं. सुदेश खेतों में मजबूरी भी करती थीं. मां अक्सर प्रीति को घर से बाहर जाने से रोकती थी. लेकिन वो खेलना चाहती थी. वो अक्सर अपनी सहेलियों के साथ औद्योगिक क्षेत्र के हॉकी मैदान में खेलने चली जाती थी. इसी दौरान उनकी दिलचस्पी हॉकी में बढ़ने लगी. प्रीति ने परिवार को बिना बताए उधार की हॉकी स्टिक से खेलना शुरू किया.
महिला जूनियर हॉकी एशिया कप चैंपियन बना भारत
घर में पैसों की थी तंगी-
प्रीति के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिता मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करते थे. घर में खाना खाने तक के लिए पैसे नहीं होते थे. ऐसे समय में प्रीति ने हॉकी खेलना शुरू किया. उस समय उनकी उम्र महज 12 साल थी. तमाम मुसीबतों के बावजूद प्रीति ने कभी हिम्मत नहीं हारी और लगातार संघर्ष करती रहीं.
2 साल तक हॉकी से रही दूर-
खेल में भी प्रीति को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. साल 2015 में प्रीति के टखने में चोट लग गई थी. पैर पर प्लास्टर लगा दिया गया था. जिसकी वजह से वो 2 साल तक हॉकी से दूर रही. ऐसा लगने लगा था कि वो अब कभी हॉकी नहीं खेल पाएगी. लेकिन प्रीति ने वापसी की और साल 2018 में जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. इसके बाद राष्ट्रीय टीम में चयन हुआ.
कोच प्रीतम ने की मदद-
खेल के दौरान कोच प्रीतम सिवाच की नजर प्रीति पर गई. उन्होंने प्रीति का खेल पसंद आया. उन्होंने हॉकी खेलने को लेकर पूछा तो प्रीति ने हामी भर दी. इसके बाद प्रीति ने कोच को अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में बताया. कोच ने कहा कि तुम सिर्फ खेल पर फोकस करो, बाकी सबकुछ मुझपर छोड़ दो. प्रीति अपनी सफलता का श्रेय कोच प्रीतम को देती हैं.
नौकरी मिली तो आर्थिक हालत सुधरी-
प्रीति ने एक इंटरव्यू में बताया था कि साल 2021 में उनकी नौकरी लग गई. उसके बाद उनके परिवार की आर्थिक हालत में सुधार हुआ. हालांकि मुश्किलों के बावजूद प्रीति को परिवार का पूरा साथ मिला. परिवार और कोच की मदद से प्रीति ने इतना बड़ा मुकाम हासिल किया.
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