Happy Birthday Vinesh Phogat: रियो ओलंपिक में लगी चोट से दांव पर लगा था करियर, फिर भी नहीं मानी हार, वापसी कर बढ़ाया देश का मान

Happy Birthday Vinesh Phogat: भारतीय रेसलर विनेश फोगाट ने देश को कई गर्व के मौके दिए हैं. समाज से लड़ने के साथ-साथ वह लगातार अपनी चोट से भी लड़ी हैं ताकि देश के लिए मेडल जीत सकें.

Vinesh Phogat (Photo: Instagram)
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 25 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST
  • कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय रेसलर हैं विनेश फोगाट
  • विनेश को लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स के लिए नामांकित किया गया

किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना आसान नहीं है. लगातार कड़ी मेहनत, संघर्ष, जुनून और समर्पण के साथ ही सफल हुआ जा सकता है. खासकर कि स्पोर्ट्स जैसे सेक्टर में, जहां आपके पास छोटी-सी गलती करने की भी गुंजाइश नहीं होती है. और गलती हुई तो आपको लोगों से आलोचना का सामना करना पड़ता है. पर आज देश में ऐसे बहुत से एथलीट और खिलाड़ी हैं जो इस सबसे ऊपर उठकर सिर्फ अपने खेल पर फोकस करते हैं. 

और इन्हीं खिलाड़ियों में से एक हैं भारतीय रेसलर विनेश फोगाट. कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय रेसलर, विनेश फोगाट आज अपना 28वां जन्मदिन मना रही है. वह हरियाणा की मशहूर रेसलिंग फोगाट फैमिली से हैं. जहां उनके ताऊ, बहनें, और कजिन एक से बढ़कर एक रेसलर हैं. 

सात साल की उम्र मे शुरू की ट्रेनिंग 
विनेश हरियाणा के बलाली नामक छोटे से गांव की रहने वाली हैं. बचपन से ही उन्होंने अपने घर में कुश्ती देखी थी. उनके ताऊ. महावीर सिंह फोगाट और उनकी चचेरी बहनें- गीता और बबीता फोगाट को हमेशा कुश्ती लड़ते और मेडल जीतते देखा. विनेश के ताऊ और पिता ने अपने घर की बेटियों को कुश्ती में आगे बढ़ाने के लिए समाज से लंबी लड़ाई लड़ी. 

उन्होंने सात साल की उम्र में ही अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. शुरुआत में, वह कुश्ती को अपना करियर नहीं बनाना चाहती थी, लेकिन कहीं न कहीं अपनी रेसलर बहनों का प्रभाव उन पर भी रहा और जब उन्होंने कुश्ती शुरू की तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

साल 2009 में जीता पहला पदक 
जीवन में आई सभी कठिनाइयों और नफरत से आगे बढ़कर इस स्टार खिलाड़ी ने अपने खेल पर फोकस किया. उन्होंने 2009 में अपना पहला पदक जीता. उन्होंने महिलाओं के फ्रीस्टाइल 51 किग्रा वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों में फिर से रजत पदक जीता. 

2014 में, विनेश ने 48 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों में अपनी पहली स्वर्णिम जीत हासिल की. उन्होंने उसी वर्ष एशियाई खेलों में 48 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता. विनेश फोगाट ने कड़ी मेहनत करना जारी रखा और फिर से एशियाई खेलों, 2015 में रजत पदक जीता. 

रियो ओलंपिक में लगी चोट
2016 में, विनेश ने रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और क्वार्टर फाइनल में पहुंची. लेकिन घुटने की चोट के कारण उन्होंने जीतने का मौका गंवा दिया. इस चोट ने उनके कुश्ती करियर पर सवालिया निशान लगा दिए थे और उनकी मानसिक सेहत पर गहरा असर पड़ा. सबको लगा कि अब उनका रेसलिंग करियर खत्म. लेकिन एक ब्रेक के बाद वह और मजबूत होकर लौटीं. 

साल 2016 में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए विनेश को अर्जुन पुरस्कार मिला. इसके बाद उन्होंने एशियाई चैम्पियनशिप 2017 में रजत पदक जीता. साल 2018 में, फोगाट ने गोल्फ कोस्ट में 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती में, राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता. विनेश ने एशियाई चैम्पियनशिप, 2018 में स्वर्ण पदक जीता और एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं. 

वह पहली भारतीय एथलीट हैं जिन्हें लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स के लिए नामांकित किया गया है. उन्हें भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा पद्म श्री के लिए भी नामांकित किया गया था. विनेश का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था. घुटने और कोहनी की चोट के बावजूद उन्होंने अपने सपने पूरे करने का जज्बा बनाए रखा. 

 

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